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तीसरे दिन भी वायु सेना के हेलीकॉप्टर चिनूक को कीचड़ से निकालने की नाकाम रही कोशिश

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बक्सर में जुटी है. वहीं, आज तीसरे दिन भी चिनूक को कीचड़ से निकालने की तमाम कोशिशें की गईं. घंटे भर के प्रयास के बाद भी विशालकाय हेलीकॉप्टर नहीं हिला. पढ़िए पूरी खबर..

चिनूक को कीचड़ से निकालने की नाकाम कोशिश
चिनूक को कीचड़ से निकालने की नाकाम कोशिश
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Published : Aug 27, 2021, 10:59 PM IST

बक्सर: इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान बुधवार की शाम भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हेलीकाप्‍टर चिनूक (Indian Airforce Helicopter Chinook) में तकनीकी खराबी आ गई थी. जिसके बाद बक्सर जिले के राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में इसकी इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी थी. चिनूक को दुरुस्त करने के लिए 24 घंटे से इंजीनियरों की टीम लगी है. वहीं, शुक्रवार को चिनूक हेलीकॉप्टर को कीचड़ से निकालने की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन नाकाम साबित हुईं.

ये भी पढ़ें : ओसामा बिन लादेन को मार गिराने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने बक्सर पहुंचे इंजीनियर

इंजीनियरों की टीम पिछले 24 घंटे से चिनूक को दुरूस्त में जुटी है. वहीं देसी जुगाड़ के सहारे चिनूक को कीचड़ निकालने की कोशिश की गई लेकिन वह भी फेल साबित हुई. ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारने वाले चिनूक को कीचड़ से निकालने के लिए वायु सेना के इंजीनियरों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से 4 ट्रैक्टरों को लगाया. इस विशालकाय हेलीकॉप्टर को कीचड़ से खींचकर बाहर निकालने के लिए घंटों प्रयास किया गया लेकिन यह 1 इंच भी नहीं हिला.

देखें वीडियो

वहीं, चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने के लिए देसी हेलीकॉप्टर चेतक तमाम उपकरणों को लेकर जिले के राजपुर प्रखण्ड अंतर्गत मानिकपुर हाई स्कूल के मैदान में पहुंचा. उसके बाद भी चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने में सफलता नहीं मिली. इसके बाद ग्राउंड के दलदल को दूर करने के लिए फील्ड के घासों की कटाई कर ईंट की शोलिंग करने की तैयारी चल रही है. वहीं जिले के राजपुर प्रखंड के मानिकपुर हाई स्कूल में उपस्थित वायु सेना के अधिकारी इस पूरे मामले पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन के अधिकारी सेना से जुड़े होने के कारण इस मामले पर खामोश हैं.

तीन दिन पहले बुधवार की शाम इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर जैसे ही बक्सर की सीमा में प्रवेश किया, हेलीकॉप्टर के पंखे से चिंगारी निकलनी शुरू हो गयी. आनन-फानन में जिले के राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल के कैम्पस में आपातकालीन लैंडिंग कराई गई थी. अधिक कीचड़ और जल जमाव होने के कारण हेलीकॉप्टर का पहिया जमीन में धंस गया है.

वहीं, हेलीकॉप्टर में सवार सभी भारतीय वायु सेना के 20 अधिकारी और कर्मी सुरक्षित बाहर निकल गए थे. जिसके बाद वायु सेना के इंजीनियरों के द्वारा हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने की कोशिश की जा रही है. लेकिन 3 दिन गुजर जाने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो शुक्रवार को देसी जुगाड़ के सहारे हेलीकॉप्टर को कीचड़ से निकालने की कोशिश की गई लेकिन वह विफल साबित हुई.

वायु सेना के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलवामा हमले के बाद, मार्च 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. यह हेलीकॉप्टर 10 टन तक वजन उठाकर उड़ सकता है. आपदा के समय एवं दुर्गम इलाको में ऑपरेशन करने के लिए इस हेलीकॉप्टर को ब्रह्मास्त्र माना जाता है. एक साथ इस हेलीकॉप्टर में 50-55 लोग बैठ सकते हैं. आपदा के दौरान 24 स्ट्रैचर इसके अंदर एक साथ लग सकता है. दुर्गम इलाकों में 20 हजार फीट तक की ऊंचाइयों पर उड़ने में इसे महारत हासिल है.

यह भी पढ़ें- बक्सर में वायु सेना के हेलीकॉप्टर चिनूक की इमरजेंसी लैंडिंग

अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर ने ही पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो-सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीदा था. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.

तकनीकी खराबी के कारण मानिकपुर हाई स्कूल के फील्ड में चिनूक हेलीकॉप्टर की आपतकालीन लैंडिंग कराने की सूचना मिलने के बाद जिले के दूर दराज के इलाके से हजारों लोग इस हेलीकॉप्टर को देखने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं. सुरक्षात्मक दृष्टि से जिला प्रशासन एवं स्थानीय थाना के अधिकारी लगातार वहां कैम्प कर रहे हैं. उस हेलीकॉप्टर में सवार सभी वायुसेना के कर्मियों को हाईस्कूल में ही ठहराया गया है.

यह भी पढ़ें- चिनूक ने केदारनाथ के पास से एमआई-17 के मलबे को लेकर भरी उड़ान

यह भी पढ़ें- बिहार में टला बड़ा हादसा : चिनूक हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग, वायुसेना के 20 से ज्यादा अधिकारी-जवान थे सवार

बक्सर: इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान बुधवार की शाम भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हेलीकाप्‍टर चिनूक (Indian Airforce Helicopter Chinook) में तकनीकी खराबी आ गई थी. जिसके बाद बक्सर जिले के राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में इसकी इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी थी. चिनूक को दुरुस्त करने के लिए 24 घंटे से इंजीनियरों की टीम लगी है. वहीं, शुक्रवार को चिनूक हेलीकॉप्टर को कीचड़ से निकालने की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन नाकाम साबित हुईं.

ये भी पढ़ें : ओसामा बिन लादेन को मार गिराने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने बक्सर पहुंचे इंजीनियर

इंजीनियरों की टीम पिछले 24 घंटे से चिनूक को दुरूस्त में जुटी है. वहीं देसी जुगाड़ के सहारे चिनूक को कीचड़ निकालने की कोशिश की गई लेकिन वह भी फेल साबित हुई. ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारने वाले चिनूक को कीचड़ से निकालने के लिए वायु सेना के इंजीनियरों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से 4 ट्रैक्टरों को लगाया. इस विशालकाय हेलीकॉप्टर को कीचड़ से खींचकर बाहर निकालने के लिए घंटों प्रयास किया गया लेकिन यह 1 इंच भी नहीं हिला.

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वहीं, चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने के लिए देसी हेलीकॉप्टर चेतक तमाम उपकरणों को लेकर जिले के राजपुर प्रखण्ड अंतर्गत मानिकपुर हाई स्कूल के मैदान में पहुंचा. उसके बाद भी चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने में सफलता नहीं मिली. इसके बाद ग्राउंड के दलदल को दूर करने के लिए फील्ड के घासों की कटाई कर ईंट की शोलिंग करने की तैयारी चल रही है. वहीं जिले के राजपुर प्रखंड के मानिकपुर हाई स्कूल में उपस्थित वायु सेना के अधिकारी इस पूरे मामले पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन के अधिकारी सेना से जुड़े होने के कारण इस मामले पर खामोश हैं.

तीन दिन पहले बुधवार की शाम इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर जैसे ही बक्सर की सीमा में प्रवेश किया, हेलीकॉप्टर के पंखे से चिंगारी निकलनी शुरू हो गयी. आनन-फानन में जिले के राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल के कैम्पस में आपातकालीन लैंडिंग कराई गई थी. अधिक कीचड़ और जल जमाव होने के कारण हेलीकॉप्टर का पहिया जमीन में धंस गया है.

वहीं, हेलीकॉप्टर में सवार सभी भारतीय वायु सेना के 20 अधिकारी और कर्मी सुरक्षित बाहर निकल गए थे. जिसके बाद वायु सेना के इंजीनियरों के द्वारा हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने की कोशिश की जा रही है. लेकिन 3 दिन गुजर जाने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो शुक्रवार को देसी जुगाड़ के सहारे हेलीकॉप्टर को कीचड़ से निकालने की कोशिश की गई लेकिन वह विफल साबित हुई.

वायु सेना के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलवामा हमले के बाद, मार्च 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. यह हेलीकॉप्टर 10 टन तक वजन उठाकर उड़ सकता है. आपदा के समय एवं दुर्गम इलाको में ऑपरेशन करने के लिए इस हेलीकॉप्टर को ब्रह्मास्त्र माना जाता है. एक साथ इस हेलीकॉप्टर में 50-55 लोग बैठ सकते हैं. आपदा के दौरान 24 स्ट्रैचर इसके अंदर एक साथ लग सकता है. दुर्गम इलाकों में 20 हजार फीट तक की ऊंचाइयों पर उड़ने में इसे महारत हासिल है.

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अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर ने ही पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो-सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीदा था. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.

तकनीकी खराबी के कारण मानिकपुर हाई स्कूल के फील्ड में चिनूक हेलीकॉप्टर की आपतकालीन लैंडिंग कराने की सूचना मिलने के बाद जिले के दूर दराज के इलाके से हजारों लोग इस हेलीकॉप्टर को देखने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं. सुरक्षात्मक दृष्टि से जिला प्रशासन एवं स्थानीय थाना के अधिकारी लगातार वहां कैम्प कर रहे हैं. उस हेलीकॉप्टर में सवार सभी वायुसेना के कर्मियों को हाईस्कूल में ही ठहराया गया है.

यह भी पढ़ें- चिनूक ने केदारनाथ के पास से एमआई-17 के मलबे को लेकर भरी उड़ान

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