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'खुद को कमजोर समझना छोड़ दें महिलाएं, दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो बाधाएं नहीं बनती रोड़ा' - अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस

बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी कुमारी अनुपम सिंह अपने काम के पहचान बना रही हैं. ये महिलाओं और खासकर छात्राओं का रोल मॉडल बन चुकी हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को वे जनप्रतिनिधि के रूप में कार्य करते देखती हैं. जब वह अपना फैसला खुद करती हैं तो उन्हें बेहद खुशी होती है.

SDM कुमारी अनुपम सिंह
SDM कुमारी अनुपम सिंह
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Published : Mar 8, 2020, 1:12 PM IST

औरंगाबाद: अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के लिए मिसाल पेश करने वाली देश की सभी महिलाओं में से एक नाम प्रशासनिक सेवा की अधिकारी कुमारी अनुपम सिंह का भी है. जिन्होंने कम समय में ही अपनी अलग पहचान बनाकर महिला सशक्तीकरण का उदाहरण पेश किया है. कम समय में ही अपने काम की बदौलत अलग पहचान बनाने वाली अनुपम सिंह दाउदनगर में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

'महिलाओं को बेचारी और अबला का कहना छोड़ दें'
कुमारी अनुपम सिंह ने कहा कि महिलाओं को बेचारी और अबला का कहना छोड़ दें. यह कहकर लोग महिलाओं को कमजोर साबित करते हैं. 48वीं से 52वीं बीपीएससी 2011 बैच की बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी कुमारी अनुपम सिंह ने 11 फरवरी 2020 को दाउदनगर एसडीएम का पदभार संभाला. इससे पहले वे भभुआ और पटना में भी एसडीएम के पद पर रहते हुए अपनी अलग पहचान बनाई है. इनके कैरियर की शुरूआत औरंगाबाद जिले में वरीय उपसमाहर्ता के पद से हुई थी. जिसके बाद वे सीनियर डिप्टी कलेक्टर बनी. सीनियर डिप्टी कलेक्टर के रुप में बक्सर में भी सेवा दे चुकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

महिलाओं के लिए सन्देश
एसडीएम ने कहा कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो रास्ते की बाधाएं कभी भी आपका रोड़ा नहीं बन सकती. उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं दृढ़ संकल्पित होकर अपनी मंजिल को पाने के लिये संघर्षरत रहें. तो कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी. सशक्तिकरण सोच से उत्पन्न होती है. महिलाएं अपने आपको कमजोर समझना छोड़ दें. साथ ही कहा कि महिलाओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना होगा. घरेलू हिंसा के मामले में सामाजिक भय की वजह से आमतौर पर महिलाएं बोल नहीं पाती हैं. महिलाओं के अपने मन से इस भय को मिटाना होगा.

अभिभावकों से अनुरोध
वहीं, अभिभावकों से अनुरोध किया कि महिलाओं की सोच को सशक्त बनाने के लिए बचपन से ही उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाएं. उन्होंने कहा कि महिलाओं से पहले वे पुरुषों को संदेश देना चाहती हैं कि जहां सम्मान है वहीं सशक्तिकरण है. महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलें. साथ ही कहा कि महिलाओं को बेचारी और अबला कहना बंद करें.

औरंगाबाद: अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के लिए मिसाल पेश करने वाली देश की सभी महिलाओं में से एक नाम प्रशासनिक सेवा की अधिकारी कुमारी अनुपम सिंह का भी है. जिन्होंने कम समय में ही अपनी अलग पहचान बनाकर महिला सशक्तीकरण का उदाहरण पेश किया है. कम समय में ही अपने काम की बदौलत अलग पहचान बनाने वाली अनुपम सिंह दाउदनगर में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

'महिलाओं को बेचारी और अबला का कहना छोड़ दें'
कुमारी अनुपम सिंह ने कहा कि महिलाओं को बेचारी और अबला का कहना छोड़ दें. यह कहकर लोग महिलाओं को कमजोर साबित करते हैं. 48वीं से 52वीं बीपीएससी 2011 बैच की बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी कुमारी अनुपम सिंह ने 11 फरवरी 2020 को दाउदनगर एसडीएम का पदभार संभाला. इससे पहले वे भभुआ और पटना में भी एसडीएम के पद पर रहते हुए अपनी अलग पहचान बनाई है. इनके कैरियर की शुरूआत औरंगाबाद जिले में वरीय उपसमाहर्ता के पद से हुई थी. जिसके बाद वे सीनियर डिप्टी कलेक्टर बनी. सीनियर डिप्टी कलेक्टर के रुप में बक्सर में भी सेवा दे चुकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

महिलाओं के लिए सन्देश
एसडीएम ने कहा कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो रास्ते की बाधाएं कभी भी आपका रोड़ा नहीं बन सकती. उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं दृढ़ संकल्पित होकर अपनी मंजिल को पाने के लिये संघर्षरत रहें. तो कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी. सशक्तिकरण सोच से उत्पन्न होती है. महिलाएं अपने आपको कमजोर समझना छोड़ दें. साथ ही कहा कि महिलाओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना होगा. घरेलू हिंसा के मामले में सामाजिक भय की वजह से आमतौर पर महिलाएं बोल नहीं पाती हैं. महिलाओं के अपने मन से इस भय को मिटाना होगा.

अभिभावकों से अनुरोध
वहीं, अभिभावकों से अनुरोध किया कि महिलाओं की सोच को सशक्त बनाने के लिए बचपन से ही उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाएं. उन्होंने कहा कि महिलाओं से पहले वे पुरुषों को संदेश देना चाहती हैं कि जहां सम्मान है वहीं सशक्तिकरण है. महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलें. साथ ही कहा कि महिलाओं को बेचारी और अबला कहना बंद करें.

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