औरंगाबाद: सदर अस्पताल में 30 से अधिक मरीजों की मौत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है. इसके लिए सदर हॉस्पिटल में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां सीधे फोन कर मामले की जानकारी दी जा सकती है या सलाह ली जा सकती है. इसके अलावा दो दिनों तक जिले के सदर हॉस्पिटल में 48 घण्टे के लिए हाईअलर्ट घोषित किया गया है. दिन रात इमरजेंसी सेवा जारी रहेगी. कंट्रोल रूम का नंबर - 06186 223 168 है.
सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि मरीजों का इलाज सही तरीके से हो रहा है. हॉस्पिटल में लू लगने से 22 मरीजों की मौत और 20 मरीजों के बीमार होकर भर्ती होने का आंकड़ा है. वैसे मौत 30 से अधिक हुई है. उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम के अलावा प्रशासन के निर्देश पर एक एडवाइजरी जारी की गई है. जिसके अनुसार प्रखंड विकास पदाधिकारी के स्तर से प्रखंडों में लू से बचने और इलाज के लिए प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है.
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मौत का आधिकारिक आंकड़ा
सिविल सर्जन ने बताया कि लू लगने से मरीजों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा 22 है. जबकि मरने वालों की संख्या 30 के करीब है. बाकी लोग हॉस्पिटल में आने पर मरीज की मौत के बाद उसे लेकर वापस चले गए थे. इस कारण उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका. वहीं लू लगने से 20 के करीब मरीज अभी भी हॉस्पिटल में भर्ती हैं. जिन्हें तत्काल इलाज देकर स्थिति को कंट्रोल में किया गया है.
इलाज में नहीं हुई लापरवाही
मामले में चौतरफा घिर रहे औरंगाबाद सिविल सर्जन ने जोर देकर कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई है. कई मरीजों की जान बचाई गयी है. वैसे मरीजों की ही मौत हुई है जिनकी हालत खराब हो गई थी. डॉक्टरों की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी पूरे बिहार में है, लेकिन इलाज में कहीं से कोई कोताही नहीं बरती गई. उन्होंने बताया कि मरीजों का तत्काल इलाज कराया गया. सभी मरीज लू के चलते बुखार से पीड़ित थे. उनका बुखार 105 डिग्री से ज्यादा था. उन्होंने बताया कि बाजार से बर्फ मंगवाकर उनका इलाज किया गया. पूरे शरीर की बर्फ से सिकाई करवाई गई.
प्राइवेट डॉक्टरों की सेवाएं ली गईं
सिविल सर्जन ने बताया कि शाम होते-होते मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ गई थी. जैसे कहीं कोई बस एक्सीडेंट या अन्य आपदा आयी हो. इस तरह से अचानक आए मरीजों को देख कर ऐसा लग रहा था कि इन सभी मरीजों को एक ही समय में अलग-अलग स्थानों पर सनस्ट्रोक हुआ हो. स्थिति को कंट्रोल में करने की कोशिश की गई. जल्द ही अन्य डॉक्टरों को बुला लिया गया था. जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राइवेट हॉस्पिटल से भी डॉक्टरों को बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि इलाज के अभाव में किसी की मौत नहीं हुई है.
लू लगने की स्थिति में क्या करें
सिविल सर्जन ने बताया कि लू लगने के बाद लू लगे व्यक्ति को छांव में लिटा दें. उनके शरीर पर लगे कपड़े को ढीला कर दें अथवा हटा दें. लू लगे व्यक्ति के शरीर को ठंडे गीले कपड़े से पोछें या ठंडे पानी से नहलाएं. उसके शरीर के तापमान को कम करने के लिए कूलर पंखे आदि का प्रयोग करें. उसकी गर्दन, पेट और सिर पर बार-बार गीला तथा ठंडा कपड़ा रखें. उस व्यक्ति को ओआरएस, नींबू पानी, नमक चीनी का घोल, छाछ या शरबत पीने को दें. लू लगे व्यक्ति की हालत में 1 घंटे तक सुधार ना हो तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में लेकर जाएं.
क्या न करें
जहां तक संभव हो कड़ी धूप में बाहर ना निकलें. अधिक तापमान में बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम न करें. चाय, कॉफी जैसे गर्म पेय तथा जर्दा, तंबाकू आदि मादक पदार्थों का सेवन ना करें. ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन जैसे मांस, अंडा या सूखे मेवे जो शारीरिक ताप को बढ़ाते है का सेवन कम करें या ना करें. यदि व्यक्ति गर्मी या लू के कारण पानी की उल्टियां करे या बेहोश हो तो उसे कुछ भी खाने पीने को न दें. बच्चों को बंद वाहन में अकेला न छोड़ें.