औरंगाबाद: बहुचर्चित निर्भया मामला के दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी की तलाक अर्जी पर सुनवाई टल गई है. सशरीर उपस्थित नहीं होने की वजह से यह सुनवाई टली है. अब इस मामले पर सुनवाई 24 मार्च को होगी.
आखिरि बार पति से मिलने दिल्ली गई पुनीता
दरअसल, निर्भया मामले में दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता की गुरुवार को अपने पति से अंतिम मुलाकात होनी है. अपने बेटे के साथ वह पति से आखिरि मुलाकात करने दिल्ली पहुंच गई है. जिस वजह से वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकी. दोनों शुक्रवार को अक्षय की फांसी व अंतिम संस्कार के बाद वापस लौटेंगे.
20 मार्च, 2020 फांसी का दिन मुकर्रर
पुनीता ने अपनी अर्जी में कहा है कि वो विधवा के तौर पर अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकती. टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकरमा गांव की रहने वाले अक्षय की पत्नी पुनीता ने औरंगाबाद परिवार न्यायालय के न्यायाधीश रामलाल शर्मा की अदालत में तलाक की अर्जी दी है. इस अर्जी पर आज सुनवाई होनी है. जबकि दिल्ली के तिहाड़ जेल में आरोपी अक्षय को फांसी पर लटकाने की तारीख 20 मार्च, 2020 मुकर्रर की जा चुकी है.
'पति की मौत से पहले तलाक दिलवाया जाए'
अक्षय की पत्नी पुनीता ने अदालत में दाखिल अर्जी में लिखा है, 'मेरे पति को सजा-ए-मौत दी जानी है. जबकि मेरे पति निर्दोष हैं. ऐसे में मैं अपनी जिंदगी एक दुष्कर्मी पति की विधवा बनकर नहीं गुजार सकती, लिहाजा मुझे कानूनी तौर पर पति की मौत से पहले ही तलाक दिलवाया जाए.'
वहीं औरंगाबाद में मीडिया से बातचीत में पुनीता के वकील मुकेश कुमार सिंह ने कहा, 'मेरी मुवक्किल (अक्षय कुमार सिंह की पत्नी पुनीता सिंह) पीड़ित महिला का यह मौलिक और कानूनी अधिकार है. इसीलिए मैंने उसकी तरफ से परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की है.
कानून देता है तलाक की इजाजत
अधिवक्ता ने कहा, 'पीड़ित महिला का यह कानूनी अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कुछ विशेष हालातों में तलाक मांग सकती है. इसमें दुष्कर्म का मामला भी बनता है.'
दिल्ली की तीस हजारी अदालत में तलाक और आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिवक्ता सतेंद्र शर्मा ने मंगलवार को आईएएनएस से कहा, 'कानून कहता है कि अगर किसी महिला का पति दुष्कर्म के आरोप में मुजरिम करार दिया जाए तो पत्नी अदालत से कानूनी तौर पर तलाक दिलवाए जाने का अनुरोध कर सकती है.'
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं सभी दोषी
उल्लेखनीय है कि निर्भया के दोषी मुकेश, अक्षय, पवन गुप्ता और विनय लंबे समय से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. चारों मौत की सजा के खिलाफ नई-नई तरकीबें अपना रहे हैं. हाल ही में निर्भया के दोषी फांसी के फंदे से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अदालत भी जा पहुंचे हैं.
साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का भी दरवाजा खटखटाया है. कानून के जानकार बताते हैं कि ये सब दोषियों के वकीलों द्वारा महज वक्त जाया करने के तौर-तरीके हैं. मामला जहां तक पहुंच चुका है, उसके बाद अब सजा कम होने की गुंजाइश न के बराबर है.