औरंगाबाद: जिले के मदनपुर प्रखंड के उमगा पहाड़ी पर भगवान सूर्य का प्राचीन मंदिर है. बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग ढाई हजार साल पुरानी है. उसी समय से इस पहाड़ी पर बसंत पंचमी के अवसर पर मेले का भी प्रचलन है. वैसे तो यह मेला तीन दिवसीय होता है, लेकिन एक हफ्ते तक मेले की सरगर्मी बनी रहती है.
अति प्राचीन है यह मेला
उमगा की पहाड़ी में छोटे-बड़े लगभग 52 मंदिर हैं. लेकिन, उनमें एक ही मंदिर प्रमुख है, जो अति प्राचीन है. बताया जाता है कि यह मंदिर ढाई हजार साल पुरानी है, जिसे विभिन्न काल खंडों में विभिन्न आकार दिया गया. मंदिर के समय से ही यहां मेले की परंपरा है. यह मेला वसंत ऋतु और सरस्वती पूजा की शुरुआत से 3 दिनों तक चलता है.
झारखण्ड से भी आते हैं श्रद्धालु
उमगा पहाड़ी पर लगने वाले वसंत मेले में प्रदेश के रोहतास, गया, अरवल और जहानाबाद सहित झारखण्ड के चतरा, हजारीबाग, पलामू और कोडरमा जिले से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
प्राचीन है मेले की परंपरा
बनिया ग्राम पंचायत के उपमुखिया सरोज कुमार बताते हैं कि लोगों का अनुमान है कि यह मेला लगभग ढाई हजार साल पहले से लग रहा है. आज भी इस मेले में पारंपरिक खासियत कायम है. आज भी यहां लाठी बिकता है.
यह भी पढ़ें- रोहतास: ड्रिप इरिगेशन से टमाटर की खेती कर लाखों कमा रहे किसान
रहती है सरकारी उदासीनता
बिहार सरकार भले ही यहां उमगा महोत्सव पर लाखों रुपए खर्च करती है. लेकिन, महत्वपूर्ण समय में सरकारी उदासीनता देखने को मिल ही जाती है. मेले के दौरान पहाड़ी के आसपास कहीं भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई थी. इस कारण श्रद्धालु प्यास से इधर-उधर भटकते देखे गए. हालांकि, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था.