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बदहाली का शिकार बना यह स्कूल, पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

पिछले 25 सालों से पेड़ के नीचे एक सरकारी स्कूल चलाई जा रही है. इस स्कूल में शिक्षक के नाम पर प्रधानाध्यापक सहित मात्र दो ही शिक्षक हैं.

पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र
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Published : Mar 19, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Mar 19, 2019, 11:52 AM IST

भोजपुरः नीतीश सरकार जहां एक ओर शिक्षा व्यवस्था को लेकर बेहतर करने का दावा करती है. वहीं भोजपुर में इस व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही है. यहां पिछले 25 सालों से पेड़ के नीचे एक सरकारी स्कूल चलाई जा रही है.

दरअसल आरा से महज एक किलोमीटर दूर उत्तर बघौतपुर में यह स्कूल स्थित है. इसका नाम प्राथमिक विद्यालय बघौतपुर है. इस स्कूल में शिक्षक के नाम पर प्रधानाध्यापक सहित मात्र दो ही शिक्षक हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय 9 बजे शुरू होता है और 12 बजते ही विद्यालय में छुट्टी हो जाती है. इस मामले में अधिकारियों को पूछे जाने पर शिक्षक मीटिंग का बहाना बनाते हैं और चले जाते हैं.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

ईटीवी भारत के द्वारा इस मामले की पड़ताल करते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उन दोनों शिक्षकों का न सिर्फ वेतन बंद कर दिया. बल्कि उनके निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू करने की बात कही.जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शिक्षकों के भाग जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कह तो दी. लेकिन बच्चों के स्कूल की समस्या बरकरार रही.

भोजपुरः नीतीश सरकार जहां एक ओर शिक्षा व्यवस्था को लेकर बेहतर करने का दावा करती है. वहीं भोजपुर में इस व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही है. यहां पिछले 25 सालों से पेड़ के नीचे एक सरकारी स्कूल चलाई जा रही है.

दरअसल आरा से महज एक किलोमीटर दूर उत्तर बघौतपुर में यह स्कूल स्थित है. इसका नाम प्राथमिक विद्यालय बघौतपुर है. इस स्कूल में शिक्षक के नाम पर प्रधानाध्यापक सहित मात्र दो ही शिक्षक हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय 9 बजे शुरू होता है और 12 बजते ही विद्यालय में छुट्टी हो जाती है. इस मामले में अधिकारियों को पूछे जाने पर शिक्षक मीटिंग का बहाना बनाते हैं और चले जाते हैं.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

ईटीवी भारत के द्वारा इस मामले की पड़ताल करते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उन दोनों शिक्षकों का न सिर्फ वेतन बंद कर दिया. बल्कि उनके निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू करने की बात कही.जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शिक्षकों के भाग जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कह तो दी. लेकिन बच्चों के स्कूल की समस्या बरकरार रही.

Intro:सूबे की सरकार जहां एक ओर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर से बेहतर करने का दावा करती है वहीं भोजपुर में इस व्यवस्था की एक ऐसी भी तस्वीर भी देखने को मिलती है जो उन दावों की धज्जियां उड़ाने का उदाहरण पेश करती है।दरअसल यह नजारा देखने को मिलता है आरा से महज एक किलोमीटर उत्तर बघौतपुर में जहां विगत 25 वर्षों से पीपल के पेड़ के नीचे सरकार का स्कूल चलता है जिसका नाम प्राथमिक विद्यालय बघौतपुर है।


Body:दो शिक्षकों पर चलता है विद्यालय- इस विद्यालय में शिक्षक के नाम पर प्रधानाध्यापक सहित मात्र दो ही शिक्षक हैं।

क्या कहते हैं ग्रामीण- ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय 9 बजे शुरू होता है और 12 बजते बजते विद्यालय में छुट्टी हो जाती है।पूछे जाने पर शिक्षक मीटिंग का बहाना बनाते हैं।

क्या कहते हैं पदाधिकारी-

ईटीवी भारत के द्वारा इस मामले की पड़ताल करते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उन दोनों शिक्षकों का न सिर्फ वेतन बन्द कर दिया बल्कि उन्हें निलम्बन की प्रक्रिया भी शुरू करने की बात कही।



Conclusion:जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शिक्षकों के भाग जाने पर उनके खिलाफ कार्यवाही की बात कह दी लेकिन बच्चों के स्कूल की समस्या बरकरार रही।ऐसे में यह समझा जा सकता है कि शिक्षा विभाग और सुशासन की सरकार इस तरह के विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहालों के भविष्य को कहाँ तक सवार पाती है।
Last Updated : Mar 19, 2019, 11:52 AM IST
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