बक्सर: भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह (CPI MLA Ajit Kumar Singh) ने बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान विभागीय मंत्री सवाल पूछने पर जनप्रतिनिधियों को गलत जवाब देते हैं. विधायक ने कहा कि जो डॉक्टर अस्पताल से गायब रहते हैं, वे लोग भी वेतन ले रहे हैं. यही कारण है कि विकास के इस दौर में भी अशिक्षा, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार (Corruption In Bihar) बढ़ते जा रहे हैं.
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चार दिवसीय शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, निबंधन और खेल से जुड़े कुल 16 समस्याओं को बिहार विधानसभा में भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह के द्वारा उठाया गया था. जिसमें से सरकार की ओर से 7 सवालों का ही जवाब दिया गया, जबकि 9 सवाल का जवाब आना अभी बाकी है. विधायक का आरोप है कि जो भी विभागीय मंत्री ने जवाब दिया है, उसमें जमीन आसमान का अंतर है.
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प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर नीति आयोग के द्वारा पहले ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया है. उसके बाद भी समय-समय पर सरकार कई दावे करती है. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आर्थिक रूप से समृद्ध जिले का डुमराव अनुमंडल विकास के इस दौर में दिन-प्रतिदिन बिछड़ते जा रहा है. इसका मुख्य कारण है कि सरकार सिर्फ कागजों पर ही विकास के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रहता है.
यह वही अनुमंडलीय अस्पताल है, जहां तीन साल से एक दिन भी ड्यूटी नहीं करने वाले डॉक्टर नियमित रूप से वेतन उठा रहे हैं. विभागीय मंत्री उन्हें ऑन ड्यूटी दिखा रहे हैं. ऐसे में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा आखिर कैसे मिलेगा. कुछ ही दिन पहले जीआरपी के जवानों के द्वारा एक मरीज को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिन्हें देखने वाला कोई डॉक्टर तक नहीं था और उस मरीज के शरीर में कीड़े पड़ गए थे. जिसके बाद सफाईकर्मियों ने जख्म पर फिनाइल डाल दिया था. उसके बाद भी सरकार कह रही है कि 18 डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात है. 6 से अधिक डॉक्टरों ने कहा कि उनके बारे में तो विभागीय अधिकारी भी नहीं जानते हैं.
वहीं, दूसरी ओर जिले के डुमरांव और नावानगर प्रखण्ड में सरकार की शिक्षा और शिक्षा नीति मृत सैया पर है. दो कमरे वाले विद्यालय में 150 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और उसी में कार्यालय भी चल रहा है. बच्चो के लिए मिड-डे मिल भी बन रहा है. इसके बावजूद सरकार कहती है कि छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा दी जा रही है. देश के सारे सांसद, विधायक, अधिकारी अपने बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालयों में क्यो नहीं करा रहे हैं. जिससे सभी के बच्चों को सामान्य रूप से शिक्षा मिले.
जिले में 2 लाख 9 हजार किसान हैं. 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य होता है लेकिन किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. इसी अनुमंडल के रहने वाले प्रदेश के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह है जो कि नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने का दावा कर रहे हैं लेकिन इस जिले में नहरों की क्या हालात है यह कोई देखने वाला नहीं है. नहर में मिट्टी और घास पतवार जाम है. पानी आने-जाने के सारे रास्ते ब्लॉक है. उसके बाद भी किसानों के खेतों तक पानी कागजों में पहुंच रहा है. ऐसे में किसान कैसे आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे, उनके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिलेगी. उनके परिजनों का बेहतर इलाज कैसे होगा और सरकार के मंत्री झूठे दलील देने में लगे हुए हैं.
गौरतलब है कि शुरू से ही डुमराव, राजाओं-महाराजाओं का रियासत रहा है. मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म इसी डुमराव शहर में हुआ था लेकिन हैरानी की बात है कि चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों के द्वारा कई दावें और वादे किए जाते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही सभी दावें और वादे भी खत्म हो जाते है. यही कारण है कि विकास के इस दौर में भी अनुमंडल पिछड़ता जा रहा है.
बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान यह घोषणा किया गया था कि डुमराव में मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का निर्माण किया जाएगा लेकिन चुनाव खत्म होने के दो साल बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. इस अनुमंडल में आज जो भी दिखाई दे रहा है वह राज परिवार की देन है. यहां की सरकार राज परिवार के द्वारा दान दिए गए उस विरासत को भी बचाने में नाकाम साबित हो रही है.
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