बक्सरः बिहार के बक्सर में मुफस्सिल थाने के थानेदार ने बनारपुर गांव में घुसकर जिस तरह से घर में सो रही महिलाओं, लड़कियों और निर्दोष किसानों पर लाठियां बरसाईं (Lathi charge on farmers in Buxar), उसका भयावह मंजर ग्रामीणों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा है. वर्दी के रौब में थानेदार बिना वरीय अधिकारियों को सूचना दिए पूरी रात तांडव करता रहा और जब सुबह वीडियो वायरल हुआ तो अधिकारियों को गुमराह करने के लिए ग्रामीणों द्वारा पुलिस गश्ती दल पर पथराव करने की झूठी कहानी बना डाली. उधर वरीय अधिकारी कुछ निर्णय कर पाते, उससे पहले ही किसानों का गुस्सा फुट पड़ा और लोगों ने पावर प्लांट के अंदर घुसकर पुलिस की गाड़ियों को जलाने के साथ ही एसजेवीएन के केबिन में आग लगा दी.
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11 जनवरी को दी एसपी को सूचनाः बनारपुर गांव में इस घटना के बाद किसानों के अंदर सुलग रही आग को भांपकर थानेदार ने सुबह 7 बजे जिले के पुलिस कप्तान को ग्रामीणों द्वारा पुलिस गश्ती दल पर रात में हमला करने की झूठी कहानी सुना दी, एक घण्टे बाद विवाद बढ़ता देख एसपी ने डीएम को अवगत कराया. तब तक आक्रोशित लोग एसजेवीएन पावर प्लांट में घुसकर तबाही की कहानी लिख चुके थे. जिसमें निर्दोष 11 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए.
क्या कहती है पीड़ित महिलाएंः बनारपुर के जिस घर में पुलिस ने तांडव मचाया था, उस घर की महिलाओं ने बताया कि पुलिस पहले रस्सी के सहारे घर की छत पर चढ़कर सीढियों के रास्ते घर में प्रवेश कर गई और सभी पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया. उनलोगों का इतना से भी मन नहीं भरा तो घर में आए रिश्तेदारों के नाबालिग बच्चे को भी रात में ही उठाकर लेकर चले गए और पूरी रात उनकी पिटाई की. हालांकि मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी अमन समीर के पहल पर लोगों को शांत करने के लिए 11 जनवरी की रात में सबको छोड़ दिया गया.
11-12 घायल पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती इधर, घायल पुलिसकर्मियों का इलाज कर रहे सदर अस्पताल के डॉक्टर अमलेश कुमार ने बताया कि पुलिस केंद्र से लगभग 11-12 पुलिसकर्मी घायल अवस्था में सदर अस्पताल में आए हुए थे, जिसमें 2 की हेड इंजुरी है. जबकि एक के कान से ब्लड निकल रहा था. जिसका सिटी स्केन कराया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जायेगा. पुलिस उप महानिरीक्षक एनसी झा ने बताया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में हैं. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. उपद्रव करने वालों की भी पहचान की जा रही है .
तांडव का जिम्मेवार पुलिस अधिकारी ः आपको बता दें कि 10 जनवरी की रात से लेकर 11 जनवरी के देर शाम तक चौसा में हुए आगजनी और तांडव का जिम्मेवार वही पुलिस अधिकारी है, जिसका तबादला आज से 8 महीने पहले रोहतास जिला में कर दी गया था, उसके बाद भी किसके शह पर वो 8 महीने तक यहां से विरमित नहीं किया गया. जबकि इन 8 महीनों में बालू ट्रक से पैसा वसूली से लेकर, कई वीडियो तक उसका वायरल हुआ. यहां तक कि उत्पाद विभाग के ही एक अधिकारी ने पैसा लेकर शराब तस्करों को बचाने एवं उत्पाद विभाग के अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया था.
थानेदार को किया गया लाइन हाजिरः इन तमाम सवालों पर जिले के तमाम बड़े अधिकारी मौन साधे हुए हैं. अगर पुलिस और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी उसे शह नहीं दिए होते तो आज ये घटना नहीं हुई होती. डीआईजी के आदेश पर थानेदार को लाइन क्लोज करने के साथ ही निर्मल कुमार को वहां का नया थानेदार बना दिया गया है. जिनके कंधो पर शांति बहाल करने की बड़ी जिम्मेवारी है.
पुलिस लाठीचार्ज को लेकर हुआ था बवाल : आपको बता दें कि बिहार के बक्सर जिले के चौसा के पास बन रहे थर्मल पावर प्लांट के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण किए जाने और पुलिस लाठीचार्ज से आक्रोशित ग्रामीणों ने बुधवार को जमकर बवाल काटा. इस दौरान ग्रामीणों ने कई वाहनों को फूंक दिया तथा उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. प्लांट के अंदर भी घुसकर ग्रामीणों ने उत्पात मचाया. लोगों का आरोप है कि मंगलवार की रात पुलिस ने घर में घुसकर बेरहमी से लोगों की पिटाई की थी. पुलिस की इस कार्रवाई के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए और सैकड़ों की संख्या में पावर प्लांट पहुंच गए और जमकर उत्पात मचाया.
मुआवजे की मांग को लेकर आक्रोशित किसान: दरअसल ताप विद्युत परियोजना से जुड़ी जलापूर्ति पाइप लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के मसले पर किसान विरोध कर रहे हैं. किसान वर्तमान की कीमत से मुआवजा की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार पहले की कीमत पर मुआवजा दे रही है. किसान अपनी मांग को लेकर 80 दिनों से अधिक समय से धरना पर बैठे हैं. इस बीच, कहा जा रहा है कि मंगलवार को कुछ लोगों ने निमार्णाधीन बिजलीघर के मुख्य द्वार पर हंगामा किया था. जिसके बाद, मंगलवार की रात पुलिस बनारपुर गांव पहुंच गई और कई किसानों के घर में घुसकर मारपीट की. इसके बाद इस घटना का वीडियो वायरल हो गया.