बक्सर: शराबबंदी वाले बिहार के बक्सर में युवा पीढ़ी नशे के चपेट में हैं. जहां कई मेडिकल दुकानदारों से लेकर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले कारोबारी नए-नए प्रयोग कर केमिकल से कई तरह के नशीले पदार्थ को तैयार कर कम उम्र के लड़कों को उपलब्ध करा रहे हैं, और हमारी पुलिस अनजान बनी हुई है. आज शहर के रेलवे स्टेशन से लेकर गांव-गांव में 12 से 25 साल तक के अधिकांश युवा इसके चपेट में हैं. जो जरूरत को पूरा करने के लिए बड़े से बड़े अपराध करने में भी गुरेज नही कर रहे हैं.
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नशे के कारोबारियों का नया फार्मूला: साल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी का कानून लागू करने के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात का अंदेशा जाहिर किया था कि शराब पर पाबंदी लगने के बाद अधिकारियों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं लोग दूसरे नशे के तरफ अपना रूख तो नहीं कर रहे हैं. लेकिन सिस्टम में बैठे अधिकारी केवल शराब और शराब माफिया के पीछे घूमते रहे. मादक पदार्थो के कारोबारियों ने नए-नए फार्मूला ईजाद कर खुद से ही नशीले पदार्थ को तैयार कर, कम उम्र के लड़कों को नशेड़ी बना दिया. अब इस पर लगाम कसना पुलिस के लिए इतना आसान नहीं है. शहर में एक युवा वर्ग ऐसा भी है, जो प्रतिदिन नस में नशे की सूई लेता है. निकोटीन, कोकीन, कैफीन, कैनाबिस, हीरोइन जैसे नशीले और खतरनाक पदार्थ की चपेट में हैं. जो सुबह से लेकर शाम तक नशा लेने के लिए भीड़ लगाए रहते हैं.
चरम पर है नशे का कारोबार: बक्सर में नशे का कारोबार चरम पर है. देश के भविष्य कहे जाने वाले युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में हैं. खुद की जिंदगी के साथ परिवार को बर्बाद कर रहे हैं. अहम बात यह है कि इन्हें नशा करने का साजो सामान भी शहर में बड़े आराम से मिलते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब शहर में इसकी पड़ताल की तो पाया कि कई युवा नशे की जद में आ गए हैं. अगर इन्हें नशे की सेवन से दूर रखा जाए तो उनकी जान पर बन आती है. सदर अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में भी ताला बंद है. जिसके कारण चाहकर भी लोग इससे छुटकारा नहीं पा रहे हैं.
रिक्शा चलाने वाले से लेकर छात्रों में नशे की लत: इन युवाओं में अधिकतर ई- रिक्शा चालक से लेकर कॉलेज छात्र शामिल हैं. साथ ही इन दिनों स्कूली छात्र भी नशे की जद में आ रहे हैं. कई युवाओं ने तो नशे की लत में पड़कर अपनी पढ़ाई छोड़ दी है. ऐसे बच्चों की तादाद अधिक है. छात्र शराब और सिगरेट ही नहीं बल्कि गांजा, हेरोइन, डेंडाराइट, स्मैक, थीनर, बोनफिक्स, नशीले इंजेक्शन सहित अन्य नशीली दवाई का सेवन कर रहे हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर एवं ड्रग इंस्पेक्टर: जिले में हो रहे नशे का कारोबार को लेकर हमने सदर अस्पताल के सीनियर डॉक्टर भूपेंद्र नाथ एवं ड्रग इंस्पेक्टर ए.के.प्रसाद से बात की तो पता चला कि कई तरह के दवाओं को मिलाकर मादक पदार्थ इन दिनों तैयार किया जा रहा है. 3 दिन पहले एक मेडिकल दुकान पर जब छापेमारी की गई, तो मात्रा से अधिक एविल एवं अन्य दवा बरामद हुआ है. जिस पर कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा गया है.
''एविल के साथ हेरोइन, एप्राजोलम के साथ एविल मिलाकर, कोडीन के साथ एविल एवं कई तरह के दवाओं को मिलाकर मादक पदार्थ इन दिनों तैयार किया जा रहा है. जिसमें कई मेडिकल दुकानदार अहम भूमिका निभा रहे हैं. 3 दिन पहले एक मेडिकल दुकान पर जब छापेमारी की गई, तो मात्रा से अधिक एविल एवं अन्य दवा बरामद हुआ है. जिस पर कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा गया है. यही कारण है कि शराबबंदी के बाद भी नशा मुक्ति केंद्र में मरीज नहीं आये, उसने दूसरे विकल्प का चयन कर लिया.''- एके प्रसाद, ड्रग इंस्पेक्टर, बक्सर
'बक्सर में हो रहा है नशे का कारोबार': इस मामले को लेकर जब सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बिहार के बक्सर जिले में केवल शराब ही नहीं हेरोइन, अफीम एवं अन्य कई तरह का मादक पदार्थ का बिक्री धड़ल्ले से हो रहा है. जिसको लेकर 3 दिन पहले हमने जिले के पुलिस कप्तान मनीष कुमार से की है. हम यह उम्मीद करते हैं कि नए पुलिस कप्तान केवल शहर के ही नहीं ग्रामीण इलाकों के थानों पर भी नकल कसेंगे. जिससे कि इस जहर से युवा पीढ़ी को बाहर निकाला जा सके.
गौरतलब है कि 4 दिन पहले हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस अधीक्षक आईपीएस मनीष कुमार ने सख्ती दिखाते हुए सभी थानेदारों को सख्त हिदायत दी है किन नशे के कारोबारियों पर 1 सप्ताह के अंदर नकल कसे. जिसका सकारात्मक परिणाम भी अब दिखने लगा है. मेडिकल दुकानदारों से लेकर नशे के कारोबारियों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. जिससे जिले में हड़कंप मचा हुआ है.