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बक्सर में दमघोंटू है हवा.. AQI लेवल में दिल्ली और जयपुर को भी छोड़ा पीछे

वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली और जयपुर को भी बक्सर ने पीछे छोड़ दिया है. बक्सर में वायु प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है. इससे सांस के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. पढ़ें रिपोर्ट...

बक्सर में वायु प्रदूषण
बक्सर में वायु प्रदूषण
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Published : Apr 29, 2022, 4:12 PM IST

Updated : Apr 29, 2022, 4:45 PM IST

बक्सरः बक्सर में वायु प्रदूषण का स्तर (Air Pollution Increased in Buxar) काफी बढ़ गया है. डंपिंग जोन के अभाव के कारण जल स्रोत के बाद अब हवा भी प्रदूषित हो गई है. पछुआ हवा की गति में तेजी आने से पूरा वातावरण धूल से भर गया है. बक्सर में राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के निर्माण के साथ-साथ शहर की सड़कों पर पड़ी धूल ने बक्सर के वातावरण को दिल्ली और जयपुर से भी ज्यादा प्रदूषित बना दिया है. प्रशासन इस बात पर गंभीर है और नगर में वन लगाने की तैयारी चल रही है. इसके अतिरिक्त सड़कों पर पड़ी धूल को हटाने का निर्देश नगर परिषद को दिया जा चुका है.

यह भी पढ़ें- तापमान बढ़ने के साथ बिहार के कई शहरों में बढ़ा वायु प्रदूषण, पटना का AQI 359 तक पहुंचा

देश में बक्सर का सबसे ज्यादा है वायु प्रदूषितः दरअसल मंगलवार को बिहार की हवा (AQI level of Bihar) में सबसे ज्यादा प्रदूषण बक्सर में रिकॉर्ड किया गया. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 332 रिकॉर्ड किया गया. वहीं राजधानी पटना की बात करें, तो वहां हवा में प्रदूषण की मात्रा 323 एक्यूआई रही. राजधानी से सटे दानापुर में 316 एक्यूआई की मात्रा रिकॉर्ड की गई. जबकि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 220 एक्यूआई एवं अजमेर में 226 एक्यूआई रिकॉर्ड की गई. इतना ही नहीं, बिहार जितना प्रदूषण दिल्ली में भी नहीं है, दिल्ली के वातावरण में 209 एवं नोएडा में 212 एक्यूआई प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया.

पछुआ हवा दिन भर उड़ाती है धूलः नगर के किला मैदान से पूरे दिन धूल कण उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है. इसके अतिरिक्त डंपिंग जोन के अभाव में नगर परिषद ने पूरे शहर में कई स्थानों पर अघोषित डंपिंग जोन बना रखें हैं. यहां से उड़ने वाली धूल भी वायुमंडल में मिश्रित होकर लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रही है. सड़कों पर पड़ी धूल भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है.

सांस के मरीजों की बढ़ सकती है एलर्जी की समस्याः वातावरण में प्रदूषण बढ़ने से सांस के मरीजों में एलर्जी की समस्या गंभीर रूप ले सकती है. विश्वामित्रा हॉस्पिटल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. राजीव झा ने बताया कि सांस के मरीजों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. मास्क उनके लिए काफी उपयोगी हो सकता है. साथ ही शाम में साफ पानी से हाथ-पैर और चेहरे को अच्छी तरह से धोना बेहद जरूरी है. सांस पर नियंत्रण वाले योगाभ्यास से भी लोगों को लाभ मिल सकता है.

नगर में डंपिंग जोन जल्दः इस समस्या को लेकर जब एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निश्चय ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. जिला पदाधिकारी अमन समीर भी इस बात को लेकर काफी गंभीर हैं. उनके निर्देश के बाद नगर में नगर वन विकसित करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए सात एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है. जहां पौधे लगाकर उसे वन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा. उम्मीद है कि इससे वायु प्रदूषण काफी हद तक कम होगा. इसके साथ ही डंपिंग जोन की तलाश भी अंतिम चरण में है. पिछले ही दिनों जिला पदाधिकारी ने नगर की सड़कों पर उड़ रही धूल को लेकर भी आपत्ति जताई थी और नगर परिषद को निर्देशित किया था कि सड़कों को नियमित रूप से साफ किया जाए. नगर परिषद तो पहल कर रहा है लेकिन इसे और बेहतर ढंग से किए जाने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त एनएच - 84 का निर्माण सम्पन्न होने के बाद बाद ही कुछ राहत होगी.

प्रदेश के प्रमुख शहरों की सूची तथा प्रदूषण की मात्रा (एक्यूआई में)

  • बक्सर : 332
  • मुंगेर : 306
  • पटना : 323
  • दानापुर : 316
  • मुजफ्फरपुर : 273
  • समस्तीपुर : 289
  • दरभंगा : 286
  • मोतिहारी : 269
  • आरा : 273
  • सिवान : 278
  • भागलपुर : 223
  • कटिहार : 258
  • औरंगाबाद : 267

प्रदेश में सबसे बेहतर वातावरण

  • पूर्णिया : 81
  • गया : 151

प्रमुख शहरों का एक्‍यूआई

  • दिल्ली : 209
  • नोएडा: 212
  • फरीदाबाद : 240
  • गुडगांव : 270
  • मेरठ : 233
  • अजमेर : 226
  • जयपुर : 220
  • अंबाला : 208
  • ग्वालियर : 220

देश के सार्वाधिक प्रदूषित शहर

  • सिंगरौली : 340
  • दुर्गापुर : 334

जानें क्या है एक्यूआई लेवलः एक्यूआई दैनिक वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक सूचकांक लोगों को सूचित करता है कि शहर की हवा एक निश्चित समय में कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है और इससे जुड़े स्वास्थ्य प्रभाव उनके लिए क्या चिंता का विषय हो सकते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि 0-50 के बीच एक AQI को 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'उदारवादी', 201-300 'गरीब', 301-400 'बहुत गरीब' और 401-500 'गंभीर' माना जाता है. 500 से ऊपर 'गंभीर प्लस' श्रेणी में आता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा देखी जाती है. जिसमें तय किया जाता है इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं.

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बक्सरः बक्सर में वायु प्रदूषण का स्तर (Air Pollution Increased in Buxar) काफी बढ़ गया है. डंपिंग जोन के अभाव के कारण जल स्रोत के बाद अब हवा भी प्रदूषित हो गई है. पछुआ हवा की गति में तेजी आने से पूरा वातावरण धूल से भर गया है. बक्सर में राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के निर्माण के साथ-साथ शहर की सड़कों पर पड़ी धूल ने बक्सर के वातावरण को दिल्ली और जयपुर से भी ज्यादा प्रदूषित बना दिया है. प्रशासन इस बात पर गंभीर है और नगर में वन लगाने की तैयारी चल रही है. इसके अतिरिक्त सड़कों पर पड़ी धूल को हटाने का निर्देश नगर परिषद को दिया जा चुका है.

यह भी पढ़ें- तापमान बढ़ने के साथ बिहार के कई शहरों में बढ़ा वायु प्रदूषण, पटना का AQI 359 तक पहुंचा

देश में बक्सर का सबसे ज्यादा है वायु प्रदूषितः दरअसल मंगलवार को बिहार की हवा (AQI level of Bihar) में सबसे ज्यादा प्रदूषण बक्सर में रिकॉर्ड किया गया. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 332 रिकॉर्ड किया गया. वहीं राजधानी पटना की बात करें, तो वहां हवा में प्रदूषण की मात्रा 323 एक्यूआई रही. राजधानी से सटे दानापुर में 316 एक्यूआई की मात्रा रिकॉर्ड की गई. जबकि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 220 एक्यूआई एवं अजमेर में 226 एक्यूआई रिकॉर्ड की गई. इतना ही नहीं, बिहार जितना प्रदूषण दिल्ली में भी नहीं है, दिल्ली के वातावरण में 209 एवं नोएडा में 212 एक्यूआई प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया.

पछुआ हवा दिन भर उड़ाती है धूलः नगर के किला मैदान से पूरे दिन धूल कण उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है. इसके अतिरिक्त डंपिंग जोन के अभाव में नगर परिषद ने पूरे शहर में कई स्थानों पर अघोषित डंपिंग जोन बना रखें हैं. यहां से उड़ने वाली धूल भी वायुमंडल में मिश्रित होकर लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रही है. सड़कों पर पड़ी धूल भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है.

सांस के मरीजों की बढ़ सकती है एलर्जी की समस्याः वातावरण में प्रदूषण बढ़ने से सांस के मरीजों में एलर्जी की समस्या गंभीर रूप ले सकती है. विश्वामित्रा हॉस्पिटल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. राजीव झा ने बताया कि सांस के मरीजों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. मास्क उनके लिए काफी उपयोगी हो सकता है. साथ ही शाम में साफ पानी से हाथ-पैर और चेहरे को अच्छी तरह से धोना बेहद जरूरी है. सांस पर नियंत्रण वाले योगाभ्यास से भी लोगों को लाभ मिल सकता है.

नगर में डंपिंग जोन जल्दः इस समस्या को लेकर जब एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निश्चय ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. जिला पदाधिकारी अमन समीर भी इस बात को लेकर काफी गंभीर हैं. उनके निर्देश के बाद नगर में नगर वन विकसित करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए सात एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है. जहां पौधे लगाकर उसे वन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा. उम्मीद है कि इससे वायु प्रदूषण काफी हद तक कम होगा. इसके साथ ही डंपिंग जोन की तलाश भी अंतिम चरण में है. पिछले ही दिनों जिला पदाधिकारी ने नगर की सड़कों पर उड़ रही धूल को लेकर भी आपत्ति जताई थी और नगर परिषद को निर्देशित किया था कि सड़कों को नियमित रूप से साफ किया जाए. नगर परिषद तो पहल कर रहा है लेकिन इसे और बेहतर ढंग से किए जाने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त एनएच - 84 का निर्माण सम्पन्न होने के बाद बाद ही कुछ राहत होगी.

प्रदेश के प्रमुख शहरों की सूची तथा प्रदूषण की मात्रा (एक्यूआई में)

  • बक्सर : 332
  • मुंगेर : 306
  • पटना : 323
  • दानापुर : 316
  • मुजफ्फरपुर : 273
  • समस्तीपुर : 289
  • दरभंगा : 286
  • मोतिहारी : 269
  • आरा : 273
  • सिवान : 278
  • भागलपुर : 223
  • कटिहार : 258
  • औरंगाबाद : 267

प्रदेश में सबसे बेहतर वातावरण

  • पूर्णिया : 81
  • गया : 151

प्रमुख शहरों का एक्‍यूआई

  • दिल्ली : 209
  • नोएडा: 212
  • फरीदाबाद : 240
  • गुडगांव : 270
  • मेरठ : 233
  • अजमेर : 226
  • जयपुर : 220
  • अंबाला : 208
  • ग्वालियर : 220

देश के सार्वाधिक प्रदूषित शहर

  • सिंगरौली : 340
  • दुर्गापुर : 334

जानें क्या है एक्यूआई लेवलः एक्यूआई दैनिक वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक सूचकांक लोगों को सूचित करता है कि शहर की हवा एक निश्चित समय में कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है और इससे जुड़े स्वास्थ्य प्रभाव उनके लिए क्या चिंता का विषय हो सकते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि 0-50 के बीच एक AQI को 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'उदारवादी', 201-300 'गरीब', 301-400 'बहुत गरीब' और 401-500 'गंभीर' माना जाता है. 500 से ऊपर 'गंभीर प्लस' श्रेणी में आता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा देखी जाती है. जिसमें तय किया जाता है इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं.

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Last Updated : Apr 29, 2022, 4:45 PM IST
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