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बक्सरः इलाज के अभाव में जिला परिषद कार्यालय के क्लर्क की मौत, शव के साथ प्रदर्शन - बक्सर में प्रदर्शन

मृतक की बहन ने बताया कि जिला परिषद कार्यालय के अधिकारियों से मदद मांगी गई थी. लेकिन कोई मदद करने सामने नहीं आया. इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई.

बस्सर
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Published : Jun 4, 2020, 4:30 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 5:02 PM IST

बक्सरः जिला परिषद कार्यालय में क्लर्क के पद पर तैनात युवक की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई. आर्थिक तंगी की वजह से उसका इलाज नहीं हो सका. जिला परिषद कार्यालय ने भी उसकी मदद नहीं थी. परिजनों ने इसके विरोध में उसके शव को कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन किया.

सिमरी प्रखंड का रहने वाला था संतोष
दरअरल, मूल रूप से सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव निवासी 40 वर्षीय संतोष कुमार ओझा की मौत आर्थिक तंगी की वजह से इलाज के अभाव में हो गई. वह घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था. जिसकी असमय मौत से परिवार पर दूख का पहाड़ टूट पड़ा. अचानक ब्रेन हैमरेज होने के बाद उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के लिए अस्पताल मोटी रकम की मांग कर रहा था. जो की उसके परिवार के पास नहीं थी.

'अधिकारियों ने नहीं की मदद'
मृतक की बहन श्वेता ओझा ने बताया कि जिला परिषद कार्यालय में अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई थी लेकिन सुध नहीं लिया गया. अधिकारी बोलते रहे कि संतोष खुद आएगा तो मदद की जाएगी. भला ऐसी हालत में वह कैसे आता. अंतः इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया.

पेश है रिपोर्ट

नौकरी की मांग
श्वेता ने बताया कि संतोष के बाद उसकी और उसकी मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. परिवार का भरण-पोषण बड़ी चुनौती हो गई है. उसने संतोष की जगह नौकरी की मांग की है.

बक्सरः जिला परिषद कार्यालय में क्लर्क के पद पर तैनात युवक की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई. आर्थिक तंगी की वजह से उसका इलाज नहीं हो सका. जिला परिषद कार्यालय ने भी उसकी मदद नहीं थी. परिजनों ने इसके विरोध में उसके शव को कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन किया.

सिमरी प्रखंड का रहने वाला था संतोष
दरअरल, मूल रूप से सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव निवासी 40 वर्षीय संतोष कुमार ओझा की मौत आर्थिक तंगी की वजह से इलाज के अभाव में हो गई. वह घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था. जिसकी असमय मौत से परिवार पर दूख का पहाड़ टूट पड़ा. अचानक ब्रेन हैमरेज होने के बाद उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के लिए अस्पताल मोटी रकम की मांग कर रहा था. जो की उसके परिवार के पास नहीं थी.

'अधिकारियों ने नहीं की मदद'
मृतक की बहन श्वेता ओझा ने बताया कि जिला परिषद कार्यालय में अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई थी लेकिन सुध नहीं लिया गया. अधिकारी बोलते रहे कि संतोष खुद आएगा तो मदद की जाएगी. भला ऐसी हालत में वह कैसे आता. अंतः इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया.

पेश है रिपोर्ट

नौकरी की मांग
श्वेता ने बताया कि संतोष के बाद उसकी और उसकी मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. परिवार का भरण-पोषण बड़ी चुनौती हो गई है. उसने संतोष की जगह नौकरी की मांग की है.

Last Updated : Jun 5, 2020, 5:02 PM IST
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