ETV Bharat / state

अपने ही सफाईकर्मियों के घर उजाडे़गा भोजपुर नगर निगम

भोजपुर नगर निगम कार्यालय के पास स्थित सड़क के किनारे बसे 60 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले नगर निगम कर्मचारियों के परिवारों को पिछले 50 सालों से शिफ्ट करने का आश्वासन दिया जाता रहा है, पर हर बार यह आश्वासन कोरा कागज साबित हुआ है.

भोजपुर
author img

By

Published : Feb 11, 2019, 12:42 PM IST

आरा: भोजपुर नगर निगम ने अपने ही कर्मचारियों का आवास उजाड़ने का फरमान जारी कर दिया है. लेकिन, उनके रहने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. सालों से उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जाता रहा है.

यह मामला नगर निगम कार्यालय के पास स्थित सड़क के किनारे बसे 60 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले नगर निगम कर्मचारियों के परिवारों का है. उन्हें पिछले 50 सालों से इस स्थान पर शिफ्ट करने का आश्वासन दिया जाता रहा है, पर हर बार यह आश्वासन कोरा कागज साबित हुआ है.

मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित
वहीं, महिलाओं का कहना है कि हम सारे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं. न तो शौचालय की कोई व्यवस्था है और न ही स्नान करने की. इन्हें शौचालय के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है.

ठंढ और बरसात में भी काफी परेशानी होती है
वहीं, इनके घर की बहू-बेटियों को स्नान करने के लिए रमना मैदान स्थित कलेक्ट्रियट पोखर जाना पड़ता है. खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक और झुग्गी से बने घरों में रहने वाले इन कर्मचारियों को ठंढ और बरसात में भी काफी परेशानी होती है.

undefined
नगर निगम अधिकारी का बयान
undefined

असमाजिक तत्वों से परेशान
इतना ही नहीं सड़क के किनारे रहने वाले इन परिवारों में सयानी लड़कियां और महिलाएं भी हैं, जिन्हें हमेशा असामाजिक तत्वों से परेशानी झेलनी पड़ती है.

सालों बाद भी स्थिति जस की तस
सरकार ने दलितों और महादलितों को चिह्नित इसलिए किया था ताकि उनकी बदतर सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर से बेहतर बनाया जा सके. लेकिन, आलम यह है कि सालों गुजर जाने के बाद भी इनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

आरा: भोजपुर नगर निगम ने अपने ही कर्मचारियों का आवास उजाड़ने का फरमान जारी कर दिया है. लेकिन, उनके रहने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. सालों से उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जाता रहा है.

यह मामला नगर निगम कार्यालय के पास स्थित सड़क के किनारे बसे 60 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले नगर निगम कर्मचारियों के परिवारों का है. उन्हें पिछले 50 सालों से इस स्थान पर शिफ्ट करने का आश्वासन दिया जाता रहा है, पर हर बार यह आश्वासन कोरा कागज साबित हुआ है.

मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित
वहीं, महिलाओं का कहना है कि हम सारे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं. न तो शौचालय की कोई व्यवस्था है और न ही स्नान करने की. इन्हें शौचालय के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है.

ठंढ और बरसात में भी काफी परेशानी होती है
वहीं, इनके घर की बहू-बेटियों को स्नान करने के लिए रमना मैदान स्थित कलेक्ट्रियट पोखर जाना पड़ता है. खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक और झुग्गी से बने घरों में रहने वाले इन कर्मचारियों को ठंढ और बरसात में भी काफी परेशानी होती है.

undefined
नगर निगम अधिकारी का बयान
undefined

असमाजिक तत्वों से परेशान
इतना ही नहीं सड़क के किनारे रहने वाले इन परिवारों में सयानी लड़कियां और महिलाएं भी हैं, जिन्हें हमेशा असामाजिक तत्वों से परेशानी झेलनी पड़ती है.

सालों बाद भी स्थिति जस की तस
सरकार ने दलितों और महादलितों को चिह्नित इसलिए किया था ताकि उनकी बदतर सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर से बेहतर बनाया जा सके. लेकिन, आलम यह है कि सालों गुजर जाने के बाद भी इनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

Intro:भोजपुर का नगर निगम जो अतिक्रमण हटाने में अपने कर्मचारियों का साथ लेती है अब वही कर्मचारी अतिक्रमण की मार झेल रहे हैं ।नगर निगम ने इनके आशियाने को उजाड़ने का तुगलकी फरमान जारी तो कर दिया है पर उनके रहने की व्यवस्था अब तक नहीं कर पाई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि इनके कर्मचारी अब जाएं तो जाएं कहां।



Body:दरअसल मामला नगर निगम कार्यालय के पास स्थित सड़क के किनारे बसे 60 झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले नगर निगम कर्मचारियों के परिवारों का है जिन्हें पिछले 50 सालों से इस स्थान पर शिफ्ट करने का आश्वासन दिया जाता रहा है पर हर बार यह आश्वासन कोरा कागज साबित हुआ है।ऐसे में ये कर्मचारी अपने भाग्य का रोना रो रहे हैं।
मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित- इस बावत महिलाओं का कहना है कि हम सारे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं।इन्हें न तो शौचालय की कोई व्यवस्था है और न ही स्नान करने की।इन्हें शौचालय के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है।इतना ही नही आप जानकर आश्चर्यचकित न हों इनके घर की बहू बेटियों को स्नान करने के लिए रमना मैदान स्थित कलक्ट्रियत पोखर पर जाना पड़ता है जो खुले में नहाने को विवश हैं।ठंढ और बरसात से होती है परेशानी- खुले आसमान के नीचे पन्नी और झुग्गी से बने घरों में रहने वाले ये लोग प्रकृति के थपेड़ों से परेशान होते रहते हैं चाहे वो ठंड का मौसम हो या चिलचिलाती लू या फिर बरसात।
असामाजिक तत्वों से है परेशानी-सड़क के किनारे रहने वाले इन परिवारों में सयानी लड़कियां और महिलाएं भी हैं जिन्हें हमेशा असामाजिक तत्वों से परेशानी झेलनी पड़ती हैं।



Conclusion:सरकार ने दलितों और महादलितों को चिन्हित इसलिए किया था ताकि उनकी बदत्तत सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर से बेहतर बनाया जा सके लेकिन आलम यह है कि वर्षो बरस गुजर जाने के बाद भी इनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.