ETV Bharat / state

धरने पर बैठे मजदूरों को NPGC ने दिखाया बाहर का रास्ता, INTUC ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

author img

By

Published : Dec 22, 2019, 2:56 AM IST

Updated : Dec 22, 2019, 1:51 PM IST

विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों को निकाल दिए जाने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा पनप रहा है. इस बाबत, इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस) नेता आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे हैं.

NPGC का पॉवर प्लांट
NPGC का पॉवर प्लांट

औरंगाबाद: जिले के नबीनगर स्थित एनटीपीसी के उपक्रम एनपीजीसी के कुछ मजदूर पिछले महीने अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे. सभी मजदूरों को प्रबंधन ने काम से बाहर कर दिया है. मजदूरों की जीविका पर संकट मंडराने लगा है. परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है. इस बाबत अभी तक किसी ने इन मजदूरों की मांगों पर चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा है. वहीं, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने आमरण अनशन की बात कही है.

NPGC
NPGC का पॉवर प्लांट

विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों को निकाल दिए जाने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा पनप रहा है. इस बाबत, इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस) नेता आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे हैं. बता दें कि 8 सूत्री मांगों को लेकर एक महीने पहले धरने पर बैठे थे. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे इंटक नेता भोला यादव ने चेतावनी दी कि अगर बर्खास्त मजदूरों को फिर से काम पर नहीं रखा गया, तो वो आमरण अनशन करेंगे.

नबीनगर NPGC
आमरण अनशन पर बात करता मजदूर यूनियन

सरकारी नियम लागू करने की मांग

  • एनपीजीसी में अकुशल मजदूर को 260 से 280 रुपये मजदूरी दी जाती है, जबकि भारत सरकार की तय न्यूनतम मजदूरी 403 रुपये है.
  • अर्द्धकुशल मजदूर को कंपनी 300 रुपये ही दिहाड़ी दे रही है, जबकि अर्द्धकुशल मजदूर को 8 घंटे की वर्तमान दिहाड़ी 472 रुपये केंद्र सरकार ने तय की है.
  • इसी तरह यहां कुशल मजदूर को वर्तमान में 350 रुपये दिए जा रहे हैं है, जबकि वर्तमान मजदूरी नियम के अनुसार 569 रुपये भुगतान करना होगा. इसी को लेकर मजदूर धरने पर बैठे थे.
  • इसके अलावा निर्माण ठेका श्रमिक जो सिविल में 240 दिन कार्य करने के बाद श्रम कानून अधिनियम के तहत लाभ पाने का दावेदार हो जाता है. लेकिन उसका लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है.
    ईटीवी भारत के लिए राजेश रंजन की रिपोर्ट

इंटक ने छुट्टी, बोनस, बेनिफिट लाभ, मेडिकल लाभ, पीएफ लाभ, नोटिस पे लाभ और अन्य लाभों के लिए धरना दिया था. लेकिन मजदूरों को सहूलियत तो नहीं मिली. इसके उलट धरने पर बैठे मजदूरों को निकाल दिया गया. एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री श्रम कानूनों में लगातार बदलाव ला रहे हैं और श्रमिकों के लिए नित नई योजनाएं ला रहे हैं. दूसरी तरफ एनटीपीसी में श्रम कानूनों के उल्लंघन होने का आरोप लग रहे हैं, जिसकी जांच जरूरी है.

औरंगाबाद: जिले के नबीनगर स्थित एनटीपीसी के उपक्रम एनपीजीसी के कुछ मजदूर पिछले महीने अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे. सभी मजदूरों को प्रबंधन ने काम से बाहर कर दिया है. मजदूरों की जीविका पर संकट मंडराने लगा है. परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है. इस बाबत अभी तक किसी ने इन मजदूरों की मांगों पर चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा है. वहीं, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने आमरण अनशन की बात कही है.

NPGC
NPGC का पॉवर प्लांट

विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों को निकाल दिए जाने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा पनप रहा है. इस बाबत, इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस) नेता आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे हैं. बता दें कि 8 सूत्री मांगों को लेकर एक महीने पहले धरने पर बैठे थे. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे इंटक नेता भोला यादव ने चेतावनी दी कि अगर बर्खास्त मजदूरों को फिर से काम पर नहीं रखा गया, तो वो आमरण अनशन करेंगे.

नबीनगर NPGC
आमरण अनशन पर बात करता मजदूर यूनियन

सरकारी नियम लागू करने की मांग

  • एनपीजीसी में अकुशल मजदूर को 260 से 280 रुपये मजदूरी दी जाती है, जबकि भारत सरकार की तय न्यूनतम मजदूरी 403 रुपये है.
  • अर्द्धकुशल मजदूर को कंपनी 300 रुपये ही दिहाड़ी दे रही है, जबकि अर्द्धकुशल मजदूर को 8 घंटे की वर्तमान दिहाड़ी 472 रुपये केंद्र सरकार ने तय की है.
  • इसी तरह यहां कुशल मजदूर को वर्तमान में 350 रुपये दिए जा रहे हैं है, जबकि वर्तमान मजदूरी नियम के अनुसार 569 रुपये भुगतान करना होगा. इसी को लेकर मजदूर धरने पर बैठे थे.
  • इसके अलावा निर्माण ठेका श्रमिक जो सिविल में 240 दिन कार्य करने के बाद श्रम कानून अधिनियम के तहत लाभ पाने का दावेदार हो जाता है. लेकिन उसका लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है.
    ईटीवी भारत के लिए राजेश रंजन की रिपोर्ट

इंटक ने छुट्टी, बोनस, बेनिफिट लाभ, मेडिकल लाभ, पीएफ लाभ, नोटिस पे लाभ और अन्य लाभों के लिए धरना दिया था. लेकिन मजदूरों को सहूलियत तो नहीं मिली. इसके उलट धरने पर बैठे मजदूरों को निकाल दिया गया. एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री श्रम कानूनों में लगातार बदलाव ला रहे हैं और श्रमिकों के लिए नित नई योजनाएं ला रहे हैं. दूसरी तरफ एनटीपीसी में श्रम कानूनों के उल्लंघन होने का आरोप लग रहे हैं, जिसकी जांच जरूरी है.

Intro:संक्षेप- जिले के नवीनगर में स्थित एनटीपीसी का उपक्रम एनपीजीसी के कुछ मजदूर पिछले महीने अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। उन सभी मजदूरों को प्रबंधन ने काम से बाहर कर दिया है। जिससे मजदूरों में असंतोष बना हुआ है।
BH_AUR_01_NPGC ANDOLAN_VIS_BYTE_2019_7204105

औरंगाबाद- जिले के नवीनगर में स्थित एनपीजीसी मजदूरों के विरोध की ज्वालामुखी पर बैठा है । विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों को निकाल दिए जाने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा पनप रहा है । नेता आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे हैं।Body:एनपीजीसी नबीनगर में मजदूरों की बेहतरी के लिए 8 सूत्री मांगों को लेकर एक महीने पहले धरने पर बैठे मजदूरों को कम्पनी प्रबंधक ने बर्खास्त कर दिया है । जिसको लेकर मजदूरों में आक्रोश पनप रहा है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे इंटक नेता भोला यादव ने चेतावनी दी है कि अगर बर्खास्त मजदूरों को फिर से कम पर नहीं रखा गया तो वे आमरण अनशन करेंगे।

क्या है मामला

अपने विभिन्न मांगों जैसे कि अकुशल मजदूर को दिए जाने वाली मजदूरी 260 रुपए या 280 रुपए दी जाती है। जबकि भारत सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी ₹403 अकुशल मजदूर को दी जानी चाहिए । अर्द्धकुशल मजदूर को कंपनी द्वारा ₹300 ही दी जाती है जबकि अर्द्धकुशल मजदूर को 8 घंटे का वर्तमान दिहाड़ी ₹472 होता है। इसी तरह कुशल मजदूर को वर्तमान में दी जाने वाली मजदूरी 350 रुपए है। जबकि वर्तमान मजदूरी नियम के अनुसार ₹569 होता है जो कि मजदूर को नहीं दी जाती है।
इसके अलावा निर्माण ठेका श्रमिक जो सिविल में 240 दिन कार्य करने के बाद श्रम कानून अधिनियम के तहत लाभ पाने का दावेदार हो जाता है लेकिन उसका लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है। इंटक ने लिव, बोनस, बेनिफिट लाभ, मेडिकल लाभ, पीएफ लाभ, नोटिस पे लाभ और अन्य लाभों के लिए धरना दिया था। लेकिन मजदूरों को सहूलियत तो नहीं मिली उल्टे धरना पर बैठे मजदूरों को ही निकाल दिया गया।
इसके अलावा कम्पनी काम को ठेके पर भिन्न भिन्न कम्पनियों को देती है जिससे भी मजदूरों को नियमित भुगतान नहीं हो पाता है।
Conclusion:एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री श्रम कानूनों में लगातार बदलाव ला रहे हैं और श्रमिकों के लिए नित नई योजनाएं ला रहे हैं। दूसरी तरफ एनपीजीसी में श्रम कानूनों का उल्लंघन होने का आरोप लग रहे हैं जिसकी जांच जरूरी है।
विसुअल - रेडी टू अपलोडबाइट- भोला यादव, सचिव, इंटक कांग्रेस, औरंगाबाद
Last Updated : Dec 22, 2019, 1:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.