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बक्सर: गर्मी बढ़ने के साथ ही छोटे बच्चों में बढ़ने लगी है मौसमी बीमारियों का खतरा

बढ़ते गर्मी के प्रकोप को देख सदर अस्पताल के डाक्टरों ने, शिशु एवं बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाने के लिए कई गाइडलाइन जारी किया है. डॉक्टरों ने कहा है कि तरल पदार्थ का सेवन, बच्चों के लिए करेगा सुरक्षा कवच का काम.

बढ़ती गर्मी के साथ छोटे बच्चों में बढ़ने लगी है मौसमी बीमारियों का खतरा
बढ़ती गर्मी के साथ छोटे बच्चों में बढ़ने लगी है मौसमी बीमारियों का खतरा
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Published : Apr 14, 2021, 2:05 PM IST

बक्सर: गर्मी बढ़ने के साथ ही बच्चों व शिशुओं में मौसमी बीमारियों की संभवना बढ़ जाती है. सर्दी, खांसी के अलावा घमौरियों, चकता (रैशेज) व त्वचा से संबंधित अन्य कई प्रकार की समस्याओं से बच्चे परेशान रहते हैं. बच्चों के लिए गर्मी को सहन करना थोड़ा असुविधाजनक होता है. बच्चे इस मौसम में आराम महसूस कर सकें, इसके लिए अभिभावकों को थोड़ा अधिक ख्याल रखना होगा. ताकि, वो बीमारियों की चपेट में न आ सकें. इसके लिए उनके खानपान से लेकर उनके कपड़ों को लेकर थोड़ा गंभीर रहने की जरूरत होगी.

ये भी पढ़ें- बिहार में मौसम रहेगा शुष्क, अगले 48 घंटों में बढ़ेगी गर्मी

हर तीन घंटों में बदलना होगा डायपर
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि गर्मियों के लिए सूती कपड़े सबसे अच्छे होते हैं. अन्य फैब्रिक से बने कपड़ों के कारण बच्चों को घमौरियां और हीट रैशेज आने की संभावना होती है. वहीं, इन दिनों में यदि बच्चों को घर से बाहर ले जाने के दौरान उनको पूरी बांह वाले कपड़े ही पहनाना चाहिए. दूसरी ओर, बच्चों के अंडरगारमेंट्स पर भी ध्यान देना होगा. बच्चों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए हर 3 घंटे के बाद उनका डायपर बदल देना चाहिए. गर्मियों के दौरान अधिक ध्यान रखें क्योंकि नमी और पसीने के कारण बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं, जिससे रैशेज हो सकते हैं.

बच्चों के आहार का भी रखें खयाल
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों के दौरान बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या होना बेहद आम है. यदि माताएं स्तनपान कराती हैं, और उनकी मांग के अनुसार उन्हें दूध पिलाती हैं, तो वह अपने बच्चे को उचित तरीके से हाइड्रेट रख सकती हैं. यदि किसी कारणवश बच्चे का दूध छुड़ाया भी जाता है, तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि गर्मियों के दौरान उनकी भूख बहुत कम हो जाती है. ऐसे में उन्हें अन्य तरल पदार्थ जैसे फलों का रस, छाछ या मिल्क शेक आदि पिलाएं. खिचड़ी की अपेक्षा ठंडे पेय बच्चों को अधिक आराम पहुंचाते हैं. वहीं, बच्चों को अत्यधिक ठंडी चीजों का सेवन न कराएं.

ये भी पढ़ें- मसौढ़ी: गर्मी के समय में भी पोठही में जलजमाव, समस्याओं पर मुखिया ने कहा-फंड नहीं है

गर्मियों में तेल से मालिश न करें
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों के दौरान त्वचा पर तेल लगाने से फायदे की जगह नुक्सान ही होता है. यदि इसे अच्छी तरह नहीं धोया गया, तो त्वचा में जोड़ों के स्थान पर यह रह जाता है. जिस कारण उन्हें समस्याएं हो सकती हैं. विशेषकर नैप्पी वाले भाग में, गर्दन के पीछे, पीठ और कंधों पर तेल रह जाता है. ध्यान रहे कि इन भागों को अच्छी तरह धोएं.

बच्चों को नियमित तौर पर नहलाएं
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों में बच्चे को रोज अच्छे से नहलाएं. शाम के समय उसे ठंडा स्पंज बाथ दें, और बाद में क्रीम से मसाज करें. ताकि वो अच्छे से सो सके. उन्होंने बताया बच्चे को धूप से बचाने के लिए सुबह 10 से शाम 5 बजे तक बच्चे को बाहर न ले जाएं. सूर्यास्त के बाद उसे थोड़े समय के लिए बाहर ले जाएं. यदि आपके बच्चे की उम्र 2 वर्ष से अधिक है तो गर्मियों में उसे वॉटर स्पोर्ट्स के लिए प्रोत्साहित करें.

बक्सर: गर्मी बढ़ने के साथ ही बच्चों व शिशुओं में मौसमी बीमारियों की संभवना बढ़ जाती है. सर्दी, खांसी के अलावा घमौरियों, चकता (रैशेज) व त्वचा से संबंधित अन्य कई प्रकार की समस्याओं से बच्चे परेशान रहते हैं. बच्चों के लिए गर्मी को सहन करना थोड़ा असुविधाजनक होता है. बच्चे इस मौसम में आराम महसूस कर सकें, इसके लिए अभिभावकों को थोड़ा अधिक ख्याल रखना होगा. ताकि, वो बीमारियों की चपेट में न आ सकें. इसके लिए उनके खानपान से लेकर उनके कपड़ों को लेकर थोड़ा गंभीर रहने की जरूरत होगी.

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हर तीन घंटों में बदलना होगा डायपर
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि गर्मियों के लिए सूती कपड़े सबसे अच्छे होते हैं. अन्य फैब्रिक से बने कपड़ों के कारण बच्चों को घमौरियां और हीट रैशेज आने की संभावना होती है. वहीं, इन दिनों में यदि बच्चों को घर से बाहर ले जाने के दौरान उनको पूरी बांह वाले कपड़े ही पहनाना चाहिए. दूसरी ओर, बच्चों के अंडरगारमेंट्स पर भी ध्यान देना होगा. बच्चों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए हर 3 घंटे के बाद उनका डायपर बदल देना चाहिए. गर्मियों के दौरान अधिक ध्यान रखें क्योंकि नमी और पसीने के कारण बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं, जिससे रैशेज हो सकते हैं.

बच्चों के आहार का भी रखें खयाल
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों के दौरान बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या होना बेहद आम है. यदि माताएं स्तनपान कराती हैं, और उनकी मांग के अनुसार उन्हें दूध पिलाती हैं, तो वह अपने बच्चे को उचित तरीके से हाइड्रेट रख सकती हैं. यदि किसी कारणवश बच्चे का दूध छुड़ाया भी जाता है, तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि गर्मियों के दौरान उनकी भूख बहुत कम हो जाती है. ऐसे में उन्हें अन्य तरल पदार्थ जैसे फलों का रस, छाछ या मिल्क शेक आदि पिलाएं. खिचड़ी की अपेक्षा ठंडे पेय बच्चों को अधिक आराम पहुंचाते हैं. वहीं, बच्चों को अत्यधिक ठंडी चीजों का सेवन न कराएं.

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गर्मियों में तेल से मालिश न करें
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों के दौरान त्वचा पर तेल लगाने से फायदे की जगह नुक्सान ही होता है. यदि इसे अच्छी तरह नहीं धोया गया, तो त्वचा में जोड़ों के स्थान पर यह रह जाता है. जिस कारण उन्हें समस्याएं हो सकती हैं. विशेषकर नैप्पी वाले भाग में, गर्दन के पीछे, पीठ और कंधों पर तेल रह जाता है. ध्यान रहे कि इन भागों को अच्छी तरह धोएं.

बच्चों को नियमित तौर पर नहलाएं
डॉ. कुमार ने बताया गर्मियों में बच्चे को रोज अच्छे से नहलाएं. शाम के समय उसे ठंडा स्पंज बाथ दें, और बाद में क्रीम से मसाज करें. ताकि वो अच्छे से सो सके. उन्होंने बताया बच्चे को धूप से बचाने के लिए सुबह 10 से शाम 5 बजे तक बच्चे को बाहर न ले जाएं. सूर्यास्त के बाद उसे थोड़े समय के लिए बाहर ले जाएं. यदि आपके बच्चे की उम्र 2 वर्ष से अधिक है तो गर्मियों में उसे वॉटर स्पोर्ट्स के लिए प्रोत्साहित करें.

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