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औरंगाबाद: महिलाओं ने धूमधाम से की वट सावित्री की पूजा

भारतीय परंपरा में सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार वट सावित्री की पूजा जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई. इस दौरान महिलाओं ने वटवृक्ष के पास जाकर पूजा-अर्चना की.

पूजा में महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन
पूजा में महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन
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Published : May 23, 2020, 10:23 AM IST

औरंगाबाद: जिले में शुक्रवार को वट सावित्री की पूजा बड़े धूमधाम से की गई. वट सावित्री की पूजा में महिलाओं ने वटवृक्ष में धागा लपेटकर पूजा की. वट के पास इस तरह की पूजा की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है.

इस त्योहार के कथा के सम्बंध में पंडित संतोष कुमार मिश्र बताते हैं कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथों से छुड़ाकर लाई थी. इसलिए इसी दिन से हर सुहागिन इस त्योहार को मनाती आ रही हैं.

aurangabad
पूजा में महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन

पूजा की विधि
संतोष मिश्र ने बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद सोलह श्रृंगार कर पूजा की थाली और लोटे में जल लेकर वट वृक्ष के पास जाती हैं. वट वृक्ष की छांव में साफ-सफाई कर उक्त स्थान को पवित्र करती हैं. वट वृक्ष से सात पत्ते तोड़कर वृक्ष के तने के पास रखकर उस पर फल और पूजन सामाग्री रखती हैं. सुहागिन अपने बालों के जुड़े में भी वट वृक्ष का पत्ता लगाती हैं. सिंदूर से वट वृक्ष को टिकती हैं और फिर कच्चे धागे को वट वृक्ष के तने में लपेटती हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन
भारतीय परंपरा में सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार वट सावित्री की पूजा जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई. इस दौरान महिलाओं ने वटवृक्ष के पास जाकर पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु की कामना की. लेकिन इस दौरान महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया. जिस कारण महामारी में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

औरंगाबाद: जिले में शुक्रवार को वट सावित्री की पूजा बड़े धूमधाम से की गई. वट सावित्री की पूजा में महिलाओं ने वटवृक्ष में धागा लपेटकर पूजा की. वट के पास इस तरह की पूजा की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है.

इस त्योहार के कथा के सम्बंध में पंडित संतोष कुमार मिश्र बताते हैं कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथों से छुड़ाकर लाई थी. इसलिए इसी दिन से हर सुहागिन इस त्योहार को मनाती आ रही हैं.

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पूजा में महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन

पूजा की विधि
संतोष मिश्र ने बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद सोलह श्रृंगार कर पूजा की थाली और लोटे में जल लेकर वट वृक्ष के पास जाती हैं. वट वृक्ष की छांव में साफ-सफाई कर उक्त स्थान को पवित्र करती हैं. वट वृक्ष से सात पत्ते तोड़कर वृक्ष के तने के पास रखकर उस पर फल और पूजन सामाग्री रखती हैं. सुहागिन अपने बालों के जुड़े में भी वट वृक्ष का पत्ता लगाती हैं. सिंदूर से वट वृक्ष को टिकती हैं और फिर कच्चे धागे को वट वृक्ष के तने में लपेटती हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन
भारतीय परंपरा में सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार वट सावित्री की पूजा जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई. इस दौरान महिलाओं ने वटवृक्ष के पास जाकर पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु की कामना की. लेकिन इस दौरान महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया. जिस कारण महामारी में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

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