बक्सर: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने लोकसभा से तीन कृषि विधेयक पास कर किसानों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की एक कोशिश की है. इसके बाद देश के कई राज्यों में इसका पुरजोर विरोध हो रहा है. देश के अलग-अलग की सभी विपक्षी पार्टियां इसे सरकार की हिटलर शाही फरमान बताकर उसे कटघरे में खड़ा करने में लगी हुई हैं.
कई प्रदेशों में हो रहा है इसका विरोध
तीनों कृषि विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में कृषि से जुड़े इस विधेयक को लेकर लगतार विरोध प्रदर्शन हो रहा है. सरकार द्वारा लाए गए इस बिल में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसान और व्यापारियों को मंडी से बाहर फसल बेचने की आजादी तो होगी, लेकिन इसे आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर देने के कारण, कानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के हाथ में चला जाएगा.
क्या कहते हैं कांग्रेस विधायक
इस कृषि विधेयक को लेकर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, इस कानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र पर पूंजीपतियों और कार्पोरेट घराने का कब्जा हो जाएगा. मोदी सरकार का यही उद्देश्य है कि, पूंजीपतियों के हाथ में देश को गिरवी रख देना है. यही कारण है, कि इस काले कानून को किसानों के ऊपर जबरदस्ती केन्द्र सरकार थोप रही है.
किसानों को विपक्ष कर रहा है गुमाराह
किसानों एवं विपक्षी पार्टियों द्वारा इस विधेयक का विरोध करने पर, एनडीए के सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि, जब यह विधेयक कानून का शक्ल लेगा, तो किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव होगी. विपक्षी पार्टी के नेता किसानों को इस मुद्दे पर गुमराह कर अपना राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं.