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भोजपुर: रसोइयों का मानदेय बढ़ाने और भुगतान की मांग पर प्रदर्शन

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Published : Jan 6, 2021, 6:03 PM IST

भोजपुर में रसोइयों ने मानदेय बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रर्दशन किया. उनका कहना है कि कोरोना काल के दौरान क्वारंटीन सेंटरों में भोजन बनाया. लेकिन आज तक भुगतान नहीं किया गया है.

cooks protest in bhojpur
cooks protest in bhojpur

भोजपुर: सरकारी, प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन परोसने वाली रसोईयों ने मानदेय वृद्धि और क्वारंटीन सेंटरों में भोजन बनाने के बाद पारिश्रमिक भुगतान नहीं होने पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रही रसोइयों ने कहा कि वे पिछले पंद्रह वर्षों से विद्यालयों में बच्चों के लिए भोजन बनाने और परोसने का काम कर रही हैं. इसके बदले उन्हें 1500 रुपये मानदेय का भुगतान किया जाता है.

मानदेय भुगतान का दिया था भरोसा
प्रतिदिन 50 रुपये मानदेय के बदले उन्हें 6 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम करना पड़ता है. महंगाई के इस दौर में प्रतिदिन पचास रुपये का मानदेय ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत चरितार्थ करता है. तीन साल पहले उन्हें सम्मानजनक मानदेय भुगतान का भरोसा दिलाया गया था. बावजूद इस पर कोई विचार नहीं किया गया.

रोजगार से वंचित करने का प्रयास
अब एनजीओ को भोजन की जिम्मेवारी देकर वर्षों से कार्यरत रसोइयों को रोजगार से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है. कोरोना काल के दौरान क्वारंटीन सेंटरों में भोजन बनाया गया. लेकिन आज तक उसका पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है. पारिश्रमिक भुगतान के लिए कई मांग पत्र सौंपा गया और धरना-प्रदर्शन किया. बावजूद भुगतान नहीं किया गया.

रसोइयों ने कम से कम दस हजार रुपये मानदेय देने की मांग की. प्रदर्शन का नेतृत्व बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोइयां फ्रंट के जिला सचिव महेंद्र प्रसाद ने किया.

भोजपुर: सरकारी, प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन परोसने वाली रसोईयों ने मानदेय वृद्धि और क्वारंटीन सेंटरों में भोजन बनाने के बाद पारिश्रमिक भुगतान नहीं होने पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रही रसोइयों ने कहा कि वे पिछले पंद्रह वर्षों से विद्यालयों में बच्चों के लिए भोजन बनाने और परोसने का काम कर रही हैं. इसके बदले उन्हें 1500 रुपये मानदेय का भुगतान किया जाता है.

मानदेय भुगतान का दिया था भरोसा
प्रतिदिन 50 रुपये मानदेय के बदले उन्हें 6 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम करना पड़ता है. महंगाई के इस दौर में प्रतिदिन पचास रुपये का मानदेय ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत चरितार्थ करता है. तीन साल पहले उन्हें सम्मानजनक मानदेय भुगतान का भरोसा दिलाया गया था. बावजूद इस पर कोई विचार नहीं किया गया.

रोजगार से वंचित करने का प्रयास
अब एनजीओ को भोजन की जिम्मेवारी देकर वर्षों से कार्यरत रसोइयों को रोजगार से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है. कोरोना काल के दौरान क्वारंटीन सेंटरों में भोजन बनाया गया. लेकिन आज तक उसका पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है. पारिश्रमिक भुगतान के लिए कई मांग पत्र सौंपा गया और धरना-प्रदर्शन किया. बावजूद भुगतान नहीं किया गया.

रसोइयों ने कम से कम दस हजार रुपये मानदेय देने की मांग की. प्रदर्शन का नेतृत्व बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोइयां फ्रंट के जिला सचिव महेंद्र प्रसाद ने किया.

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