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प्लास्टिक के कचरे से किया पेट्रोल का इजाद, 4 देशों से मिल चुका है रिसर्च का ऑफर - ईट का निर्माण

एक किलो सिंगल यूज प्लास्टिक से 800 ग्राम पेट्रोल प्राप्त किया जाता है. वहीं, अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण भी किया जा सकता है. इसका उपयोग हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने में हो सकता है.

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विनीत और अभिषेक
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Published : Jan 23, 2020, 8:31 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 11:26 PM IST

औरंगाबादः जिले के बारहवीं क्लास के छात्र के प्रयोग से हर कोई हतप्रभ है. जम्होर थाने के देवहरा गांव का रहने वाला छात्र विनीत कुमार ने प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इजाद किया है. विनीत ने ईटीवी भारत के कैमरे के सामने ना सिर्फ इस प्रयोग को करके दिखाया, बल्कि पूरी विधि के अनुसार पेट्रोल बनाकर बताया.

विनीत कुमार शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का छात्र है. फिलहाल वो बेकार पड़े सिंगल यूज प्लास्टिक से पेट्रोल और एलपीजी बना रहा है. एक किलो प्लास्टिक से 800 ग्राम पेट्रोल और एलपीजी तैयार करता है और जो अवशेष बच जाते हैं, उससे टाइल्स बनाता है.

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जानकारी देता विनीत कुमार

'पिता और दोस्त को दे रहा श्रेय'
विनीत इस काम के लिए अपने पिता धनेश प्रजापति और दोस्त अभिषेक कुमार को श्रेय देते हैं. विनीत के पिता गैस चूल्हा मरम्मत का काम करते हैं. वहीं, उसकी मां सुनीता देवी गृहिणी है. जबकि इस काम में सहयोग करने वाले अभिषेक कुमार के पिता अशोक चौधरी किराने की दुकान चलाते हैं. वहीं, माता मंजू देवी आशा कार्यकर्ता हैं.

'4 देशों से मिला रिसर्च का ऑफर'
गरीब परिवार से संबंध रखने वाले छात्रों के सामने कई समस्याएं आई. फिर भी दोनों ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयोग करते रहे. विनीत इंटरनेशनल इनोवेटिव फेयर में दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधियों के सामने हैदराबाद में ये प्रयोग दिखा चुका है. जहां चीन, पोलैंड, पुर्तगाल, ब्राजील जैसे 4 देशों से रिसर्च करने के लिए निमंत्रण भी मिला. विनीत ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें हर जगह से मान सम्मान मिल रहा है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि जिला प्रशासन की तरफ से अब तक कोई सहयोग नहीं मिला.

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सिंगल यूज प्लास्टिक से पट्रोल बनाता विनीत

'सरकार से फंड की उम्मीद'
सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे के निस्तारण विधि को लेकर विनीत की योजना एक गाड़ी बनाने की है. जिसमें उसका मशीन लग सके. विनीत का कहना है कि लोग उसके मशीन का प्रयोग करें ताकि प्लास्टिक से पेट्रोल प्राप्त हो. वहीं, इस वाहन को बनाने के लिए विनीत को जिला प्रशासन से सहयोग की उम्मीद है. विनीत का कहना है कि उसके इस आविष्कार के लिए सरकार फंड मुहैया कराये.

देखिए पूरी रिपोर्ट

सात चरणों में बनता है पेट्रोल
बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक से सात चरण में पेट्रोल बनाया जाता है. सबसे पहले प्लास्टिक को इकट्ठा कर उसे उच्च तापमान पर रसायन की मदद से गलाया जाता है. जहां, ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर होती है. इसके बाद प्लास्टिक गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है. फिर मशीन के अंदर गैस के साथ केटेलाइटिक रिडक्शन की प्रक्रिया होती है. उत्प्रेरक के साथ गैस को रिएक्ट कराकर हाई नाइट्रोजन से पास कराया जाता है. इसके बाद ये लिक्विड में बदल जाता है, जो इथेन में परिवर्तित हो जाता है, जिससे पेट्रोल और डीजल तैयार होता है. वहीं, जो गैस पेट्रोल नहीं बन पाता है, उसे एलपीजी के रूप में प्राप्त किया जाता है.

अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण
विनीत और अभिषेक ने बताया कि अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण किया जा सकता है. इसका उपयोग हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने के लिए किया जा सकता है. विनीत के इस प्रयोग से हर कोई आश्चर्यचकित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लड़का भविष्य में बहुत कुछ करेगा. फिलहाल विनीत जैसे बाल वैज्ञानिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है.

औरंगाबादः जिले के बारहवीं क्लास के छात्र के प्रयोग से हर कोई हतप्रभ है. जम्होर थाने के देवहरा गांव का रहने वाला छात्र विनीत कुमार ने प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इजाद किया है. विनीत ने ईटीवी भारत के कैमरे के सामने ना सिर्फ इस प्रयोग को करके दिखाया, बल्कि पूरी विधि के अनुसार पेट्रोल बनाकर बताया.

विनीत कुमार शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का छात्र है. फिलहाल वो बेकार पड़े सिंगल यूज प्लास्टिक से पेट्रोल और एलपीजी बना रहा है. एक किलो प्लास्टिक से 800 ग्राम पेट्रोल और एलपीजी तैयार करता है और जो अवशेष बच जाते हैं, उससे टाइल्स बनाता है.

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जानकारी देता विनीत कुमार

'पिता और दोस्त को दे रहा श्रेय'
विनीत इस काम के लिए अपने पिता धनेश प्रजापति और दोस्त अभिषेक कुमार को श्रेय देते हैं. विनीत के पिता गैस चूल्हा मरम्मत का काम करते हैं. वहीं, उसकी मां सुनीता देवी गृहिणी है. जबकि इस काम में सहयोग करने वाले अभिषेक कुमार के पिता अशोक चौधरी किराने की दुकान चलाते हैं. वहीं, माता मंजू देवी आशा कार्यकर्ता हैं.

'4 देशों से मिला रिसर्च का ऑफर'
गरीब परिवार से संबंध रखने वाले छात्रों के सामने कई समस्याएं आई. फिर भी दोनों ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयोग करते रहे. विनीत इंटरनेशनल इनोवेटिव फेयर में दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधियों के सामने हैदराबाद में ये प्रयोग दिखा चुका है. जहां चीन, पोलैंड, पुर्तगाल, ब्राजील जैसे 4 देशों से रिसर्च करने के लिए निमंत्रण भी मिला. विनीत ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें हर जगह से मान सम्मान मिल रहा है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि जिला प्रशासन की तरफ से अब तक कोई सहयोग नहीं मिला.

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सिंगल यूज प्लास्टिक से पट्रोल बनाता विनीत

'सरकार से फंड की उम्मीद'
सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे के निस्तारण विधि को लेकर विनीत की योजना एक गाड़ी बनाने की है. जिसमें उसका मशीन लग सके. विनीत का कहना है कि लोग उसके मशीन का प्रयोग करें ताकि प्लास्टिक से पेट्रोल प्राप्त हो. वहीं, इस वाहन को बनाने के लिए विनीत को जिला प्रशासन से सहयोग की उम्मीद है. विनीत का कहना है कि उसके इस आविष्कार के लिए सरकार फंड मुहैया कराये.

देखिए पूरी रिपोर्ट

सात चरणों में बनता है पेट्रोल
बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक से सात चरण में पेट्रोल बनाया जाता है. सबसे पहले प्लास्टिक को इकट्ठा कर उसे उच्च तापमान पर रसायन की मदद से गलाया जाता है. जहां, ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर होती है. इसके बाद प्लास्टिक गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है. फिर मशीन के अंदर गैस के साथ केटेलाइटिक रिडक्शन की प्रक्रिया होती है. उत्प्रेरक के साथ गैस को रिएक्ट कराकर हाई नाइट्रोजन से पास कराया जाता है. इसके बाद ये लिक्विड में बदल जाता है, जो इथेन में परिवर्तित हो जाता है, जिससे पेट्रोल और डीजल तैयार होता है. वहीं, जो गैस पेट्रोल नहीं बन पाता है, उसे एलपीजी के रूप में प्राप्त किया जाता है.

अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण
विनीत और अभिषेक ने बताया कि अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण किया जा सकता है. इसका उपयोग हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने के लिए किया जा सकता है. विनीत के इस प्रयोग से हर कोई आश्चर्यचकित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लड़का भविष्य में बहुत कुछ करेगा. फिलहाल विनीत जैसे बाल वैज्ञानिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है.

Intro:संक्षिप्त- औरंगाबाद जिले के देवहरा गांव का विनीत जो 12वीं का छात्र है, प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल और एलपीजी गैस बनाता है।

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औरंगाबाद- जिस उम्र में बच्चे अन्य काम करते हैं 12वीं कक्षा में पढ़ने वाला विनीत लगातार नए प्रयोगों में लगा रहता है। इन्हीं प्रयोगों का देन है कि विनीत आज सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इज़ाद किया है । वह एक किलो सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरे से 800 ग्राम तक पेट्रोल बनाता है। यही नहीं बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स का निर्माण करता है।


Body:कहा जाता है कि ज्ञान अमीरी गरीबी देख कर नहीं आती और ऐसा अक्सर होता है कि गुदड़ी में ही लाल मिलता है। औरंगाबाद जिले के जम्होर थाने के देवहरा गांव का रहने वाला 12वीं का छात्र विनीत कुमार जो कि शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का छात्र है, प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इजाद किया है। वह एक किलो सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे से है 800 ग्राम तक पेट्रोल निकलता है । यही नहीं उससे एलपीजी और अन्य पेट्रोलियम उत्पादन भी करता है। विनीत ना सिर्फ इस प्रयोग को करके दिखाया बल्कि उसने हमारे कैमरे के सामने पूरी विधि के अनुसार पेट्रोल बनाकर बताया भी। उसने पूरी विधि को समझाया कि कैसे वह इन प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल निकाल सकता है ।
विनीत इस काम के लिए अपने पिता धनेश प्रजापति और दोस्त अभिषेक कुमार को श्रेय देते हैं।
विनीत के पिता धनेश प्रजापति गैस चूल्हा मरम्मत का काम करते हैं, तो माता सुनीता देवी गृहिणी है। इस काम में सहयोग करने वाले अभिषेक कुमार के पिता अशोक चौधरी किराने की दुकान चलाते हैं तो अभिषेक की माता मंजू देवी आशा कार्यकर्ता है ।

इतनी कम आमदनी और गरीब परिवार से आने के बावजूद छात्रों ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयोग करते रहे। विनीत इंटरनेशनल इनोवेटिव फेयर में दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधियों के सामने हैदराबाद में यह प्रयोग दिखाया है। जहां उसे चीन, पोलैंड, पुर्तगाल, ब्राजील जैसे 4 देशों से रिसर्च करने के लिए निमंत्रण भी मिला है । विनीत बताते हैं कि उन्हें हर जगह से मान सम्मान मिल रहा है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिला है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरे के इस तरह निस्तारण विधि को लेकर विनीत के मन में प्लान है कि वह एक गाड़ी बनाए । जिसमें उसके द्वारा बनाए गए मशीन लगे हों। लोग उस मशीन में एक तरफ प्लास्टिक डालें तो दूसरी तरफ से बाहर उन्हें पेट्रोल मिले । इस वाहन को बनाने के लिए विनीत जिला प्रशासन से फंड की उम्मीद करता है।। विनीत चाहता है कि उसके इस आविष्कार के लिए सरकार फंड दे।

सात प्रक्रियाओं के बाद बनता है पेट्रोल

सिंगल यूज प्लास्टिक से सात चरण में पेट्रोल बनता है। सबसे पहले प्लास्टिक को जमा कर उसे उच्च तापमान पर रसायन की मदद से गलाया जाता है। जहां प्लास्टिक गलता है वहां ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर होती है। प्लास्टिक गलने के बाद गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है। फिर मशीन के अंदर गैस के साथ केटेलाईडिक रिडक्शन की प्रक्रिया होती है। उत्प्रेरक के साथ गैस को रिएक्ट कराकर हाई नाइट्रोजन से पास किया जाता है। जिसके बाद लिक्विड में बदल जाता है । इसके बाद ये इथिन बन जाता है , जिससे पेट्रोल व डीजल तैयार हो जाता है। जो गैस पेट्रोल नहीं बन पाता है उसे एलपीजी के रूप में प्राप्त किया जाता है ।

बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईट का होता है निर्माण

विनीत और अभिषेक ने बताया कि बचे हुए अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईट का निर्माण हो सकता है। जिसे हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।



Conclusion:
विनीत के इस प्रयोग से हर कोई चकित है और सब के ज़ुबान से एक ही आवाज निकल रही है कि यह लड़का आगे चलकर बहुत कुछ करेगा। फिलहाल विनीत जैसे बाल वैज्ञानिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

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बाइट- विनीत कुमार, बाल वैज्ञानिक
बाइट- धनेश प्रजापति, विनीत के पिताजी
Last Updated : Jan 23, 2020, 11:26 PM IST
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