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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है कोई प्रसूति रोग विशेषज्ञ, दर-दर भटकते हैं मरीज

अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होने के कारण गंभीर स्थिति के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण प्रसूति की मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे सदर अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में भटकते रहते हैं.

सदर अस्पताल
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Published : Jun 8, 2019, 10:26 AM IST

औरंगाबादः सुरक्षित प्रसव के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने काफी प्रचार प्रसार किया है. सरकार की ओर से लोगों को बताया जा रहा है कि सुरक्षित प्रसव के लिए अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाएं. लेकिन औरंगाबाद जिले के कई सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ ही मौजूद नहीं है, ना ही भविष्य में नियुक्त होने की कोई संभावना दिख रही है.

aurangabad
जननी सुरक्षा योजना

इन स्वास्थ्य केंद्रों में डिलीवरी का सारा कार्यभार मौजूदा स्टाफ और नर्सों के हवाले है. बता दें कि महिलाओं के सुरक्षित मातृत्व के लिए जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही सबसे उत्तम माना जाता है. जब से केंद्र सरकार ने जननी सुरक्षा योजना पूरे देश में लागू की है, तभी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की किस्मत पलटने लगी. आम घरों में खासकर ग्रामीण अंचलों में जहां प्रसूति के दौरान मौतें अधिक होती थी, आज मौतों का प्रतिशत काफी कम हो गया है. इसका कारण है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित मातृत्व के लिए की गई व्यवस्था और उन व्यवस्थाओं को कड़ाई से लागू कराना.

aurangabad
सदर अस्पताल

बिन डॉक्टर सारी सुविधा अधूरी

यहां एंबुलेंस की भी सेवा है जो कि प्रसूति के मरीजों को उनके घर से अस्पताल तक लाना और फिर वापस छोड़ने का काम करता हैं. इसके लिए उनसे कोई शुल्क भी नहीं ली जाती है. लेकिन इन सारी व्यवस्थाओं के बावजूद अगर स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति न हो तो, ऐसी स्थिति में सुविधाएं अधूरे रह जाते हैं. जिले में एक नहीं कई अस्पताल ऐसे हैं, जहां स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं है. दाउदनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कुटुम्बा और बारूण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा अन्य छोटे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. जहां महिला डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है.

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सदर अस्पताल

मरीजों को कर दिया जाता है रेफर
इन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होने के कारण गंभीर स्थिति के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण प्रसूति की मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे सदर अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में भटकते रहते हैं. इसके अलावा मदनपुर, बारुण, कुटुम्बा और अन्य जगहों पर एक्सरे की सुविधा भी नहीं है जिसके कारण मरीजों को बाहर एक्सरे कराना पड़ता है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है विशेषज्ञ

विभाग से भी की गयी मांग
इस संबंध में सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले में महिला चिकित्सकों की कमी है. जिसकी पूर्ति के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शनिवार को होने वाली मीटिंग में वे इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष रखेंगे और उनकी कोशिश होगी कि स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की हर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्ति की जाए. कम-से-कम हर प्रखंड मुख्यालय में एक स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जा सके.

औरंगाबादः सुरक्षित प्रसव के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने काफी प्रचार प्रसार किया है. सरकार की ओर से लोगों को बताया जा रहा है कि सुरक्षित प्रसव के लिए अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाएं. लेकिन औरंगाबाद जिले के कई सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ ही मौजूद नहीं है, ना ही भविष्य में नियुक्त होने की कोई संभावना दिख रही है.

aurangabad
जननी सुरक्षा योजना

इन स्वास्थ्य केंद्रों में डिलीवरी का सारा कार्यभार मौजूदा स्टाफ और नर्सों के हवाले है. बता दें कि महिलाओं के सुरक्षित मातृत्व के लिए जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही सबसे उत्तम माना जाता है. जब से केंद्र सरकार ने जननी सुरक्षा योजना पूरे देश में लागू की है, तभी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की किस्मत पलटने लगी. आम घरों में खासकर ग्रामीण अंचलों में जहां प्रसूति के दौरान मौतें अधिक होती थी, आज मौतों का प्रतिशत काफी कम हो गया है. इसका कारण है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित मातृत्व के लिए की गई व्यवस्था और उन व्यवस्थाओं को कड़ाई से लागू कराना.

aurangabad
सदर अस्पताल

बिन डॉक्टर सारी सुविधा अधूरी

यहां एंबुलेंस की भी सेवा है जो कि प्रसूति के मरीजों को उनके घर से अस्पताल तक लाना और फिर वापस छोड़ने का काम करता हैं. इसके लिए उनसे कोई शुल्क भी नहीं ली जाती है. लेकिन इन सारी व्यवस्थाओं के बावजूद अगर स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति न हो तो, ऐसी स्थिति में सुविधाएं अधूरे रह जाते हैं. जिले में एक नहीं कई अस्पताल ऐसे हैं, जहां स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं है. दाउदनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कुटुम्बा और बारूण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा अन्य छोटे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. जहां महिला डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है.

aurangabad
सदर अस्पताल

मरीजों को कर दिया जाता है रेफर
इन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होने के कारण गंभीर स्थिति के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण प्रसूति की मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे सदर अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में भटकते रहते हैं. इसके अलावा मदनपुर, बारुण, कुटुम्बा और अन्य जगहों पर एक्सरे की सुविधा भी नहीं है जिसके कारण मरीजों को बाहर एक्सरे कराना पड़ता है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है विशेषज्ञ

विभाग से भी की गयी मांग
इस संबंध में सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले में महिला चिकित्सकों की कमी है. जिसकी पूर्ति के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शनिवार को होने वाली मीटिंग में वे इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष रखेंगे और उनकी कोशिश होगी कि स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की हर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्ति की जाए. कम-से-कम हर प्रखंड मुख्यालय में एक स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जा सके.

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औरंगाबाद- सुरक्षित मातृत्व प्रसव के लिए केंद्र और राज्य की सरकारों ने काफी प्रचार प्रसार किया है। हर अखबार और टेलीविजन पर विज्ञापन के माध्यम से सन्देश प्रसारित किया जा रहा है कि सुरक्षित प्रसव के लिए अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाएं। लेकिन औरंगाबाद जिले के कई सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं है और ना ही निकट भविष्य में नियुक्त होने की संभावना है। वहां डिलीवरी का सारा कार्यभार मौजूद स्टाफ नर्सों के हवाले है।


Body:महिलाओं के सुरक्षित मातृत्व के लिए जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही सबसे उत्तम है। जब से सरकार द्वारा जब से केंद्र सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना पूरे देश में लागू किया गया था तभी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के किस्मत पलटने लगे ।आम घरों में खासकर के ग्रामीण अंचलों में जहां प्रसूति के दौरान मौतें अधिक होती थी , मौतों के प्रतिशत शून्य पर पर आ गया है। इसका कारण है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित मातृत्व के लिए किए गए व्यवस्था और उन व्यवस्थाओं को कड़ाई से लागू कराना। यहां एंबुलेंस की भी सेवा है जो कि प्रसूति के मरीजों को उनके घर से हॉस्पिटल तक लाना और पुनः वापस छोड़ने का कार्य करता है। इसके लिए उनसे कोई शुल्क भी नहीं ली जाती है। लेकिन इन सारी व्यवस्थाओं के बावजूद अगर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति न हो तो, ऐसी स्थिति में सुविधाएं अधूरे प्रतीत होते हैं। जिले में एक नहीं कई हॉस्पिटल ऐसे हैं जहां स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं है। दाउदनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ,कुटुम्बा और बारूण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावे अन्य छोटे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां महिला चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं है।

मरीजों का कर दिया जाता है रेफर

डॉक्टर नहीं होने के कारण गंभीर स्थिति के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है । जिसके कारण प्रसूति की मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे सदर अस्पताल से लेकर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भटकते रहते हैं। इसके अलावा मदनपुर,बारुण,कुटुम्बा और अन्य जगहों पर एक्सरे की सुविधा भी नहीं है जिसके कारण मरीजों को बाहर एक्सरे कराना पड़ता है ।

की गई है विभाग से मांग

इस संबंध में बात करने पर सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि जिले में महिला चिकित्सकों की कमी है और जिसकी पूर्ति के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को होने वाली मीटिंग में वे इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे और उनकी कोशिश होगी कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की हर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्ति की कोशिश होगी। कम-से-कम हर प्रखंड मुख्यालय में एक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति किया जा सके।

फिलहाल स्थिति यही है कि इन तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नर्सों के सहारे ही डिलीवरी कराई जा रही है।


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BH_AUR_RAJESH_RANJAN_No_GYNECOLOGIST_IN_HOSPITAL_CS_DR_SURENDRA_PRASAD_SINGH_BYTE
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