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आफत बनकर आई बारिश, पानी-पानी हुआ भोजपुर - बिहार में बाढ़

भोजपुर के तमाम गांव डूब चुके हैं. बारिश ने ग्रामीणों को जल कैदी बना दिया है. तेज बारिश के सामने लोग बेबस हैं.

गांव डूबे
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Published : Sep 29, 2019, 10:11 PM IST

भोजपुर: प्रदेश में लगातार 3 दिनों से हो रही बारिश ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. जन जीवन पूरी तरह से ठप है. बारिश लोगों के लिए आफत साबित हो रही है. पानी ने लोगों को 1975 के हालात की याद दिला दिया है. लोगों का कहना है कि सालों बाद ऐसे हालात बने हैं.

भोजपुर के तमाम गांव डूब चुके हैं. बारिश ने ग्रामीणों को जल कैदी बना दिया है. तेज बारिश के सामने लोग बेबस हैं. पॉश से लेकर झुग्गी झोपड़ी के इलाकों में पानी भर चुका है. पूरी व्यवस्था चरमरा गई है. निचले इलाकों में कई लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है.

देखें हाल

मनुष्य के साथ मवेशी भी परेशान
हालात ये है कि जिला मुख्यालय में भी पानी घुस गया है. अस्‍पताल, प्रखंड मुख्यालय सहित कई सरकारी कार्यालय जलमग्न हो चुके हैं. जिले के गांव, कस्बों का बुरा हाल है. लोग घरों में फंस चुके हैं. मवेशियों को भी काफी परेशानी हो रही है. लोग ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं. बिजली आपूर्ति भी ठप है.

यह भी देखें: घर में पानी, सड़कों पर पानी, अस्पताल में पानी, हर जगह पानी ही पानी

प्रतिनिधि ने की सरकार से मदद की अपील
भोजपुर के हाल के बारे में जन समस्या समाधान केंद्र बबुरा के निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह अनल ने बताया कि इस बार बरसात और बाढ़ के कारण लोगों का रोजगार और जीवन प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि इलाके में संसाधनों का अभाव है. सरकारी मदद के नाम पर कुछ नसीब नहीं है. लोगों के घरों में जमा राशन-पानी भी खत्म होने के कगार पर है.

भोजपुर: प्रदेश में लगातार 3 दिनों से हो रही बारिश ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. जन जीवन पूरी तरह से ठप है. बारिश लोगों के लिए आफत साबित हो रही है. पानी ने लोगों को 1975 के हालात की याद दिला दिया है. लोगों का कहना है कि सालों बाद ऐसे हालात बने हैं.

भोजपुर के तमाम गांव डूब चुके हैं. बारिश ने ग्रामीणों को जल कैदी बना दिया है. तेज बारिश के सामने लोग बेबस हैं. पॉश से लेकर झुग्गी झोपड़ी के इलाकों में पानी भर चुका है. पूरी व्यवस्था चरमरा गई है. निचले इलाकों में कई लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है.

देखें हाल

मनुष्य के साथ मवेशी भी परेशान
हालात ये है कि जिला मुख्यालय में भी पानी घुस गया है. अस्‍पताल, प्रखंड मुख्यालय सहित कई सरकारी कार्यालय जलमग्न हो चुके हैं. जिले के गांव, कस्बों का बुरा हाल है. लोग घरों में फंस चुके हैं. मवेशियों को भी काफी परेशानी हो रही है. लोग ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं. बिजली आपूर्ति भी ठप है.

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प्रतिनिधि ने की सरकार से मदद की अपील
भोजपुर के हाल के बारे में जन समस्या समाधान केंद्र बबुरा के निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह अनल ने बताया कि इस बार बरसात और बाढ़ के कारण लोगों का रोजगार और जीवन प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि इलाके में संसाधनों का अभाव है. सरकारी मदद के नाम पर कुछ नसीब नहीं है. लोगों के घरों में जमा राशन-पानी भी खत्म होने के कगार पर है.

Intro:भोजपुर
शुक्रवार रात से जिले के विभिन्न हिस्सों में आफत की भयंकर बारिश लगातार जारी है. लोग हलकान है. उनकी जान आफत में बनी हुई है. सालों बाद भोजपुर में ऐसे हालात बने हैं. लगातार हो रही इस बारिश ने 1975 की बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. भोजपुर में लोग आफत है व ईश्वर से निहोरा कर रहे हैं कि इस आफत से जान छूटे. आलम ये है कि बारिश के पानी ने लोगों को जल कैदी बना दिया है.Body:कई लोगों ने कहा कि जलजमाव की ऐसी तस्वीर कभी नहीं देखी थी. साथ ही बताते हैं कि 1975 में भी कुछ ऐसे ही हालात से रू-ब-रू हुआ था.भोजपुर में पिछले 72 घंटों से लगातार आफत की बारिश जारी है. आम से खास सभी लोग इस बारिश के आगे बेबस हैं. पाॉश से लेकर झुग्गी झोपड़ी के इलाकों में पानी भर चुका है. पूरी व्यवस्था चरमरा गई है. निचले इलाकों में कई लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है. यहां तक कि जिला मुख्यालय तक के कई घरों में पानी जा घुसा है. अस्‍पतालों, प्रखंड मुख्यालय सहित कई सरकारी कार्यालयों पानी से जलमग्न हो गया है. जिले के गांव कस्बों का बुरा हाल है. घर से लोग बाहर नही निकल रहे है. सारा कार्य बाधित है. सबसे बुरा हाल बाढ़ प्रभावित लोगों का है. एक तो बाढ़ का कहर ऊपर से तीन दिनों से रह-रह कर हो रहे लगातार मूसलाधार बारिश से लोगों का बुरा हाल है.Conclusion:इस सन्दर्भ में जन समस्या समाधान केंद्र बबुरा के निदेशक डा० अनिल कुमार सिंह " अनल " ने बताया की इस बार बरसात और बाढ के कारण लोगो का रोजी रोजगार और जीवन प्रभावित हुआ है जिसका असर दूर्गापूजा पर पडेगा. उन्होंने बाढ और बारिस से पैदा हुई समस्याओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि वह पिछले दस दिन से बाढ और बारिस से पीडित जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझ रहे हैं , उनके दु:ख तकलीफ बांट रहे हैं और हर सम्भव सहायता भी कर रहे हैं पर वह संसाधनों के अभाव में बहुत हीं थोडी है. उनहोंने कहा कि बाढ और बारिस रूपी प्राकृतिक आपदा से बिहार की जनता विशेष कर बडहरा और पूर्वांचल के नदी तटिय क्षेत्रों की जनता बेहाल और बेदम हो चुकि है. प्राकृतिक आपदा से लडने की कोई तैयारी नहीं होने के कारण लोगों को राहत पहुंचाने की प्रशासनिक व्यवस्था उंट के मुंह में जीरा की तरह है. उन्होंने कहा कि इस‌ वक्त सारे देश और प्रदेश की जनता को अपने बाढ पीडित और बरसात से उजड चुके पीडित जनता के साथ खडे होने की आवश्यकता है. गरीब जनता के पास खाने को अन्न की कमी है और पीने के साफ पानी के अभाव में बिमारी फैलने का खतरा भी है. बाढ और बारिस से क्षेत्र कि बहुसंख्यक किसान आबादी पूरी तरह बरबाद हो चुकि है बाढ से पूरी तरह फसल गंवा चुकने के बाद बारिस ने सब्जियों सहित तमाम फसलों को लील लिया है.
व्यापारियों का व्यापार ठप्प है , दुकाने और बाजार बंदी के कागार पर है. मतलब हर वर्ग तबाह और परेशान है परन्तु प्रशासन और सरकार चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की संवेदनहीनता उनकी चरम सीमा पर है. जन प्रतिनिधी क्षेत्रों में जनता का दुख बांटने की बजाय एसी कमरों में आराम कर रहे हैं या फिर अधिकारियों के साथ कार्यालय में चाय की चुस्की ले रहे हैं. राहत व‌ बचाव के कार्यों में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है.

बाइट :- जन समस्या समाधान केन्द्र (बबुरा) निदेशक डॉ अनिल कुमार सिंह अनल
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