बक्सर: जिले के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत डिहरी गांव (dehri village) में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. दरअसल मां जानकी ईंट भट्टे के मालिक ने 40 मजदूरों को बंधक बनाकर 8 महीने तक मजदूरी कराया, और पैसे मांगने पर मजदूरों को गोली मारने की धमकी देने लगा. किसी तरह मजदूर अपनी जान बचाकर वहां से भागे. बताया जा रहा है कि बिहार के भागलपुर के सभी मजदूर रहने वाले हैं.
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40 मजदूरों को बनाया गया था बंधक
जिले के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत डिहरी गांव से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. जहां मां जानकी ईंट भट्ठे के मालिक ने भागलपुर के रहने वाले 40 मजदूरों से 8 महीने तक काम करवाया. और जब बरसात का हवाला देकर मजदूर घर जाने के लिए पैसा मांगने लगे तो उन्हें गोली मारने की धमकी देकर डराया गया. जिसके बाद मजदूर स्थानीय लोगों को बर्तन बेचकर किसी तरह गाड़ी के किराए का जुगाड़ कर, बक्सर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. जहां पत्रकारों की नजर उन पर पड़ी तो सभी फूट-फूट कर रोने लगे.
सामाजिक कार्यकर्ता ने की मदद
बक्सर रेलवे स्टेशन पर मजदूरों की हालात को देख स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें भोजन का पैकेट उपलब्ध कराया. साथ ही पैसे की व्यवस्था कर उन्हें भागलपुर भिजवाया. मामला तूल पकड़ता देख स्थानीय पुलिस ने ईंट भट्ठा मालिक से मोटी रकम लेकर, भट्टे पर मजदूर सप्लाई करने वाले ठेकेदार से आवेदन लिखवा लिया. आवेदन में लिखवाया गया कि 'चिमनी भट्ठा मालिक ने पूरे पैसे का भुगतान कर दिया है.
क्या कहते हैं मजदूर
बक्सर रेलवे स्टेशन पर ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करते हुए मजदूरों ने बताया कि महीने में हजार, 15 सौ रुपए भोजन सामग्री की खरीदारी करने के लिए कभी कभार ईंट भट्ठा मालिक के द्वारा भुगतान किया जाता था. लेकिन जब भी हम लोग पैसे की मांग करते थे तो भट्ठा मालिक हम लोगों की पिटाई कर चुप करा देता था. बरसात सर पर आया और भट्टे का काम बंद हो गया तो हम लोग घर जाने के लिए पैसे की मांग किये. इस पर हमें गोली मारने की धमकी दी जाने लगी. आज स्थानीय लोगों को हम लोग अपना बर्तन बेचकर किसी तरह से भागकर बक्सर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे हैं. हमलोगों के ठेकेदार को अभी भी लोहे की जंजीर में बांधकर भट्ठे के मालिक ने अपने पास ही रखा है.
'बारिश आने पर भट्टा बंद कर दिया. और खाना देना भी छह दिन से बंद कर दिया. पैसे मांगने पर मारने की धमकी दी जाती थी.'- मजदूर
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मामले की लीपापोती की कोशिश
मामले को तूल पकड़ता देख स्थानीय पुलिस ने मजदूर सप्लाई करने वाले ठेकेदार को मुक्त कराकर, उससे यह आवेदन लिखवा लिया कि ईंट भट्ठा मालिक द्वारा पैसों की भुगतान कर दिया गया है. जिसके बाद आनन फानन में पुलिस के कहने पर ईंट भट्टा मालिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की. और मजदूर सप्लाई करने वाले ठेकेदार से भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहवा दिया कि ईंट भट्ठे के मालिक ने मुझे पैसे की भुगतान कर दिया है. लेकिन ईटीवी भारत के तीखे सवालों में उलझे भट्टा मालिक कभी ठेकेदार तो कभी मजदूर को पैसा देने की बात कहकर खुद ही उलझ गए.
''ऐसा कुछ नहीं हुआ है. देखिए 22 हजार हम ठेकेदार को दिए हैं. हमने मजदूर को खिलाया पिलाया है. मजदूरों को पांच- पांच सौ रुपये और कपड़ा भी दिया गया है.'- शैलेन्द्र राय, ईंट भट्ठा मालिक
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मजदूरों को कैसे मिलेगा न्याय?
हैरानी की बात है कि इस कोरोना काल में जिन अधिकारियों के कंधे पर मजदूरों को खाना खिलाने और न्याय दिलवाने की जिम्मेवारी है. वही अधिकारी चन्द रुपए की लालच में पूरी कहानी को ही बदल डाला है. और मजदूरों की बात करने वाले संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारी उन मजदूरों का बयान लेने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं.
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