औरंगाबादः जिले के बारहवीं क्लास के छात्र के प्रयोग से हर कोई हतप्रभ है. जम्होर थाने के देवहरा गांव का रहने वाला छात्र विनीत कुमार ने प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने की विधि का इजाद किया है. विनीत ने ईटीवी भारत के कैमरे के सामने ना सिर्फ इस प्रयोग को करके दिखाया, बल्कि पूरी विधि के अनुसार पेट्रोल बनाकर बताया.
विनीत कुमार शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का छात्र है. फिलहाल वो बेकार पड़े सिंगल यूज प्लास्टिक से पेट्रोल और एलपीजी बना रहा है. एक किलो प्लास्टिक से 800 ग्राम पेट्रोल और एलपीजी तैयार करता है और जो अवशेष बच जाते हैं, उससे टाइल्स बनाता है.
'पिता और दोस्त को दे रहा श्रेय'
विनीत इस काम के लिए अपने पिता धनेश प्रजापति और दोस्त अभिषेक कुमार को श्रेय देते हैं. विनीत के पिता गैस चूल्हा मरम्मत का काम करते हैं. वहीं, उसकी मां सुनीता देवी गृहिणी है. जबकि इस काम में सहयोग करने वाले अभिषेक कुमार के पिता अशोक चौधरी किराने की दुकान चलाते हैं. वहीं, माता मंजू देवी आशा कार्यकर्ता हैं.
'4 देशों से मिला रिसर्च का ऑफर'
गरीब परिवार से संबंध रखने वाले छात्रों के सामने कई समस्याएं आई. फिर भी दोनों ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयोग करते रहे. विनीत इंटरनेशनल इनोवेटिव फेयर में दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधियों के सामने हैदराबाद में ये प्रयोग दिखा चुका है. जहां चीन, पोलैंड, पुर्तगाल, ब्राजील जैसे 4 देशों से रिसर्च करने के लिए निमंत्रण भी मिला. विनीत ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें हर जगह से मान सम्मान मिल रहा है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि जिला प्रशासन की तरफ से अब तक कोई सहयोग नहीं मिला.
'सरकार से फंड की उम्मीद'
सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे के निस्तारण विधि को लेकर विनीत की योजना एक गाड़ी बनाने की है. जिसमें उसका मशीन लग सके. विनीत का कहना है कि लोग उसके मशीन का प्रयोग करें ताकि प्लास्टिक से पेट्रोल प्राप्त हो. वहीं, इस वाहन को बनाने के लिए विनीत को जिला प्रशासन से सहयोग की उम्मीद है. विनीत का कहना है कि उसके इस आविष्कार के लिए सरकार फंड मुहैया कराये.
सात चरणों में बनता है पेट्रोल
बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक से सात चरण में पेट्रोल बनाया जाता है. सबसे पहले प्लास्टिक को इकट्ठा कर उसे उच्च तापमान पर रसायन की मदद से गलाया जाता है. जहां, ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर होती है. इसके बाद प्लास्टिक गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है. फिर मशीन के अंदर गैस के साथ केटेलाइटिक रिडक्शन की प्रक्रिया होती है. उत्प्रेरक के साथ गैस को रिएक्ट कराकर हाई नाइट्रोजन से पास कराया जाता है. इसके बाद ये लिक्विड में बदल जाता है, जो इथेन में परिवर्तित हो जाता है, जिससे पेट्रोल और डीजल तैयार होता है. वहीं, जो गैस पेट्रोल नहीं बन पाता है, उसे एलपीजी के रूप में प्राप्त किया जाता है.
अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण
विनीत और अभिषेक ने बताया कि अपशिष्ट से फायर प्रूफ टाइल्स और ईंट का निर्माण किया जा सकता है. इसका उपयोग हाई सेंसेटिव एरिया में आग से बचने के लिए किया जा सकता है. विनीत के इस प्रयोग से हर कोई आश्चर्यचकित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लड़का भविष्य में बहुत कुछ करेगा. फिलहाल विनीत जैसे बाल वैज्ञानिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है.