ETV Bharat / state

धान का बीज नहीं मिलने से मायूस हैं अन्नदाता, देख रहे हैं अधिकारियों की राह - रोहिणी नक्षत्र

कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिला के किसानों को अब तक धान का बीज नहीं मिला है. रोहिणी नक्षत्र में बीज नहीं पड़ने के कारण खरीफ के साथ रवि फसल के उत्पादन में भी नुकसान उठाना पड़ेगा.

खेत
खेत
author img

By

Published : Jun 4, 2020, 2:22 PM IST

बक्सरः लंबे समय से देश में लगे लॉकडाउन ने जिले के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है. अब तक परेशानियों का सामना कर रहे किसानों की समस्या का निदान ना तो विभागीय अधिकारी कर रहे हैं, और ना ही सरकार. 25 मई से 8 जून के बीच रोहिणी नक्षत्र में जिला के किसान खेतों में धान का बीज गिराते हैं, लेकिन इस साल विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण 6 दिन गुजर जाने के बाद भी किसानों को धान का बीज नहीं मिल पाया. जिससे वह काफी परेशान हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय किसान
जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत जगदीशपुर पंचायत के मुखिया सह किसान अनिल यादव ने बताया कि जिन किसानों ने पिछले साल का ही बीज बचाकर रखे हैं, वह बीज डाल रहे हैं. लेकिन जिसके पास घर का बीज नहीं है, वह विभागीय अधिकारियों की राह देख रहे हैं. उन्हें अब तक बीज नहीं मिला है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कोई नहीं लेता मध्यम वर्ग के किसानों की सुध'
वहीं, किसान जवाहर गोंड ने कहा कि इस कृषि प्रधान देश में किसान होना ही पाप है. इस देश में नेता हो या अधिकारी केवल किसानों का इस्तेमाल करते हैं. बड़े किसानों से साठगांठ करते हैं. लेकिन मध्यम वर्ग के किसानों की सुध कोई नहीं लेता. तपति धूप में सब्जी और प्याज की फसल को तैयार किया था. लॉकडाउन में कोई खरीददार नहीं मिला. रोहिणी नक्षत्र खत्म हो रहा है, लेकिन अधिकारी अब तक बीज भी उपलब्ध नहीं करा सके. किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा?

अनिल यादव, मुखिया सह किसान
अनिल यादव, मुखिया सह किसान

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन से बोधगया में छाया सन्नाटा, पर्यटन व्यवसाय को एक अरब से ज्यादा के नुकसान का अनुमान

'किसानों की चिंता स्वाभाविक है'
किसानों की इस समस्या को लेकर जब कृषि विज्ञान केंद्र के प्लांट प्रोटेक्शन अधिकारी रामकेवल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता स्वाभाविक है. 25 मई से 8 जून के बीच ही जिला में धान का बीज गिराने का उत्तम समय माना जाता है. जो किसान 8 जून से पहले बीज नहीं डालते हैं, उन्हें खरीफ के साथ ही साथ रवि फसल में भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि बक्सर जिला में 15 जून से 20 जून के बीच मानसून का आगमन हो जाता है. ऐसे में जो किसान रोहिणी नक्षत्र में बीज डालते हैं, उनका बिचड़ा 21 दिन में तैयार हो जाता है और वह समय से धान की रोपनी कर लेते हैं. इससे उत्पादन भी अधिक होता है.

buxar
रामकेवल, प्लांट प्रोटेक्शन अधिकारी

डीएम के निर्देश की भी हो रही अनदेखी
गौरतलब है कि जिला के किसानों की समस्या को लेकर, जिलाधिकारी अमन समीर ने भी जिला कृषि पदाधिकारी को कई बार किसानों को बीज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उसके बाद भी किसानों की परेशानियां दूर नहीं हो पाई. कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिला के किसानों को अब तक धान का बीज नहीं मिला. रोहिणी नक्षत्र में बीज नहीं पड़ने के कारण खरीफ के साथ रवि फसल के उत्पादन में भी नुकसान उठाना पड़ेगा.

बीज उत्पादन केंद्र
बीज उत्पादन केंद्र

बक्सरः लंबे समय से देश में लगे लॉकडाउन ने जिले के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है. अब तक परेशानियों का सामना कर रहे किसानों की समस्या का निदान ना तो विभागीय अधिकारी कर रहे हैं, और ना ही सरकार. 25 मई से 8 जून के बीच रोहिणी नक्षत्र में जिला के किसान खेतों में धान का बीज गिराते हैं, लेकिन इस साल विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण 6 दिन गुजर जाने के बाद भी किसानों को धान का बीज नहीं मिल पाया. जिससे वह काफी परेशान हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय किसान
जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत जगदीशपुर पंचायत के मुखिया सह किसान अनिल यादव ने बताया कि जिन किसानों ने पिछले साल का ही बीज बचाकर रखे हैं, वह बीज डाल रहे हैं. लेकिन जिसके पास घर का बीज नहीं है, वह विभागीय अधिकारियों की राह देख रहे हैं. उन्हें अब तक बीज नहीं मिला है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कोई नहीं लेता मध्यम वर्ग के किसानों की सुध'
वहीं, किसान जवाहर गोंड ने कहा कि इस कृषि प्रधान देश में किसान होना ही पाप है. इस देश में नेता हो या अधिकारी केवल किसानों का इस्तेमाल करते हैं. बड़े किसानों से साठगांठ करते हैं. लेकिन मध्यम वर्ग के किसानों की सुध कोई नहीं लेता. तपति धूप में सब्जी और प्याज की फसल को तैयार किया था. लॉकडाउन में कोई खरीददार नहीं मिला. रोहिणी नक्षत्र खत्म हो रहा है, लेकिन अधिकारी अब तक बीज भी उपलब्ध नहीं करा सके. किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा?

अनिल यादव, मुखिया सह किसान
अनिल यादव, मुखिया सह किसान

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन से बोधगया में छाया सन्नाटा, पर्यटन व्यवसाय को एक अरब से ज्यादा के नुकसान का अनुमान

'किसानों की चिंता स्वाभाविक है'
किसानों की इस समस्या को लेकर जब कृषि विज्ञान केंद्र के प्लांट प्रोटेक्शन अधिकारी रामकेवल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता स्वाभाविक है. 25 मई से 8 जून के बीच ही जिला में धान का बीज गिराने का उत्तम समय माना जाता है. जो किसान 8 जून से पहले बीज नहीं डालते हैं, उन्हें खरीफ के साथ ही साथ रवि फसल में भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि बक्सर जिला में 15 जून से 20 जून के बीच मानसून का आगमन हो जाता है. ऐसे में जो किसान रोहिणी नक्षत्र में बीज डालते हैं, उनका बिचड़ा 21 दिन में तैयार हो जाता है और वह समय से धान की रोपनी कर लेते हैं. इससे उत्पादन भी अधिक होता है.

buxar
रामकेवल, प्लांट प्रोटेक्शन अधिकारी

डीएम के निर्देश की भी हो रही अनदेखी
गौरतलब है कि जिला के किसानों की समस्या को लेकर, जिलाधिकारी अमन समीर ने भी जिला कृषि पदाधिकारी को कई बार किसानों को बीज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उसके बाद भी किसानों की परेशानियां दूर नहीं हो पाई. कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिला के किसानों को अब तक धान का बीज नहीं मिला. रोहिणी नक्षत्र में बीज नहीं पड़ने के कारण खरीफ के साथ रवि फसल के उत्पादन में भी नुकसान उठाना पड़ेगा.

बीज उत्पादन केंद्र
बीज उत्पादन केंद्र
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.