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ये कैसा विकास! गांव में है सुविधाओं का घोर अभाव, नारकीय जिंदगी बसर करने को मजबूर लोग

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Published : Jul 24, 2019, 4:13 PM IST

गांव की हालत ऐसी की 5 हजार आबादी पर मात्र एक चापाकल. न कोई सड़क और ना ही किसी के घर में शौचालय. बिजली के पोल के सहारे नहर पार कर गांव में प्रवेश करते हैं गांव के लोग. सरकार के सात निश्चय योजना का लेस मात्र भी नजर नहीं आ रहा यहां.

सरकारी योजनाओं से वंचित महादलितों का गांव

भोजपुर: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है सात निश्चय. ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने वाली ये योजनाएं भोजपुर जिला स्थित जगदीशपुर प्रखंड के महादलित टोले में कहीं भी धरातल पर नहीं दिखती है. सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी के कारण यहां के लोग लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं.

विकास के कोसों दूर जगदीशपुरा का महादलित गांव

सात निश्चय योजना से वंचित है गांव
बिहार सरकार के मंत्री सात निश्चय योजना का जमकर बखान करते हैं. लेकिन, यहां सरकार के तमाम दावे फेल नजर आते हैं. जगदीशपुर प्रखंड के बीमवा पंचायत के बीमवा गांव का वॉर्ड नंबर 9 जहां सड़क, नाली, नल-जल कोई भी योजना धरातल पर नहीं है. जिले के तमाम सरकारी दावे यहां हवा-हवाई दिखते हैं. आज भी यहां के महादलित विकास की बाट जोह रहे हैं.

jagdishpur mahadalit
वृद्धा पेंशन से वंचित गांव के बुजुर्ग

बिजली का पोल है आने-जाने का जरिया
ग्रामीणों को गांव के अंदर प्रवेश करने के लिए सड़क के बदले बिजली के पोल पर चलना पड़ता है. ग्रामीणों की शिकायत है कि नहर पर आज तक सड़क नहीं बन पाया. बूढ़े, बच्चे और महिलाओं को विषम परस्थितियों में भी बिजली के 3 पोल पर से होकर गुजरना पड़ता है. कई बार बच्चे इस नहर के पानी में गिर चुके हैं.

jagdishpur mahadalit
जान जोखिम में डालकर बिजली पोल के सहारे पहुंचते हैं गांव

पीएम आवास योजना में लूट
गांव के महादलितों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए घूस की मांग की जाती है. आवास सहायक खुलेआम 20 हजार रूपए की मांग करते हैं. बीपीएल परिवार के चयनित लाभार्थियों से अवैध वसूली का खेल चलता है.

jagdishpur mahadalit
दुखड़ा सुनाता ग्रामीण

गांव की जमीनी हकीकत

  • बिजली के पोल के सहारे नहर पार करते हैं ग्रामीण
  • 5,000 जनसंख्या पर गांव में मात्र एक चापाकल
  • वृद्धा पेंशन से वंचित हैं गांव के वृद्ध
  • सात निश्चय योजना का नहीं मिल रहा लाभ
  • गांव में किसी के घर शौचालय नहीं

जल्द मिलेगा नल-जल का लाभ
वहीं, जगदीशपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी कृष्ण मुरारी ने बताया कि महादलित टोले में नल-जल योजना की शुरूआत की जायेगी. आवास योजना के संदर्भ में बताया कि जिसका नाम सूची में है उसे आवास दिया जा रहा है. शौचालय बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. अगर शौचालय नहीं है तो इसके लिए प्रयास किया जायेगा.

भोजपुर: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है सात निश्चय. ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने वाली ये योजनाएं भोजपुर जिला स्थित जगदीशपुर प्रखंड के महादलित टोले में कहीं भी धरातल पर नहीं दिखती है. सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी के कारण यहां के लोग लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं.

विकास के कोसों दूर जगदीशपुरा का महादलित गांव

सात निश्चय योजना से वंचित है गांव
बिहार सरकार के मंत्री सात निश्चय योजना का जमकर बखान करते हैं. लेकिन, यहां सरकार के तमाम दावे फेल नजर आते हैं. जगदीशपुर प्रखंड के बीमवा पंचायत के बीमवा गांव का वॉर्ड नंबर 9 जहां सड़क, नाली, नल-जल कोई भी योजना धरातल पर नहीं है. जिले के तमाम सरकारी दावे यहां हवा-हवाई दिखते हैं. आज भी यहां के महादलित विकास की बाट जोह रहे हैं.

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वृद्धा पेंशन से वंचित गांव के बुजुर्ग

बिजली का पोल है आने-जाने का जरिया
ग्रामीणों को गांव के अंदर प्रवेश करने के लिए सड़क के बदले बिजली के पोल पर चलना पड़ता है. ग्रामीणों की शिकायत है कि नहर पर आज तक सड़क नहीं बन पाया. बूढ़े, बच्चे और महिलाओं को विषम परस्थितियों में भी बिजली के 3 पोल पर से होकर गुजरना पड़ता है. कई बार बच्चे इस नहर के पानी में गिर चुके हैं.

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जान जोखिम में डालकर बिजली पोल के सहारे पहुंचते हैं गांव

पीएम आवास योजना में लूट
गांव के महादलितों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए घूस की मांग की जाती है. आवास सहायक खुलेआम 20 हजार रूपए की मांग करते हैं. बीपीएल परिवार के चयनित लाभार्थियों से अवैध वसूली का खेल चलता है.

jagdishpur mahadalit
दुखड़ा सुनाता ग्रामीण

गांव की जमीनी हकीकत

  • बिजली के पोल के सहारे नहर पार करते हैं ग्रामीण
  • 5,000 जनसंख्या पर गांव में मात्र एक चापाकल
  • वृद्धा पेंशन से वंचित हैं गांव के वृद्ध
  • सात निश्चय योजना का नहीं मिल रहा लाभ
  • गांव में किसी के घर शौचालय नहीं

जल्द मिलेगा नल-जल का लाभ
वहीं, जगदीशपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी कृष्ण मुरारी ने बताया कि महादलित टोले में नल-जल योजना की शुरूआत की जायेगी. आवास योजना के संदर्भ में बताया कि जिसका नाम सूची में है उसे आवास दिया जा रहा है. शौचालय बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. अगर शौचालय नहीं है तो इसके लिए प्रयास किया जायेगा.

Intro:भोजपुर का एक ऐसा गांव जहां आजादी के 72 साल गुजर जाने के बाद भी विकास पर कमीशन खोरी हावी है इसका परिणाम यह है कि सरकार की कोई भी योजना महा दलितों को कमीशन खोरी के अभाव में अभी तक नहीं मिल पाई है


Body:सरकार अपने सात निश्चय योजना के उपलब्धियों की चाहे जितनी भी दावे कर ले लेकिन यह दावे भोजपुर में बस हवा हवाई हैं इसका उदाहरण जगदीशपुर प्रखंड के बीमवा पंचायत के बिमवा गांव के वार्ड नंबर 9 में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है जहां पर योजनाओं की कौन कहे एक सड़क तक नहीं पहुंच पाई है।यहां विकास की गंगा बहे ना बहे लेकिन मजबूरियों और बेबसी की आंधी जरूर चलती है जिसमें ये महादलित अपना सब कुछ गवा कर अब भी विकास की बाट जोह रहे हैं।
बिजली का पोल है आने-जाने का जरिया -
कहते हैं किसी शहर या गांव का विकास उसके सड़कों से आंका जाता है इसलिए सुशासन के दावों को यहां जरूर परखने की कोशिश कीजिए जहां गांव में प्रवेश करने और निकलने के लिए कोई सड़क नहीं है बल्कि बिजली के 3 पोल हैं जो नहर के ऊपर रखा हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में जमकर हो रही हो लूट-
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बीपीएल परिवार के चयनित लाभार्थियों से आवास सहायक के द्वारा अवैध पैसे की मांग की जाती है ग्रामीणों का स्पष्ट रूप से कहना है कि यह लोग आवास सहायक खुलकर ₹20000 की मांग करते हैं उनका कहना है इस मामले में आवास सहायक के अलावे ऊपर के पदाधिकारी भी हैं जिनका इसमें हिस्सेदारी है।
बाइट- सुशील कुमार
बाइट- मालावती
बाइट- उमर राम
बाइट- शांति देवी
पूरे गांव में नहीं है शौचालय- जहां एक ओर पूरा भारत स्वच्छ भारत मिशन की बात करते नहीं थकता वही इस गांव में घर-घर शौचालय की योजना फाइलों तक सिमट के रह गई है आलम यह है कि इस गांव के सभी लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं यहां तक कि नई नवेली दुल्हन भी ससुराल आने के बाद आने के दिन से ही खुले में शौच जाने को मजबूर है वही इनका कहना है कि गांव के मुखिया कहते हैं यह मेरे बस से बाहर की चीज है ऐसे में समझा जा सकता है सरकारी बाबुओं को इन लोगों की कितनी परवाह है।
बाइट- लक्ष्मीदेवी
बाइट- उषा देवी
बाइट- मीना कुमारी



Conclusion: पूरे गांव में एक ही है चापाकल-
इस गांव की विडंबना है की 5000 की जनसंख्या होने के बावजूद महादलित टोले में चापाकल की संख्या मात्र एक है।
वृद्धा पेंशन से है वंचित- यहां के वृद्ध महिला हो या पुरुष उनका कहना है कि वर्षों से वृद्धा पेंशन नहीं मिल रहा है ऐसे में जिंदगी की गाड़ी कैसे चले या खुद में समझने की बात है
बाइट- ढोढा
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