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बक्सर: एक जनवरी से अब तक मिले टीबी के 22 मरीज

13 दिनों में टीबी के 22 मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गई है. टीबी मरीजों की खोज के लिए 31 जनवरी तक जिले में विशेष अभियान चलाया जाएगा. 31 जनवरी तक टीबी के मरीजों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिला स्वास्थ्य समिति ने निजी अस्पतालों के संचालकों के लिए निर्देश जारी किए.

बक्सर
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Published : Jan 17, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Jan 17, 2021, 4:38 PM IST

बक्सर: कोरोना काल से सबक लेकर राज्य सरकार और स्वास्थ्य समिति ने टीबी मरीजों के उपचार के साथ उनकी जल्द से जल्द पहचान पर जोर दिया है. इसके लिए वर्ष 2021 के लिए रूप रेखा तैयार कर उस पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. जिसके तहत टीबी के नए मरीजों की खोज और उनके इलाज के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं.

सघन टीबी रोगी खोज अभियान
वर्ष 2020 में जिले में कुल 1007 मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया गया था. लेकिन, मार्च में लॉकडाउन लगने से नए मरीजों की खोज थोड़ी धीमी हो गई थी. जिसकी क्षति पूर्ति के लिए अब जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से अलर्ट है. फिलहाल 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' के तहत अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत सघन टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है.

सघन टीबी रोगी खोज अभियान
सघन टीबी रोगी खोज अभियान

टीबी मरीजों की पहचान के लिए अभियान
संचारी रोग के नोडल पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि जनवरी माह से इस अभियान में तेजी लाई जा रही है. जिले में कई अभियान शुरू किए गए हैं. जिसमें चार जनवरी से एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत कार्यक्रम निर्धारित किये गए हैं. साथ ही जिला गैर संचारी पदाधिकारी से डायबिटीज के मरीजों की जानकारी मांगी गई है. ताकि, डायबटीज के मरीजों में टीबी के लक्षणों की खोज की जा सके.

''18 जनवरी से 23 जनवरी तक निजी अस्पतालों के निरीक्षण किया जाएगा. जिसमें टीबी का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की खोज की जाएगी. इस क्रम में निजी अस्पतालों के संचालकों को निर्देशित किया जाएगा कि किसी भी मरीज में टीबी के लक्षण दिखने पर तत्काल उसकी सूचना विभाग को दी जाए''- डॉ. नरेश कुमार, संचारी रोग के नोडल पदाधिकारी

बक्सर में 13 मरीजों की पहचान
11 जनवरी से 16 जनवरी तक मंडल कारा, महिला मंडल कारा, ओपेन जेल, बाल गृह, महिला अल्पावास गृह और अन्य स्थानों पर टीबी के मरीजों की खोज के लिए जांच शिविर लगाए जाएंगे. नए साल में अब तक जिले के विभिन्न इलाकों से 22 नए मरीज मिले हैं. जिनमें सबसे अधिक बक्सर से 13 लोगों की पहचान की गयी है. साथ ही सभी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है.

निश्चय पोर्टल पर मरीजों का डाटा
मरीजों का डाटा निश्चय पोर्टल पर दिया जाए. रोगी की पहचान करने के लिए उक्त संस्थान को 500 रुपये दिए जाएंगे. साथ ही, पोर्टल पर मरीज का निबंधन होने के बाद उसके खाते में डीबीटी के माध्यम से 500 रुपये भेजे जाएंगे. तत्पश्चात 27 से 31 जनवरी तक आशा कार्यकर्ताएं डोर टू डोर जाकर अपने क्षेत्र अंतर्गत लोगों में टीबी के लक्षणों की पहचान करेंगी.

ये भी पढ़ें- कचरे में फेकें जा रहे हैं नवजात, लेकिन बाल संरक्षण विभाग का 'पालना' सूना !

माइक्रो प्लान के आधार पर मरीजों की खोज
डॉ. नरेश कुमार ने बताया जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के संचालकों को माइक्रो प्लान भेजने के निर्देश दिया गया है. जिसके तहत नए मरीजों की खोज और उनकी पहचान की जानी है. माइक्रो प्लान के अनुसार शहरी दलित मलिन बस्तियां, ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूर, नव निर्मित कार्य स्थलों के मजदूर, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र तथा महादलित टोलों में लक्षित समूह में टीबी के रोगियों की पहचान की जायेगी.

टीबी के रोगी नहीं छिपाएं अपना रोग
टीम के लोग किसी के घर पहुंचे तो टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं. टीबी रोग की पुष्टि होने पर उनका समुचित इलाज होगा. साथ ही, टीबी रोगी के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति गैर वेतनभोगी को 500 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे. इलाज के दौरान रोगी को भी प्रतिमाह 500 रुपये दिए जाएंगे.

बक्सर: कोरोना काल से सबक लेकर राज्य सरकार और स्वास्थ्य समिति ने टीबी मरीजों के उपचार के साथ उनकी जल्द से जल्द पहचान पर जोर दिया है. इसके लिए वर्ष 2021 के लिए रूप रेखा तैयार कर उस पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. जिसके तहत टीबी के नए मरीजों की खोज और उनके इलाज के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं.

सघन टीबी रोगी खोज अभियान
वर्ष 2020 में जिले में कुल 1007 मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया गया था. लेकिन, मार्च में लॉकडाउन लगने से नए मरीजों की खोज थोड़ी धीमी हो गई थी. जिसकी क्षति पूर्ति के लिए अब जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से अलर्ट है. फिलहाल 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' के तहत अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत सघन टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है.

सघन टीबी रोगी खोज अभियान
सघन टीबी रोगी खोज अभियान

टीबी मरीजों की पहचान के लिए अभियान
संचारी रोग के नोडल पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि जनवरी माह से इस अभियान में तेजी लाई जा रही है. जिले में कई अभियान शुरू किए गए हैं. जिसमें चार जनवरी से एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत कार्यक्रम निर्धारित किये गए हैं. साथ ही जिला गैर संचारी पदाधिकारी से डायबिटीज के मरीजों की जानकारी मांगी गई है. ताकि, डायबटीज के मरीजों में टीबी के लक्षणों की खोज की जा सके.

''18 जनवरी से 23 जनवरी तक निजी अस्पतालों के निरीक्षण किया जाएगा. जिसमें टीबी का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की खोज की जाएगी. इस क्रम में निजी अस्पतालों के संचालकों को निर्देशित किया जाएगा कि किसी भी मरीज में टीबी के लक्षण दिखने पर तत्काल उसकी सूचना विभाग को दी जाए''- डॉ. नरेश कुमार, संचारी रोग के नोडल पदाधिकारी

बक्सर में 13 मरीजों की पहचान
11 जनवरी से 16 जनवरी तक मंडल कारा, महिला मंडल कारा, ओपेन जेल, बाल गृह, महिला अल्पावास गृह और अन्य स्थानों पर टीबी के मरीजों की खोज के लिए जांच शिविर लगाए जाएंगे. नए साल में अब तक जिले के विभिन्न इलाकों से 22 नए मरीज मिले हैं. जिनमें सबसे अधिक बक्सर से 13 लोगों की पहचान की गयी है. साथ ही सभी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है.

निश्चय पोर्टल पर मरीजों का डाटा
मरीजों का डाटा निश्चय पोर्टल पर दिया जाए. रोगी की पहचान करने के लिए उक्त संस्थान को 500 रुपये दिए जाएंगे. साथ ही, पोर्टल पर मरीज का निबंधन होने के बाद उसके खाते में डीबीटी के माध्यम से 500 रुपये भेजे जाएंगे. तत्पश्चात 27 से 31 जनवरी तक आशा कार्यकर्ताएं डोर टू डोर जाकर अपने क्षेत्र अंतर्गत लोगों में टीबी के लक्षणों की पहचान करेंगी.

ये भी पढ़ें- कचरे में फेकें जा रहे हैं नवजात, लेकिन बाल संरक्षण विभाग का 'पालना' सूना !

माइक्रो प्लान के आधार पर मरीजों की खोज
डॉ. नरेश कुमार ने बताया जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के संचालकों को माइक्रो प्लान भेजने के निर्देश दिया गया है. जिसके तहत नए मरीजों की खोज और उनकी पहचान की जानी है. माइक्रो प्लान के अनुसार शहरी दलित मलिन बस्तियां, ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूर, नव निर्मित कार्य स्थलों के मजदूर, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र तथा महादलित टोलों में लक्षित समूह में टीबी के रोगियों की पहचान की जायेगी.

टीबी के रोगी नहीं छिपाएं अपना रोग
टीम के लोग किसी के घर पहुंचे तो टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं. टीबी रोग की पुष्टि होने पर उनका समुचित इलाज होगा. साथ ही, टीबी रोगी के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति गैर वेतनभोगी को 500 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे. इलाज के दौरान रोगी को भी प्रतिमाह 500 रुपये दिए जाएंगे.

Last Updated : Jan 17, 2021, 4:38 PM IST
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