भोजपुरः श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाए जाने के बाद भी दूसरे राज्यों से लोगों के पैदल आने का सिलसिला थम नहीं रहा है. जिले के पीरो प्रखंड के कोथुआ गांव निवासी अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ पैदल ही फरीदाबाद से चल दिए. तीन दिन और तीन रात लगातार पैदल चलने के बाद ने गांव पहुंचे. जहां उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया. फिर वे प्रखंड मुख्यालय गए. जहां स्वास्थ्य जांच के बाद उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया.
पेट भरने की थी चुनौती
प्रवासी योगेंद्र राम अपनी पत्नी सरीता देवी और दो बच्चे शिवम और रिया के साथ यहां पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि फरिदाबाद में एक फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता था. लॉकडाउन के बाद फैक्ट्री बंद हो गई. फिर जमा पैसे से कुछ दिनों तक रहने-खाने का खर्ज चला. पैसे खत्म हो गए तो परिवार का पेट भरना चुनौती हो गई. इधर लॉकडाउन की भी अवधि बढ़ती जा रही थी. ट्रेन से आने की कोशिश की लेकिन व्यवस्था नहीं बन पाई. फिर पैदल ही निकलने का फैसला लिया.
फरीदाबाद से पैदल पहुंचे भोजपुर
योगेंद्र ने बताया कि फरीदाबाद से पैदल चलने के बाद रायबरेली में एक ट्रक मिला. उसने मजबूरी समझकर गाड़ी पर चढ़ा ली. कुछ दूर ट्रक से आने के बाद फिर पैदल चलने लगा. पूरी रात पैदल चलने के बाद सुबह एक पीकअप वाले ने लिफ्ट दी. उससे कुछ दूरी तय की. उसके बाद फिर पैदल चला. इस तरह वाराणसी पहुंच गया. फिर चंदौली बॉडर पार कर बिहार में प्रवेश किया. जहां हमारे स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया. वहां से फिर पैदल ही आरा पहुंचा.
रात में हाइवे पर पैदल चलने में डर लगने के सवाल पर योगेंद्र ने बताया कि सैकड़ों लोग पैदल चल कर अपने-अपने घर जा रहे थे. उन्ही के साथ चलते-चलते वे भी आ गए.