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बक्सर: ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप

ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार पर उनके ही विभाग के कर्मियों में धमकाकर वेतन से पैसों की वसूली के आरोप लगाए हैं. साथ ही राज्य सरकार को पत्र लिखकर उनसे निष्पक्ष जांच की मांग की है.

ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप
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Published : Nov 21, 2019, 10:15 AM IST

बक्सर: जिले में ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. जिसके बाद सरकार के अवर सचिव के आदेश पर बक्सर डीएसपी हेड क्वार्टर और एडीएम मामले की जांच कर रहे हैं.

कर्मियों ने राज्य सरकार को लिखा पत्र
दरअसल लेखा पदाधिकारी पर उन्हीं के विभाग के कर्मियों ने आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि मुकेश हमेशा उनके वेतन से 5 से 10 हजार रुपये वसूल लेता है. उन्होंने कहा कि वो उपविकास आयुक्त का नाम लेकर पैसे नहीं देने वालों पर योजनाओं का गलत प्रतिवेदन लिखकर बर्खास्त करवाने की धमकी देता था.

buxar
पंचायत रोजगार सेविका शीला कुमारी

6 लोगों पर मनरेगा के काम में गड़बड़ी का आरोप
आरोप के बाद लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह की मनगढ़ंत कहानी बनाई गई है. पंचायत रोजगार सेविका शीला कुमारी ने बताया कि एक ही योजना में 6 लोगों पर मनरेगा के काम में गड़बड़ी का आरोप लगा था. जिसके बाद उपविकास आयुक्त कार्यलय से 5 लोगों को क्लीन चिट दे दी गई. उन्होंने कहा कि पैसा देने से इनकार करने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.

ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप

'मामले की बारीकी से जांच हो'
उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले की बारीकी से जांच हो और दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिए. विभाग में तैनात कई कर्मियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार प्रत्येक महीने सभी कर्मियों से पैसे की वसूली करता है. बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी जाने के डर से वे लोग चुप्पी साधे हुए हैं.

बक्सर: जिले में ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. जिसके बाद सरकार के अवर सचिव के आदेश पर बक्सर डीएसपी हेड क्वार्टर और एडीएम मामले की जांच कर रहे हैं.

कर्मियों ने राज्य सरकार को लिखा पत्र
दरअसल लेखा पदाधिकारी पर उन्हीं के विभाग के कर्मियों ने आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि मुकेश हमेशा उनके वेतन से 5 से 10 हजार रुपये वसूल लेता है. उन्होंने कहा कि वो उपविकास आयुक्त का नाम लेकर पैसे नहीं देने वालों पर योजनाओं का गलत प्रतिवेदन लिखकर बर्खास्त करवाने की धमकी देता था.

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पंचायत रोजगार सेविका शीला कुमारी

6 लोगों पर मनरेगा के काम में गड़बड़ी का आरोप
आरोप के बाद लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह की मनगढ़ंत कहानी बनाई गई है. पंचायत रोजगार सेविका शीला कुमारी ने बताया कि एक ही योजना में 6 लोगों पर मनरेगा के काम में गड़बड़ी का आरोप लगा था. जिसके बाद उपविकास आयुक्त कार्यलय से 5 लोगों को क्लीन चिट दे दी गई. उन्होंने कहा कि पैसा देने से इनकार करने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.

ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप

'मामले की बारीकी से जांच हो'
उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले की बारीकी से जांच हो और दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिए. विभाग में तैनात कई कर्मियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार प्रत्येक महीने सभी कर्मियों से पैसे की वसूली करता है. बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी जाने के डर से वे लोग चुप्पी साधे हुए हैं.

Intro:जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग के लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार पर भ्रष्टाचार का लगा आरोप, सरकार के अवर सचिव के आदेश पर बक्सर डीएसपी हेड क्वार्टर एवं एडीएम मामले की कर रहे हैं जांच।


Body:जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग में तैनात पंचायत तकनीकी सहायक तथा कनीय अभियंता शंभू कुमार ,रविंद्र कुमार, राकेश कुमार यादव, समेत पांच कर्मियों ने अपने ही विभाग के लेखा पदाधिकारी पर अवैध तरीका से मनरेगा में कार्यरत कर्मियों से लूट खसोट का आरोप लगाते हुए, राज्य सरकार को पत्र लिखा है,जिसके बाद राज्य सरकार के अवर सचिव के निर्देश पर पूरे मामले की जांच एडीएम चन्द्रशेखर झा,एवं हेडक्वार्टर डीएसपी अरुण कुमार के द्वारा कराई जा रही है, दरअसल जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग में तैनात लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार पर उन्हीं के विभाग के कर्मियों ने यह आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा है कि, लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार के द्वारा दबंगई दिखाकर तथा नौकरी से बर्खास्त करवा देने की धमकी देकर हमेशा वेतन की राशि से 5 से 10 हजार रुपये सभी कनीय अभियंता तथा पंचायत तकनीकी सहायक से वसूल किया जाता है ,आरोपी मुकेश कुमार के द्वारा, उप विकास आयुक्त का नाम लेकर ,बार-बार यह धमकी दिया जाता है कि, मैं उप विकास आयुक्त के छत्रछाया में हूं, जो लोग पैसा नहीं देंगे उनकी योजनाओं का जांच करा कर गलत प्रतिवेदन लिखकर बर्खास्त करवा दूंगा, राज्य सरकार इस पूरे मामले की विजिलेंस से जांच कराएं, क्योंकि हमारा नाम सामने आने पर हम लोगों को बर्खास्त कर दिया जाएगा ,जिसके कारण हम लोग इस आवेदन पर फर्जी दस्तखत कर रहे हैं, मुकेश कुमार हम कर्मियों से इंडियन बैंक के पीछे स्थित अपने आवास पर पैसे की वसूली की जाती है । उन पैसों से मुकेश कुमार के द्वारा बक्सर में ही 80 लाख रुपये की जमीन खरीद की गई है।
वही अपने ही विभाग के कर्मियों द्वारा लगाए गए आरोप के बाद लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि हमारी छवि खराब करने के लिए इस तरह का मनगढ़ंत कहानी बनाई गई है।

byte आरोपी मुकेश कुमार

वहीं अब इस मामले को लेकर पंचायत रोजगार सेविका शीला कुमारी ने बताया कि जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है ,जिसका उदाहरण है कि, एक ही योजना में पीआरएस पीटीए एई ,कनीय अभियंता,कार्यपालक अभियंता समेत 6 लोगो पर मनरेगा के काम मे गड़बड़ी करने का आरोप लगा उसके बाद उपविकास आयुक्त कार्यलय से 5 लोगो को क्लीनचिट दे दी गई जबकि हमसे पैसा मंगा गया तो हमने पैसा देने से इनकार कर दिया,तो मुझे बर्खास्त कर दिया गया,जिसके बाद मैं लोक अदालत में इस मामले को ले गई हूं कि एक ही गुनाह में 5 निर्दोष और हम दोषी कैसे हो गए।

byte शिला कुमारी-पूर्व पंचायत रोजगार सेविका

वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर जब उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार से पूछा गया तो ,उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि, इस पूरे मामले की बारीकी से जांच होनी चाहिए और दोषी चाहे जो भी हो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

byte-अरविंद कुमार उपविकास आयुक्त



Conclusion:गौरतलब है कि जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग में तैनात कई कर्मियों ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया कि, लेखा पदाधिकारी मुकेश कुमार के द्वारा प्रत्येक महीना हम सभी कर्मियों से पैसे की वसूली की जाती है, लेकिन बेरोजगारी के इस दौर में कहीं नौकरी नहीं चली जाए इसलिए हम सब चुप्पी साधे हुए हैं।
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