भोजपुर(कोइलवर): प्राचीन काल में जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने आरा में विश्राम किया था और अपनी यात्रा के दौरान यहां समवशरण भी किया था. वहां आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में 24 दिगम्बर जैन साधुओं का समवशरण लगने जा रहा है. वर्षों बाद जैन संतों के विशाल ससंघ के मंगल प्रवेश से भक्तों को शीतकालीन वाचना का लाभ मिलेगा. आरा का जैन समुदाय 18 दिसम्बर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर समारोह का आयोजन करने की तैयारी कर रहा है.
अपने आरा प्रवास के दौरान जैन मुनी उत्तर भारत के एकमात्र प्राचीन जैन संग्रहालय में पांडुलिपियों का अध्ययन करेंगे. जैन समाज के मंत्री सुवीर चंद्र जैन ने बताया कि आरा वही धर्मनगरी है, जहां कभी 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर अपने यात्रा के दौरान विश्राम किया था और यहां उनका समवशरण लगा था. साथ ही यहां लगभग 45 जैन चैत्यालय व शिखरबन्द मंदिर भी है.
20 दिनों तक लगेगा समवशरण
कहा जाता है प्राचीन समय से ही यहां जैन समुदाय के घर-घर में मंदिर हुआ करता था. वहीं, 24 निर्ग्रन्थ जैन साधुओं के जत्था का लगभग 20 दिन तक समवशरण लगने जा रहा है. जिसका धर्म लाभ नगर के जैन समाज को मिलेगा. भक्तों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि आचार्य श्री गुरुदेव ससंघ का पूरे शीतकालीन वाचना का सौभाग्य मिल सकता है. बता दें कि आरा में 1903 ई में स्थापित प्रतिष्ठित जैन सिद्धांत भवन उत्तर भारत का एकमात्र जैन प्राच्य शोध संस्थान है जहां दुर्लभ प्राचीन हजारों पाण्डुलिपियों और जैन ग्रंथों का संग्रह है. उसके अध्ययन करने के लिए आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज प्रवास कर सकते है.
जैन मुनी श्री विशुद्ध सागर जी अयोध्या, बनारस, काकंदी, वैशाली तीर्थ, पटना के रास्ते हजारों किलोमीटर निरंतर पद विहार कर धर्मनगरी आरा में दिगम्बर साधुओं के साथ मंगल प्रवेश किये. यहां प्रवास के उपरांत आचार्य श्री के नेतृत्व में जैन मुनियों का ससंघ विश्व प्रसिद्ध शाश्वत जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर जी(झारखंड) के लिए गया, राजगृह, कुण्डलपुर, पावापुरी, गुणावां और चम्पापुरी आदि जैन पंचतीर्थों, धर्मस्थलों की मंगल यात्रा करते हुए पदविहार करेंगे.
आयोजन को लेकर उत्साहित है जैन धर्मावलंबी
इस अवसर पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि धर्म का मतलब सत्य और अहिंसा है. जीव मात्र से प्रेम करना ही एक मात्र धर्म है. धर्म एक ही है रास्ते अनेक हैं. आरा के जैन धर्मावलंबी उत्साहित और प्रफुल्लित हो संतों का सत्कार करते थक नहीं रहे हैं.