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औरंगाबाद: लॉक डाउन के दौरान पशु चारा हुआ महंगा, पशु आहार के दामों में दोगुना इजाफा

पशुपालकों ने बताया कि पशुपालन बिल्कुल घाटे का सौदा बनकर रह गया है. दूध का वर्तमान दर तो उतना ही है. लेकिन चारा और आहार की कीमत कई गुना बढ़ गई है. मेहनताना तो छोड़ दीजिए जो नकद लगा रहे हैं वह भी नहीं निकल रहा है.

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Published : Apr 16, 2020, 7:39 PM IST

पशु चारा हुआ महंगा
पशु चारा हुआ महंगा

औरंगाबाद: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए किए गए लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर पशुपालकों पर ही पड़ा है. पशुपालक इन दिनों महंगे हुए चारा और पशु आहार से काफी परेशान हैं. जबकि दूध की दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. आमतौर पर 200 से 400 प्रति क्विंटल के बीच बिकने वाला पशु चारा अब 800 से 1 हजार रुपये क्विंटल के बिक रहा है. इसके अलावा पशु आहार की भी दोगुने से अधिक कीमत बढ़ गई है.

लॉक का सबसे ज्यादा असर पशुओं पर पड़ा
कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन से लेकर के तमाम लोग सहयोग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पशुपालक इन दिनों काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिले के पशुपालकों के लिए सबसे बड़ी समस्या पशु चारे की हो गई है. पशु चारा की उपलब्धता कम होने के कारण कीमत 3 से गुना 4 गुना ज्यादा बढ़ गई है. बेमौसम बरसात होने के कारण धान का पुआल काफी मात्रा में सड़ गया है. वहीं, दूसरा कारण लॉक डाउन है. जिसकी वजह से गेहूं काटने की मशीन नहीं आने के कारण गेहूं नहीं काटा जा सका है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

aurangabad
पशु चारा हुआ महंगा
पशु आहार की रेट में भी बढ़ोतरीपशु चारा के अलावा पशु आहार की दर में भी दोगुना बढ़ोतरी देखी जा रही है. पशु आहार के तौर पर जानवरों को चोकर और खली खिलाया जाता है. इस आहार में भी काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. 800 से 1 हजार रुपये प्रति बोरी बिकने वाला चोकर 1800 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये प्रति बोरी बिक रहा है. घाटे का सौदा बना पशुपालनपशुपालक कृष्णा साव और रघुनाथ यादव बताते हैं कि पशुपालन बिल्कुल घाटे का सौदा बनकर रह गया है. दूध का वर्तमान दर तो उतना ही है. लेकिन चारा और आहार की कीमत कई गुना बढ़ गई है. मेहनताना तो छोड़ दीजिए जो नकद लगा रहे हैं वह भी नहीं निकल रहा है. उन्होंने बताया कि पशु आहार में भी अब क्वालिटी नहीं रही. सरकार या तो चारे की कीमत कम करे या दूध का रेट बढ़ाये. नहीं तो पशुपालकों को अपनी पशुओं को खुले में छोड़ देने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है.

औरंगाबाद: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए किए गए लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर पशुपालकों पर ही पड़ा है. पशुपालक इन दिनों महंगे हुए चारा और पशु आहार से काफी परेशान हैं. जबकि दूध की दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. आमतौर पर 200 से 400 प्रति क्विंटल के बीच बिकने वाला पशु चारा अब 800 से 1 हजार रुपये क्विंटल के बिक रहा है. इसके अलावा पशु आहार की भी दोगुने से अधिक कीमत बढ़ गई है.

लॉक का सबसे ज्यादा असर पशुओं पर पड़ा
कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन से लेकर के तमाम लोग सहयोग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पशुपालक इन दिनों काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिले के पशुपालकों के लिए सबसे बड़ी समस्या पशु चारे की हो गई है. पशु चारा की उपलब्धता कम होने के कारण कीमत 3 से गुना 4 गुना ज्यादा बढ़ गई है. बेमौसम बरसात होने के कारण धान का पुआल काफी मात्रा में सड़ गया है. वहीं, दूसरा कारण लॉक डाउन है. जिसकी वजह से गेहूं काटने की मशीन नहीं आने के कारण गेहूं नहीं काटा जा सका है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

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पशु आहार की रेट में भी बढ़ोतरीपशु चारा के अलावा पशु आहार की दर में भी दोगुना बढ़ोतरी देखी जा रही है. पशु आहार के तौर पर जानवरों को चोकर और खली खिलाया जाता है. इस आहार में भी काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. 800 से 1 हजार रुपये प्रति बोरी बिकने वाला चोकर 1800 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये प्रति बोरी बिक रहा है. घाटे का सौदा बना पशुपालनपशुपालक कृष्णा साव और रघुनाथ यादव बताते हैं कि पशुपालन बिल्कुल घाटे का सौदा बनकर रह गया है. दूध का वर्तमान दर तो उतना ही है. लेकिन चारा और आहार की कीमत कई गुना बढ़ गई है. मेहनताना तो छोड़ दीजिए जो नकद लगा रहे हैं वह भी नहीं निकल रहा है. उन्होंने बताया कि पशु आहार में भी अब क्वालिटी नहीं रही. सरकार या तो चारे की कीमत कम करे या दूध का रेट बढ़ाये. नहीं तो पशुपालकों को अपनी पशुओं को खुले में छोड़ देने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है.
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