औरंगाबादः एकीकृत बिहार का बहुचर्चित हाड़ियाही नहर परियोजना पिछले 40 वर्षों से उपेक्षित पड़ा है. जिस कारण आज तक नहर में पानी नहीं आया है. जब इस नहर की आधारशिला रखी गई थी, तब स्थानीय किसान खुश थे कि अब उनकी जमीनें सिंचित होंगी. लेकिन इस नहर से पानी के इंतजार में लगभग 20,000 हेक्टेयर जमीन आज भी असिंचित पड़ी हुई है.
40 साल पहले हुई थी खुदाई
हाड़ियाही नहर परियोजना, जिससे झारखंड के पलामू जिले से लेकर बिहार के औरंगाबाद और गया जिले में किसानों की जमीन सिंचित होनी था. इसके लिए खुदाई का काम भी हुआ था. लगभग 40 साल पहले खोदी गई इस नहर में अभी तक एक बार भी पानी नहीं छोड़ा गया है. झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड में बटाने नदी पर बांध बनाकर इस नहर को निकाला गया था. तब से लेकर आज तक किसान इंतजार कर रहे हैं कि इस नहर में पानी दिया जाएगा तो हजारों हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी.
केवल चुनाव में बनता है मुद्दा
हाड़ियाही नहर परियोजना शुरू होने से औरंगाबाद जिले के कुटुंबा, रफीगंज और औरंगाबाद विधानसभा, झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद और छतरपुर विधानसभा और गया जिले के इमामगंज और गुरुआ विधानसभा के क्षेत्र सिंचित होंगे. सबसे अधिक फायदा औरंगाबाद जिले के किसानों को होगी.
स्थानीय किसान प्रतिनिधि और दुलारे पैक्स के अध्यक्ष विजेंद्र यादव बताते हैं कि यहां के नेता सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहर का मुद्दा उठाते हैं और चुनाव बाद इस मुद्दे को भूल जाते हैं.
किसानों को हो रही परेशानी
बिहार के कई क्षेत्र इस कारण भी पिछड़ गए हैं क्योंकि पैदावार जमीन होने के बावजूद सिंचाई सुविधा नहीं रहती है. सिंचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण किसान अनाज का उत्पादन नहीं कर पाते हैं. जिस कारण से उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय होती चली जाती है.