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लॉकडाउन: बिहार में ऑनलाइन चल रही सांस्कृतिक साधना, कई छात्र सीख रहे कथक और संगीत

जारी लॉकडाउन के दौरान संगीत शास्त्र की ऑनलाइन क्लास लोगों को भा रही है. घरों में कैद बच्चे ऐसी क्लास के माध्यम से अपने हुनर को और चमका रहे हैं.

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Published : Apr 23, 2020, 1:27 PM IST

बिहार में ऑनलाइन डांस क्लास
बिहार में ऑनलाइन डांस क्लास

भोजपुर: कोरोना महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन में भी संगीत शास्त्र की ऑनलाइन क्लास चला भोजपुर में शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एंड म्यूजिक संस्थान ने अनूठी पहल की है. संस्थान ऑनलाइन लाइव कंसर्ट एण्ड कन्वर्सेशन के माध्यम से छात्रों को संगीत और नृत्य की क्लास दे रहे हैं. इस क्लास का संचालन कला आचार्य गुरु बक्शी विकास के नेतृत्व में किया जा रहा है.

इस ऑनलाइन कंसर्ट में बिहार के अलग-अलग जिलों से शिष्य ऑनलाइन भाग ले रहे हैं. इस कंसर्ट की खास बात यह है कि इसमें देशभर के नामचीन संगीत शास्त्री और नृत्यांगना संगीत कला की बारिकियों के बारे में बता रहे हैं. आचार्य गुरु बक्शी विकास ने बुधवार को हुई परिचर्चा में कहा कि शास्त्र कोई बंधन नही है, शास्त्र मुक्ति है.

भोजपुर से आमोद की रिपोर्ट

लाइव कन्वर्सेशन में दिये ये विचार

  • नई दिल्ली के मशहूर संगीत शास्त्री पंडित देवेंद्र वर्मा ने संगीत में शास्त्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि संगीत में 6 राग और छत्तीस रागिनी की प्राचीन परम्परा रही है. आज संगीत की पढाई विश्वविद्यालय स्तर तक पहुंच गई है. संगीत शोध का गहन विषय बन चुका है.
    छात्रों को बताई गईं कथक की बारीकियां
    छात्रों को बताई गईं कथक की बारीकियां
  • इस परिचर्चा में पुणे के विश्वविख्यात तबला वादक पंडित अरविंद कुमार आजाद जी ने कहा कि साथ-संगत करना की तबला की उत्पत्ति का मूल उद्देश्य है. व्यक्तिगत रुचि के बगैर कुशल संगतकार होना असम्भव है.
    कई जिलों से जुड़ रहे छात्र
    कई जिलों से जुड़ रहे छात्र
  • कथक गुरु बक्शी विकास ने कहा कि हुनर नदी के समान होता है. इसका बहाव कभी रुकता नही. आज हमारे पास विज्ञान ने ऐसे साधन दिये हैं जिससे घर में रहते हुये भी हम सृजन कार्य कर सकते हैं जिसका लाभ पूरे समाज को हो सकता है.
  • ऑनलाइन परिचर्चा में कथक नृत्यांगना सोनम कुमारी, कथक नर्तक अमित कुमार, रविशंकर और राजा कुमार समेत अन्य प्रशिक्षुओं ने भी शिरकत की.
    संगीत शास्त्र की परिचर्चा की गई
    की गई परिचर्चा

कोरोना को हराने की मुहिम के चलते लॉकडाउन सफल बनाने के लिए संगीत शास्त्र के गुरुओं की ये पहल काफी सराहनीय है. इस ऑनलाइन क्लास का मुख्य उद्देश्य छात्रों की प्रैक्टिस और उनके हुनर को निखार देना है.

भोजपुर: कोरोना महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन में भी संगीत शास्त्र की ऑनलाइन क्लास चला भोजपुर में शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एंड म्यूजिक संस्थान ने अनूठी पहल की है. संस्थान ऑनलाइन लाइव कंसर्ट एण्ड कन्वर्सेशन के माध्यम से छात्रों को संगीत और नृत्य की क्लास दे रहे हैं. इस क्लास का संचालन कला आचार्य गुरु बक्शी विकास के नेतृत्व में किया जा रहा है.

इस ऑनलाइन कंसर्ट में बिहार के अलग-अलग जिलों से शिष्य ऑनलाइन भाग ले रहे हैं. इस कंसर्ट की खास बात यह है कि इसमें देशभर के नामचीन संगीत शास्त्री और नृत्यांगना संगीत कला की बारिकियों के बारे में बता रहे हैं. आचार्य गुरु बक्शी विकास ने बुधवार को हुई परिचर्चा में कहा कि शास्त्र कोई बंधन नही है, शास्त्र मुक्ति है.

भोजपुर से आमोद की रिपोर्ट

लाइव कन्वर्सेशन में दिये ये विचार

  • नई दिल्ली के मशहूर संगीत शास्त्री पंडित देवेंद्र वर्मा ने संगीत में शास्त्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि संगीत में 6 राग और छत्तीस रागिनी की प्राचीन परम्परा रही है. आज संगीत की पढाई विश्वविद्यालय स्तर तक पहुंच गई है. संगीत शोध का गहन विषय बन चुका है.
    छात्रों को बताई गईं कथक की बारीकियां
    छात्रों को बताई गईं कथक की बारीकियां
  • इस परिचर्चा में पुणे के विश्वविख्यात तबला वादक पंडित अरविंद कुमार आजाद जी ने कहा कि साथ-संगत करना की तबला की उत्पत्ति का मूल उद्देश्य है. व्यक्तिगत रुचि के बगैर कुशल संगतकार होना असम्भव है.
    कई जिलों से जुड़ रहे छात्र
    कई जिलों से जुड़ रहे छात्र
  • कथक गुरु बक्शी विकास ने कहा कि हुनर नदी के समान होता है. इसका बहाव कभी रुकता नही. आज हमारे पास विज्ञान ने ऐसे साधन दिये हैं जिससे घर में रहते हुये भी हम सृजन कार्य कर सकते हैं जिसका लाभ पूरे समाज को हो सकता है.
  • ऑनलाइन परिचर्चा में कथक नृत्यांगना सोनम कुमारी, कथक नर्तक अमित कुमार, रविशंकर और राजा कुमार समेत अन्य प्रशिक्षुओं ने भी शिरकत की.
    संगीत शास्त्र की परिचर्चा की गई
    की गई परिचर्चा

कोरोना को हराने की मुहिम के चलते लॉकडाउन सफल बनाने के लिए संगीत शास्त्र के गुरुओं की ये पहल काफी सराहनीय है. इस ऑनलाइन क्लास का मुख्य उद्देश्य छात्रों की प्रैक्टिस और उनके हुनर को निखार देना है.

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