औरंगाबाद(दाउदनगर): जिले के दाउदनगर के सैनिक मुहल्ला के रहने वाले अरुण कुमार मेहता को मशरूम खाने की शौक ने मशरूम उत्पादक बना दिया. पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे अरुण मेहता अब पूरी तरह से मशरूम की खेती पर निर्भर हो गए हैं. वे सलाना 8 से 10 लाख की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी है. इसके अलावा उन्होंने अपने रोजगार के चेन में दर्जनों किसानों को जोड़ा है.
दाउदनगर शहर के सबसे बड़े मशरूम उत्पादक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अरुण मेहता को जरूरत ने मशरूम उत्पादक बना दिया. अरुण मेहता बताते हैं कि उनकी शादी के कई बरसों तक कोई बाल बच्चा नहीं हुआ था. इस कारण वे पति-पत्नी परेशान थे और कई डॉक्टरों से इसका इलाज भी कराया था. इलाज के दौरान एक डॉक्टर ने बताया था कि खानपान में सुधार लाइए और उन्हें मशरूम खाने की सलाह दी थी.
ऐसे शुरू की खेती
पहले तो अरुण मेहता ने खरीदकर खाना शुरू किया. लेकिन धीरे-धीरे जरूरत ने उन्हें उत्पादन की ओर मोड़ दिया. शुरुआत में वह अपनी जरूरत के हिसाब से उत्पादन करते थे. लेकिन बचे हुए मशरूम उन्होंने बेचना शुरू किया. जिससे उन्हें मुनाफा समझ में आने लगा. इसके बाद उन्होंने बृहद पैमाने पर खेती शुरू की और दाउदनगर के सैनिक मोहल्ला में स्थित अपने मकान के निचले तल में लगभग 1 हजार स्क्वायर फीट की एरिया में उत्पादन का कार्य शुरू किया. आज वे सफल मशरूम उत्पादक बन चुके हैं.
इन जगहों में चलाते हैं कारोबार
माल बेचने के सवाल पर अरुण मेहता ने बताया कि उन्हें माल बेचने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. ग्राहक उनके घर खुद चलकर आते हैं और उनके मशरूम खरीदकर ले जाते हैं. वे ज्यादातर ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन करते हैं. इस मशरूम का गर्मी में भी उत्पादन करते हैं. वे ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन करते हैं. इस कारण उनके पास सालों भर ग्राहक आते रहते हैं. इसके अलावा जब ठंड के मौसम में मशरूम उत्पादन होने लगते हैं तो मार्केट में कंपटीशन बढ़ जाता है. उसमें थोड़ी बेचने में दिक्कत आती है. इसके अलावा वे मशरूम को सुखाकर भी रखते हैं. जिन्हें समय-समय पर बेचा जाता है. सूखा मशरूम ज्यादा महंगा बिकता है.
इतनी हो रही आमदनी
अरुण मेहता ने बताया कि उनकी आमदनी सालाना लगभग 8 लाख रुपये तक हो जाती है. हालांकि अरुण मेहता ने बताया कि उनके पास और भी काम है जिससे वे कमाई करते हैं. वे रुई बत्ती उद्योग भी चलाते हैं और शहर में रुई बत्ती सप्लाई करते हैं.
छोड़ी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी
किसान अरुण कुमार मेहता ने बताया कि वह पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करते थे. लेकिन घर में समस्या होने के कारण वे घर आ गए थे. जहां उन्हें मशरूम खाने के लिए उपजाना शुरू किया. उनके शौक ने ही उन्हें व्यापार की ओर धकेला. खाने के शौक ने अरुण को दाउदनगर शहर का सबसे सफल व्यापारी बना दिया. आज उनसे पास शहर और आसपास के गांवों के दर्जनों लोग जुड़े हैं जो मशरूम का उत्पादन करते हैं.
मुफ्त में देते हैं ट्रेनिंग
अरुण मेहता ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति या किसान उन से जुड़कर मशरूम की खेती करना चाहता है तो वह उन्हें मुफ्त में इसकी ट्रेनिंग देंगे. अगर उन्हें सामान, स्पॉन और दवा खरीदने में परेशानी होती है तो इसकी भी वे सप्लाई देंगे. वे पूरी तरह इसका उत्पादन और बिक्री करने में सहयोग करेंगे.