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बदहाल है केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था, डॉक्टर भी लापरवाह

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Published : Jan 29, 2020, 11:43 AM IST

सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण ने बताया कि बक्सर जिले में 161 डॉक्टर की जगह मात्र 54 डॉक्टर ही उपलब्ध है. जिसमें से कई डॉक्टर रेगुलर छुट्टी पर ही रहते हैं. ऐसे में बार-बार विभाग को लिखने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है. किसी तरह से मैनेज करके काम चलाया जा रहा है.

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सरकारी स्वास्थ्य विभाग

बक्सर: भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में ही स्वास्थ्य विभाग इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है. स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले मरीज पर्ची कटाने के बाद घंटों बैठकर डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं. लेकिन न तो अस्पताल में डॉक्टर से मुलाकात होती है और न ही उनका इलाज होता है.

'डॉक्टर दलालों को देते हैं कमीशन'
बता दें कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग में डॅक्टरों की घोर कमी है. सदर अस्पताल में 161 की जगह मात्र 54 डॉक्टर उपलब्ध हैं. विभागीय विश्वस्त सूत्रों की मानें तो बक्सर सदर अस्पताल के डॉक्टर अटेंडेंस बनाने के साथ सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते रहते हैं. सदर अस्पताल में मौजूद दलाल मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिक में भेजते हैं, जिसके एवज में उन्हें कमीशन मिलता है.

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अश्वनी कुमार चौबे, केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री

'सिविल सर्जन भी डर से रहते हैं चुप'
बताया जाता है कि सिविल सर्जन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों के रहने के बाद भी डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती है, क्योंकि उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. बार-बार सिविल सर्जन की ओर से पत्र लिखने के बाद भी इन डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती है. जिसके कारण सिविल सर्जन भी डर से चुप रहते हैं.

देखें रिपोर्ट

विभाग की ओर से नहीं होती है सुनवाई
सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण ने बताया कि बक्सर जिले में 161 डॉक्टर की जगह मात्र 54 डॉक्टर ही उपलब्ध है. जिसमें से कई डॉक्टर रेगुलर छुट्टी पर ही रहते हैं. ऐसे में बार-बार विभाग को लिखने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है. किसी तरह से मैनेज करके काम चलाया जा रहा है. सदर अस्पताल में कुल 119 की जगह मात्र 55 स्वास्थ्य कर्मी ही उपलब्ध हैं.

बक्सर: भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में ही स्वास्थ्य विभाग इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है. स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले मरीज पर्ची कटाने के बाद घंटों बैठकर डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं. लेकिन न तो अस्पताल में डॉक्टर से मुलाकात होती है और न ही उनका इलाज होता है.

'डॉक्टर दलालों को देते हैं कमीशन'
बता दें कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग में डॅक्टरों की घोर कमी है. सदर अस्पताल में 161 की जगह मात्र 54 डॉक्टर उपलब्ध हैं. विभागीय विश्वस्त सूत्रों की मानें तो बक्सर सदर अस्पताल के डॉक्टर अटेंडेंस बनाने के साथ सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते रहते हैं. सदर अस्पताल में मौजूद दलाल मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिक में भेजते हैं, जिसके एवज में उन्हें कमीशन मिलता है.

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अश्वनी कुमार चौबे, केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री

'सिविल सर्जन भी डर से रहते हैं चुप'
बताया जाता है कि सिविल सर्जन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों के रहने के बाद भी डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती है, क्योंकि उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. बार-बार सिविल सर्जन की ओर से पत्र लिखने के बाद भी इन डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती है. जिसके कारण सिविल सर्जन भी डर से चुप रहते हैं.

देखें रिपोर्ट

विभाग की ओर से नहीं होती है सुनवाई
सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण ने बताया कि बक्सर जिले में 161 डॉक्टर की जगह मात्र 54 डॉक्टर ही उपलब्ध है. जिसमें से कई डॉक्टर रेगुलर छुट्टी पर ही रहते हैं. ऐसे में बार-बार विभाग को लिखने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है. किसी तरह से मैनेज करके काम चलाया जा रहा है. सदर अस्पताल में कुल 119 की जगह मात्र 55 स्वास्थ्य कर्मी ही उपलब्ध हैं.

Intro:भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में, बदहाली के दौर से गुजर रहा है स्वास्थ्य केन्द्र


Body:जिलां में 161 कई जगह मात्र 54 डाक्टर के भरोसे 19 लाख लोग, सदर अस्पताल में भी 119 की जगह मात्र 55 स्वास्थ्य कर्मी है डिप्यूट,1 दर्जन कर्मचारी रेगुलर छूटी पर, तो डॉक्टर प्राइवेट क्लीनिक में ही रहते हैं व्यस्त



बक्सर- राम भरोसे चल रहा है बक्सर का सरकारी स्वास्थ्य विभाग, बार-बार सरकार एवं विभाग से शिकायत करने के बाद भी नहीं होती है सुनवाई


V1- भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र का स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है, स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले मरीज पर्ची कटाने के बाद घंटों बैठकर, डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं लेकिन ना तो अस्पतालों में डॉक्टर से मुलाकात होती है, और ना ही उनका इलाज होता है।


V2- विभागीय विश्वस्त सूत्रों की माने तो, बक्सर सदर अस्पताल के डॉक्टर अटेंडेंस बनाने के साथ ही, सरकारी अस्पताल को छोड़कर निजी क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते रहते हैं, सदर अस्पताल में मौजूद दलाल मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिक में भेजते हैं, जिसके एवज में उन्हें कमीशन मिलता है। इस बात की जानकारी सिविल सर्जन, से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों को रहने के बाद भी, करवाई इसलिए नहीं होती है कि ,उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, बार-बार सिविल सर्जन के लिखने के बाद भी इन डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती है। जिसके कारण सिविल सर्जन भी डर से चुप रहती हैं।


V3- बक्सर स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों का इलाज नहीं होने की बात जब बक्सर सिविल सर्जन डॉ उषा किरण ,से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, बक्सर जिला में 161 डॉक्टर की जगह मात्र 54 डॉक्टर ही उपलब्ध है ,जिसमें से एक दर्जन डॉक्टर रेगुलर छुट्टी पर ही रहते हैं ,ऐसे में बार-बार विभाग को लिखने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है, किसी तरह से मैनेज करके काम चलाया जा रहा है। सदर अस्पताल में कुल 119 की जगह मात्र 55 स्वास्थ्य कर्मी ही उपलब्ध हैं।

byte-डॉक्टर उषा किरण सिविल सर्जन बक्सर


Conclusion:गौरतलब है कि बयान देकर सुर्खियों में बने रहने वाले,केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे, बयानबाजी के अलावे क्षेत्र के जनता के हित के बारे में ध्यान दिए होते, तो आज स्वास्थ्य बिभाग की यह हल्लात नही होती
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