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भोजपुर में नहीं थम रहा पराली जलाने का सिलसिला

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब में कुछ किसान खेतों में पराली जलाने में जुटे हुए हैं. धान कटनी के बाद खेतों में जो फसल का जड़ बच जाता है उसको पराली के नाम से जाना जाता है. पराली काटने के लिए कई तरह के यंत्र आ रहे हैं. जिस पर सरकार की तरफ से 80 प्रतिशत तक सबसिडी भी दी जा रही है.

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भोजपुर में नहीं थम रमा पराली जलाने का सिलसिला
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Published : Nov 29, 2020, 3:00 PM IST

भोजपुर: जिले में पराली जलाने का सिलसिला नहीं रुक रहा है. लगातार खेतो में किसान पराली जला रहे हैं. सरकार की जागरूकता अभियान कही धरातल पर काम नहीं आ रही है और ना ही प्रसाशन का कड़ा रुख किसानों को रोक पा रहा है. जिले में अब तक एक दर्जन से अधिक किसानों पर पराली जलाने को ले कर एफआईआर दर्ज किया जा चुका है. लेकिन इस से भी ज्यादा फर्क नही पड़ रहा और किसान धान की फसल काटने के बाद खेत में लगे अवशेष को जला रहे है.

किसान से जुड़ी योजनाओं से भी प्रशासन
भोजपुर के पिरो, बिक्रमगंज, तरारी, जगदीशपुर, उदवंतनगर जैसे प्रखंडो में धान की ज्यादा मात्रा में फसल होती है. इस वजह से पराली जलाने का काम भी इन्ही प्रखंड के किसान ज्यादा कर रहे हैं. इन प्रखंडो में प्रसाशन के द्वारा किसानों पर केस दर्ज किया गया है. कई किसानों को किसान से जुड़ी योजनाओं से भी प्रशासन द्वारा बाधित कर दिया गया है.

भोजपुर में नहीं थम रहा पराली जलाने का सिलसिला

क्या होता है पराली
धान कटनी के बाद खेतों में जो फसल का जड़ बच जाता है उसको पराली के नाम से जाना जाता है. पराली काटने के लिए कई तरह के यंत्र आ रहे हैं. जिस पर सरकार की तरफ से 80 प्रतिशत तक सबसिडी भी दी जा रही है.

क्यों किसान खेत मे जलाते है पराली
वैसे किसान जो जैसे-तैसे धान की खेती कर लेते हैं और उनके पास यंत्रो से पराली हटाने के लिए पैसे नहीं बचते हैं. वो किसान खेत मे पराली जला कर अगली फसल के लिए खेत को तैयार करते हैं. लेकिन किसान जागरूकता के अभाव में ऐसा काम करते है. सरकार के तरफ से कई योजनाएं किसानों को सिर्फ जागरूक करने के लिए चलाई जा रही है लेकिन धरातल पर ये पूर्ण रूप से काम आते हुए नहीं दिख रहा है.

पराली जलाने के प्रति सरकार क्यों है सख्त
कृषि विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि खेतों में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ पर्यावरण को बड़े पैमाने पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. पराली जलाने पर रोक के अलावा कई अन्य स्तरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

भोजपुर: जिले में पराली जलाने का सिलसिला नहीं रुक रहा है. लगातार खेतो में किसान पराली जला रहे हैं. सरकार की जागरूकता अभियान कही धरातल पर काम नहीं आ रही है और ना ही प्रसाशन का कड़ा रुख किसानों को रोक पा रहा है. जिले में अब तक एक दर्जन से अधिक किसानों पर पराली जलाने को ले कर एफआईआर दर्ज किया जा चुका है. लेकिन इस से भी ज्यादा फर्क नही पड़ रहा और किसान धान की फसल काटने के बाद खेत में लगे अवशेष को जला रहे है.

किसान से जुड़ी योजनाओं से भी प्रशासन
भोजपुर के पिरो, बिक्रमगंज, तरारी, जगदीशपुर, उदवंतनगर जैसे प्रखंडो में धान की ज्यादा मात्रा में फसल होती है. इस वजह से पराली जलाने का काम भी इन्ही प्रखंड के किसान ज्यादा कर रहे हैं. इन प्रखंडो में प्रसाशन के द्वारा किसानों पर केस दर्ज किया गया है. कई किसानों को किसान से जुड़ी योजनाओं से भी प्रशासन द्वारा बाधित कर दिया गया है.

भोजपुर में नहीं थम रहा पराली जलाने का सिलसिला

क्या होता है पराली
धान कटनी के बाद खेतों में जो फसल का जड़ बच जाता है उसको पराली के नाम से जाना जाता है. पराली काटने के लिए कई तरह के यंत्र आ रहे हैं. जिस पर सरकार की तरफ से 80 प्रतिशत तक सबसिडी भी दी जा रही है.

क्यों किसान खेत मे जलाते है पराली
वैसे किसान जो जैसे-तैसे धान की खेती कर लेते हैं और उनके पास यंत्रो से पराली हटाने के लिए पैसे नहीं बचते हैं. वो किसान खेत मे पराली जला कर अगली फसल के लिए खेत को तैयार करते हैं. लेकिन किसान जागरूकता के अभाव में ऐसा काम करते है. सरकार के तरफ से कई योजनाएं किसानों को सिर्फ जागरूक करने के लिए चलाई जा रही है लेकिन धरातल पर ये पूर्ण रूप से काम आते हुए नहीं दिख रहा है.

पराली जलाने के प्रति सरकार क्यों है सख्त
कृषि विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि खेतों में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ पर्यावरण को बड़े पैमाने पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. पराली जलाने पर रोक के अलावा कई अन्य स्तरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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