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बक्सर मना रहा है 31वां स्थापना दिवस, जिले भर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन - बिहार न्यूज

बक्सर जिले का 31वां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है. लंबे संघर्ष के बाद 17 मार्च 1991 को बक्सर जिला बना. इस अवसर पर जिलाधिकारी ने स्थापना दिवस पर लोगों को बधाई दी है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

Buxar DM Aman Sameer
Buxar DM Aman Sameer
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Published : Mar 17, 2022, 5:52 PM IST

बक्सर: 17 मार्च 1991 को स्थापित बक्सर जिला का 31वां स्थापना दिवस समारोह (Foundation Day of Buxar District) धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर जिले भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. शहर के नगर भवन में जिला प्रशासन की ओर से मुख्य समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया. इससे पूर्व सुबह में लोगों को सामाजिक मुद्दों पर जागरूक करने के लिए साइकिल रैली का भी आयोजन किया गया.

ये भी पढ़ें- 17 से 22 मार्च तक मनेगा जिला स्थापना दिवस, कई कार्यक्रमों का होगा आयोजन

आम लोगों की भागीदारी से ही जिला का विकास संभवः स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए बक्सर डीएम अमन समीर ने सबसे पहले स्थापना दिवस की बधाई दी. इस दौरान डीएम ने कहा कि जन भागीदारी के बिना जिले का विकास संभव नहीं है. जिस काम को करने में प्रशासनिक महकमे के लोगों को 30 साल का समय लगता है, उसे जनभागीदारी से महज 3 साल में पूरा किया जा सकता है. समाज के हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोग आगे आयें और विकास के रास्ते में बक्सर को तेजी से आगे बढ़ाने में सरकार और प्रशासन का सहयोग करें.

संतोष निराला ने पहले डीएम दीपक कुमार की उपलब्धियों को किया यादः जिला स्थापना दिवस के मौके पर बिहार सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री संतोष निराला ने जिले वासियों को 31वें स्थापना दिवस के मौके बधाई देते हुए कहा कि पहले डीएम दीपक कुमार की सोच और कुशल रणनीति से पूरे देश में इस जिले को अलग पहचान मिली थी. आज बक्सर शिक्षा, खेल, पर्यटन, चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है. यहां के युवा पूरे देश में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं.

बक्सर का सियासी और धार्मिक महत्व: बक्सर जिले का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यहां प्रथम युद्ध मुगल सम्राट हुमायूं और अफगान शासक शेरशाह सूरी के बीच 26 जून 1539 को जिला स्थित चौसा के मैदान में लड़ा गया था. बिहार के पश्चिमी भाग में गंगा नदी के किनारे स्थित इस जिले का सियासी और धार्मिक महत्व रहा है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर आधारित है. प्राचीन काल में बक्सर का नाम व्याघ्रसर था, क्योंकि उस समय यहां पर बाघों का निवास हुआ करता था. बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था. जहां राम और लक्ष्मण की प्रारंभिक शिक्षण और प्रशिक्षण हुआ था.

कई आंदोलन के बाद बनाया गया था जिला: वहीं, 11 साल के लंबे आंदोलन के बाद 17 मार्च 1991 को बक्सर को जिला बनाया गया था. इस दौरान कई आंदोलन हुए और करीब 18 प्रमुख लोगों की मौत हो गई थी. बक्सर को जिला बनाने के लिए 1980 से लेकर 1990 तक पांच बार बंद बुलाया गया था जो अभूतपूर्व रहा. कई जन आंदोलन की वजह से बक्सर को जिला का दर्जा मिला.

1764 में हुआ था बक्सर युद्ध: प्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और मीर कासिम तथा अंग्रेज मेजर कैप्टन मुनरो की सेनाओं के बीच 1764 में कतकौली मैदान में लड़ी गई थी. इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई थी जिसमें शुजाउद्दौला और मीर कासिम के लगभग 2 हजार से अधिक सैनिक मारे गए थे. इस युद्ध में इतना रक्तपात हुआ था कि देश की आजादी के 74 साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी इस गांव के लोग आज तक एक बार भी थाना नहीं गए हैं. साथ ही इस गांव के लोगों ने किसी तरह का किसी भी व्यक्ति पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराया है.

ये भी पढ़ें- राजगीर में विश्व शांति स्तूप का 52वां स्थापना दिवस, समारोह में शामिल हुए राज्यपाल फागू चौहान

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बक्सर: 17 मार्च 1991 को स्थापित बक्सर जिला का 31वां स्थापना दिवस समारोह (Foundation Day of Buxar District) धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर जिले भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. शहर के नगर भवन में जिला प्रशासन की ओर से मुख्य समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया. इससे पूर्व सुबह में लोगों को सामाजिक मुद्दों पर जागरूक करने के लिए साइकिल रैली का भी आयोजन किया गया.

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आम लोगों की भागीदारी से ही जिला का विकास संभवः स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए बक्सर डीएम अमन समीर ने सबसे पहले स्थापना दिवस की बधाई दी. इस दौरान डीएम ने कहा कि जन भागीदारी के बिना जिले का विकास संभव नहीं है. जिस काम को करने में प्रशासनिक महकमे के लोगों को 30 साल का समय लगता है, उसे जनभागीदारी से महज 3 साल में पूरा किया जा सकता है. समाज के हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोग आगे आयें और विकास के रास्ते में बक्सर को तेजी से आगे बढ़ाने में सरकार और प्रशासन का सहयोग करें.

संतोष निराला ने पहले डीएम दीपक कुमार की उपलब्धियों को किया यादः जिला स्थापना दिवस के मौके पर बिहार सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री संतोष निराला ने जिले वासियों को 31वें स्थापना दिवस के मौके बधाई देते हुए कहा कि पहले डीएम दीपक कुमार की सोच और कुशल रणनीति से पूरे देश में इस जिले को अलग पहचान मिली थी. आज बक्सर शिक्षा, खेल, पर्यटन, चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है. यहां के युवा पूरे देश में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं.

बक्सर का सियासी और धार्मिक महत्व: बक्सर जिले का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यहां प्रथम युद्ध मुगल सम्राट हुमायूं और अफगान शासक शेरशाह सूरी के बीच 26 जून 1539 को जिला स्थित चौसा के मैदान में लड़ा गया था. बिहार के पश्चिमी भाग में गंगा नदी के किनारे स्थित इस जिले का सियासी और धार्मिक महत्व रहा है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर आधारित है. प्राचीन काल में बक्सर का नाम व्याघ्रसर था, क्योंकि उस समय यहां पर बाघों का निवास हुआ करता था. बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था. जहां राम और लक्ष्मण की प्रारंभिक शिक्षण और प्रशिक्षण हुआ था.

कई आंदोलन के बाद बनाया गया था जिला: वहीं, 11 साल के लंबे आंदोलन के बाद 17 मार्च 1991 को बक्सर को जिला बनाया गया था. इस दौरान कई आंदोलन हुए और करीब 18 प्रमुख लोगों की मौत हो गई थी. बक्सर को जिला बनाने के लिए 1980 से लेकर 1990 तक पांच बार बंद बुलाया गया था जो अभूतपूर्व रहा. कई जन आंदोलन की वजह से बक्सर को जिला का दर्जा मिला.

1764 में हुआ था बक्सर युद्ध: प्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और मीर कासिम तथा अंग्रेज मेजर कैप्टन मुनरो की सेनाओं के बीच 1764 में कतकौली मैदान में लड़ी गई थी. इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई थी जिसमें शुजाउद्दौला और मीर कासिम के लगभग 2 हजार से अधिक सैनिक मारे गए थे. इस युद्ध में इतना रक्तपात हुआ था कि देश की आजादी के 74 साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी इस गांव के लोग आज तक एक बार भी थाना नहीं गए हैं. साथ ही इस गांव के लोगों ने किसी तरह का किसी भी व्यक्ति पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराया है.

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