बक्सर: यूपी के अमरोहा हत्याकांड की दोषी शबनम को फांसी देने के लिए मथुरा जेल प्रशासन ने बक्सर सेंट्रल जेल प्रशासन को पत्र लिखकर दो फांसी का फंदा तैयार करने का आग्रह किया है. जिसके बाद बक्सर सेंट्रल जेल प्रशासन द्वारा फांसी के 2 फंदे तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, मथुरा जेल प्रशासन ने 3 दिन पहले बक्सर सेंट्रल जेल के अधिकारियों को पत्र भेजा है.
राष्ट्रपित द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद तेज हुई कवायद
बता दें कि 14 अप्रैल 2008 को आरा मशीन चालक सलीम के प्यार में पागल शबनम ने अपने ही परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना से पूरा देश दहल उठा था. न्यायालय द्वारा अभियुक्त को मौत की सजा सुनाए जाने बाद, अभियुक्त ने राष्ट्रपति से दया की गुहार लगायी थी. जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है. जिसके बाद मथुरा जेल प्रशासन ने फांसी देने की कवायद तेज कर दी है.
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अभी जारी नहीं किया गया ब्लैक वारंट
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी भी अमरोहा हत्याकांड के दोषी के खिलाफ ब्लैक वारंट जारी नहीं किया गया है. जिसके कारण अभियुक्त को फांसी देने में समय लग सकता है. बता दें कि, फांसी देने से पहले ब्लैक वारंट जिसे डेथ वॉरंट भी कहते हैं, जारी किया जाता है.
पैसों का नहीं हुआ भुगतान
मथुरा जेल प्रशासन द्वारा अब तक फांसी के फंदे के लिए बक्सर सेंट्रल जेल को पैसे की भुगतान नहीं किया गया है. बक्सर जेल प्रशासन लगभग 1,800 रुपये पर एक फांसी का फंदा उपलब्ध कराता है. लेकिन अब तक राशि की प्राप्ति बक्सर जेल प्रशासन को नहीं हुई है. उसके बाद भी फंदा बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. गौरतलब है कि बक्सर सेंट्रल जेल में ही फांसी के लिए विशेष मनीला रस्सी तैयार की जाती है. निर्भया कांड के दोषियों के बाद अब बक्सर जेल प्रशासन द्वारा शबनम के लिए फांसी का फंदा तैयार किया जा रहा है.
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एक रात में किया घर के 7 लोगों की हत्या
यूपी के अमरोहा के हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी में साल 2008 की 14 अप्रैल की रात शबनम ने इस दुर्दांत घटना को अंजाम दिया था. यहां शिक्षामित्र शबनम ने रात को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से हमला कर हत्या कर दी थी. वहीं भतीजे अर्श का गला घोंट दिया था.
2010 में सुनाई गई फांसी की सजा
इस मामले अमरोहा कोर्ट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली थी. जिसके बाद 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए जब तक उनका दम न निकल जाए का फैसला सुनाया था.