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औरंगाबाद: कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किसानों को नकदी फसलों की दी गई ट्रेनिंग

भारी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रदेश में लोटे हैं. सरकार इनके लिए रोजगार की योजना बना रही है. इसके तहत किसान और मजदूरों को ट्रेनिंग दी गई.

प्रवासी मजदूर
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Published : Jun 13, 2020, 12:03 PM IST

औरंगाबाद: दूसरे प्रदेशों से आए मजदूरों के लिए प्रखंड स्तर पर कृषि आधारित व्यवसाय के लिए ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी गई है. इस क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से जिले के नवीनगर प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि भवन में मजदूरों और किसानों को मशरूम उत्पादन और जड़ी-बूटी की खेती की ट्रेनिंग दी गई. इसमें बड़ी संख्या में किसान और मजदूरों ने भाग लिया.

मजदूरों के लिए सरकार ने कृषि उत्पाद के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण की नीति अपनाई है. इसी नीति के तहत जिले के नवीनगर प्रखंड में ट्रेनिंग की शुरुआत की गई है. बाहर से लौटे मजदूरों और स्थानीय किसानों के लिए यहां मुख्य रूप से मशरूम, सुगंधित और औषधीय जड़ी बूटी की खेती की ट्रेनिंग दी गई. ये फसल नकदी फसल के तौर पर जानी जाती है. ये ट्रेनिंग जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संगीता मेहता और किसान अमरेश सिंह ने दिया.

नकदी फसल प्रशिक्षक
नकदी फसलों का प्रशिक्षक

नकदी फसल की दी गई ट्रेनिंग
डॉ. संगीता मेहता ने मजदूरों और किसानों को ट्रेनिंग देते हुए बताया कि कैसे नकदी फसल उपजाया जा सकता है. उनकी प्रोसेसिंग करके कुटीर उद्योग के तौर पर एक व्यक्ति आराम से 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह घर बैठे कमा सकता है. वहीं, किसान अमरेश सिंह ने मीडिया को बताया कि बताया कि कृषि आय का साधन हो. इसके लिए कैसे किसान अपने उत्पाद को पैकेजिंग कर फार्मिंग प्रोड्यूसर कंपनी के तहत बाजार में उतारकर सीधा लाभ कमा सकते हैं. इसकी भी ट्रेनिंग दी गई.

प्रदेश में कृषि रोजगार के लिए है अवसर
बता दें कि बिहार एक सघन आबादी वाला प्रदेश है. यहां अनाज का उत्पादन अन्य राज्यों की तुलना में हमेशा से ज्यादा रही है. लेकिन कुछ सालों से यहां किसानों को खेती में नुकसान हो रहा है. इससे किसान और खेतिहर मजदूर खेती छोड़कर बाहर के राज्यों में मजदूरी करने जाने लगे. हालांकि वहीं, कृषि उत्पाद को बहुराष्ट्रीय कंपनियां तैयार कर लाखों रुपये की मुनाफा कमा रही हैं, जबकि यहां किसान और खेतिहर मजदूर उसे बड़ी आसानी से तैयार कर आधे मूल्य में ही बेच कर अपनी जीविका चला रहे हैं.

औरंगाबाद: दूसरे प्रदेशों से आए मजदूरों के लिए प्रखंड स्तर पर कृषि आधारित व्यवसाय के लिए ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी गई है. इस क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से जिले के नवीनगर प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि भवन में मजदूरों और किसानों को मशरूम उत्पादन और जड़ी-बूटी की खेती की ट्रेनिंग दी गई. इसमें बड़ी संख्या में किसान और मजदूरों ने भाग लिया.

मजदूरों के लिए सरकार ने कृषि उत्पाद के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण की नीति अपनाई है. इसी नीति के तहत जिले के नवीनगर प्रखंड में ट्रेनिंग की शुरुआत की गई है. बाहर से लौटे मजदूरों और स्थानीय किसानों के लिए यहां मुख्य रूप से मशरूम, सुगंधित और औषधीय जड़ी बूटी की खेती की ट्रेनिंग दी गई. ये फसल नकदी फसल के तौर पर जानी जाती है. ये ट्रेनिंग जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संगीता मेहता और किसान अमरेश सिंह ने दिया.

नकदी फसल प्रशिक्षक
नकदी फसलों का प्रशिक्षक

नकदी फसल की दी गई ट्रेनिंग
डॉ. संगीता मेहता ने मजदूरों और किसानों को ट्रेनिंग देते हुए बताया कि कैसे नकदी फसल उपजाया जा सकता है. उनकी प्रोसेसिंग करके कुटीर उद्योग के तौर पर एक व्यक्ति आराम से 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह घर बैठे कमा सकता है. वहीं, किसान अमरेश सिंह ने मीडिया को बताया कि बताया कि कृषि आय का साधन हो. इसके लिए कैसे किसान अपने उत्पाद को पैकेजिंग कर फार्मिंग प्रोड्यूसर कंपनी के तहत बाजार में उतारकर सीधा लाभ कमा सकते हैं. इसकी भी ट्रेनिंग दी गई.

प्रदेश में कृषि रोजगार के लिए है अवसर
बता दें कि बिहार एक सघन आबादी वाला प्रदेश है. यहां अनाज का उत्पादन अन्य राज्यों की तुलना में हमेशा से ज्यादा रही है. लेकिन कुछ सालों से यहां किसानों को खेती में नुकसान हो रहा है. इससे किसान और खेतिहर मजदूर खेती छोड़कर बाहर के राज्यों में मजदूरी करने जाने लगे. हालांकि वहीं, कृषि उत्पाद को बहुराष्ट्रीय कंपनियां तैयार कर लाखों रुपये की मुनाफा कमा रही हैं, जबकि यहां किसान और खेतिहर मजदूर उसे बड़ी आसानी से तैयार कर आधे मूल्य में ही बेच कर अपनी जीविका चला रहे हैं.

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