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'किस मुंह से सवर्णों के पास वोट मांगने जायगी RJD'.. EWS पर 'सुप्रीम फैसले' के बाद बोले सुशील मोदी

आरा में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सांसद शुशील कुमार मोदी (MP Shushi Modi) आज पहुंचे. जहां उन्होंने स्थानीय परिसदन में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मीडिया कर्मियों को संबोधित किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 % आरक्षण के फैसले को सही (EWS Reservation) बताया. इस दौरान उन्होंने आरजेडी पर करारा हमला किया.

राज्यसभा सांसद शुशील कुमार मोदी
राज्यसभा सांसद शुशील कुमार मोदी
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Published : Nov 7, 2022, 6:44 PM IST

भोजपुर: सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला (Supreme Court Verdict On EWS) है. इसके लिए खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए. क्योंकि आर्थिक रूप गरीब सामान्य (Economically Weaker Sections) लोगों का हित देखते हुए प्रधानमंत्री ने सदन में इस विधेयक को पेश किया. सभी लोगों ने इसे पारित भी किया. जबकि इस आरक्षण को लेकर किसी ने इसका विरोध नहीं किया था. सिवाय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लोगों ने इसका विरोध किया था.

ये भी पढ़ें-बिहार उपचुनाव : RJD-BJP दोनों को संदेश, हल्के में लिया तो पड़ेगा भारी

''2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने ऊंची जाति के गरीब लोगों को आरक्षण देने का प्रावधान किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. संविधान संशोधन के जरिए मोदी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण दिया. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल ने बिल का विरोध किया था. राष्ट्रीय जनता दल ने विपक्ष में मतदान किया. राज्यसभा में 7 लोगों ने विरोध में मतदान किया. जिसमें 3 राजद के लोग थे.''- सुशील मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार

EWS की आड़ में आरजेडी पर सुशील मोदी का निशाना: सुशील मोदी ने आप और आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी वर्क आउट करके चली गई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. राष्ट्रीय जनता दल सवर्ण विरोधी मानसिकता वाली पार्टी है. रघुवंश बाबू चाहते थे कि राजद सवर्ण बिल का विरोध ना करें. जगदानंद सिंह कहां हैं? सवा महीने से लापता हैं. सवर्ण जाति से दो बड़े नेता राजद में हुए दोनों को अपमानित करने का काम किया गया. राष्ट्रीय जनता दल को देश के सवर्ण समाज से माफी मांगना चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल ने अगड़ी जाति के लोगों को गालियां विधि और जब भी मौका मिला तो विरोध करने का काम किया.

''नरसिंह राव सरकार ने भी सवर्णों को 10% आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए ऊंची जाति के गरीब लोगों को आरक्षण दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक आधार पर भी आरक्षण दिया जा सकता है. 50% की सीमा को आगे भी बढ़ाया जा सकता है और यह संविधान की भावना का उल्लंघन नहीं है ''- सुशील मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार

'किस मुंह से सवर्णों से वोट मांगेंगे तेजस्वी': राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने राजद का मुंह बंद कर दिया. राजद और उनके नेताओं ने शुरू से ही स्वर्ण जाती का अपमान किया और उनके हित में लागू आरक्षण का भी विरोध किया है. वहीं सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि सामान्य गरीब लोगों के आरक्षण का विरोध करने वाले तेजस्वी यादव किस मुंह से स्वर्ण जाति के लोगों के पास वोट मांगने के लिए जाते हैं यह समझ से परे है.

सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों का फैसला: दरअसल, केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 5 जजों की बेंच में तीन जजों ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया. जबकि जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट और सीजेआई यूयू ललित ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई.

इन तीन जजों ने समर्थन में सुनाया फैसला: जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपनी राय सुनाते हुए कहा कि सवाल बड़ा ये था कि क्या EWS आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. क्या इससे SC /ST/ ObC को बाहर रखना मूल भावना के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि EWS कोटा संविधान का उल्लंघन नही करता. EWS आरक्षण सही है. ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता. ये भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा, मैंने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की राय पर सहमति जताई है.

भोजपुर: सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला (Supreme Court Verdict On EWS) है. इसके लिए खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए. क्योंकि आर्थिक रूप गरीब सामान्य (Economically Weaker Sections) लोगों का हित देखते हुए प्रधानमंत्री ने सदन में इस विधेयक को पेश किया. सभी लोगों ने इसे पारित भी किया. जबकि इस आरक्षण को लेकर किसी ने इसका विरोध नहीं किया था. सिवाय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लोगों ने इसका विरोध किया था.

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''2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने ऊंची जाति के गरीब लोगों को आरक्षण देने का प्रावधान किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. संविधान संशोधन के जरिए मोदी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण दिया. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल ने बिल का विरोध किया था. राष्ट्रीय जनता दल ने विपक्ष में मतदान किया. राज्यसभा में 7 लोगों ने विरोध में मतदान किया. जिसमें 3 राजद के लोग थे.''- सुशील मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार

EWS की आड़ में आरजेडी पर सुशील मोदी का निशाना: सुशील मोदी ने आप और आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी वर्क आउट करके चली गई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. राष्ट्रीय जनता दल सवर्ण विरोधी मानसिकता वाली पार्टी है. रघुवंश बाबू चाहते थे कि राजद सवर्ण बिल का विरोध ना करें. जगदानंद सिंह कहां हैं? सवा महीने से लापता हैं. सवर्ण जाति से दो बड़े नेता राजद में हुए दोनों को अपमानित करने का काम किया गया. राष्ट्रीय जनता दल को देश के सवर्ण समाज से माफी मांगना चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल ने अगड़ी जाति के लोगों को गालियां विधि और जब भी मौका मिला तो विरोध करने का काम किया.

''नरसिंह राव सरकार ने भी सवर्णों को 10% आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए ऊंची जाति के गरीब लोगों को आरक्षण दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक आधार पर भी आरक्षण दिया जा सकता है. 50% की सीमा को आगे भी बढ़ाया जा सकता है और यह संविधान की भावना का उल्लंघन नहीं है ''- सुशील मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार

'किस मुंह से सवर्णों से वोट मांगेंगे तेजस्वी': राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने राजद का मुंह बंद कर दिया. राजद और उनके नेताओं ने शुरू से ही स्वर्ण जाती का अपमान किया और उनके हित में लागू आरक्षण का भी विरोध किया है. वहीं सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि सामान्य गरीब लोगों के आरक्षण का विरोध करने वाले तेजस्वी यादव किस मुंह से स्वर्ण जाति के लोगों के पास वोट मांगने के लिए जाते हैं यह समझ से परे है.

सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों का फैसला: दरअसल, केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 5 जजों की बेंच में तीन जजों ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया. जबकि जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट और सीजेआई यूयू ललित ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई.

इन तीन जजों ने समर्थन में सुनाया फैसला: जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपनी राय सुनाते हुए कहा कि सवाल बड़ा ये था कि क्या EWS आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. क्या इससे SC /ST/ ObC को बाहर रखना मूल भावना के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि EWS कोटा संविधान का उल्लंघन नही करता. EWS आरक्षण सही है. ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता. ये भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा, मैंने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की राय पर सहमति जताई है.

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