बक्सर: बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की बक्सर से आयी ताजी तस्वीर ईटीवी भारत पर दिखाए जाने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी (Buxar District Education Officer) ने सफाई दी है. डीईओ ने माना है कि विभाग में फंड की कमी के कारण पांचवी और आठवीं क्लास के सभी छात्र-छात्राओं को प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराया जा सका.
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जिला शिक्षा पदाधिकारी ने ईटीवी भारत की खबर को सही बताते हुए कहा कि जिले के एक-दो प्रखण्ड से इस तरह की जानकारी मिली थी कि प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका नहीं है. जिसके बाद ब्लैक बोर्ड पर सवाल लिखकर परीक्षा लेने का आदेश दिया गया था, कोरोना काल के बाद अचानक सरकारी स्कूलों में छात्र छात्राओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है, जिसके कारण इस तरह की समस्या उत्पन्न हुई है.
डीईओ की इस सफाई के बाद जब पूछा गया कि, छात्र छात्राओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई तो उसके बाद भी अतिरिक्त प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका की व्यवस्था क्यों नहीं की गई. इस पर उन्होंने कहा कि विभाग के पास फंड ही नहीं था कि अतिरिक्त प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका की व्यवस्था की जाती. जिले में इतने स्कूल हैं कि कहीं ना कहीं इस तरह की समस्या उत्पन्न होगी ही, यह कोई बड़ा विषय नहीं है.
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वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए जदयू नेता संजय सिंह ने कहा कि, इस तरह के अधिकारियों पर जिलाधिकारी कार्रवाई करें. राज्य सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है. दुर्भाग्य है कि छात्र छात्राओं को प्रश्न पत्र तक अधिकारी उपलब्ध नहीं करा सके.
गौरतलब है कि बिहार के सरकारी विद्यालयों में दो साल बाद 5वीं और 8वीं क्लास के छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा ली गई. बक्सर और डुमराव अनुमंडल के दर्जनों विद्यालय में परीक्षा दे रहे छात्रों को विभाग ने ना तो प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए और ना ही उत्तर पुस्तिका, शिक्षक ब्लैक बोर्ड पर ही सवालों को लिख देते थे. जिसका उत्तर लिखने के लिए छात्रों को खुद से उत्तर पुस्तिका दुकान से खरीदकर लानी पड़ी. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया.
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