बक्सरः गुप्तेश्वर पांडे जब वीआरएल लेकर जेडीयू में शामिल हुए थे तब चर्चा थी कि गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. मजेदार बात यह है कि उन्हीं के महकमे में हवलदार रहे परशुराम चतुर्वेदी उनपर भारी पड़ गए. एनडीए में हुए सीट बंटवारे में यह सीट बीजेपी के खाते में गई और पार्टी ने परशुराम को यहां से मैदान में उतार दिया.
चतुर्वेदी ने 2004 में हवलदार पद से ली थी वीआरएस
दरअसल, परशुराम चतुर्वेदी 1985 में बिहार पुलिस में सिपाही पद पर बहाल हुए थे और 2004 में हवलदार पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आ गए. तब से बीजेपी के लिए संगठन में लगातार काम कर रहे थे. चतुर्वेदी 2015 विधानसभा चुनाव में भी बक्सर से बतौर बीजेपी कैंडिडेट दावेदार थे. लेकिन भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रहे प्रदीप दुबे को टिकट दिया गया था. परशुराम चतुर्वेदी पूर्व डीजीपी के गांव गेरुआ बांध से 10 किलोमीटर दूर महदह के रहने वाले हैं.
2009 में कोशिश कर रहे हैं गुप्तेश्वर पांडे
बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय ने चुनाव लड़ने के लिए 2009 में भी पुलिस सेवा से वीआरएल ली थी. तब बीजेपी के टिकट पर बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी. लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण तब भी उनकी यह हसरत अधुरी रह गई थी. इधर सरकार की ओर से उनकी वीआरएल स्वीकार नहीं की गई थी. लिहाजा एक बार फिर से पुलिस सेवा में वापसी कर ली थी.