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फसल के दाम नहीं मिलने से किसान परेशान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार किसानों की हित के बारे में बात करती है. उनके लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. लेकिन इन योजनाओं के बावजूद किसान आज परेशान हैं. उन्हें अपने फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है. जिस कारण वे एक बार फिर हताश और निराश होकर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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भोजपुर का पटेटो हब
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Published : Mar 22, 2021, 12:53 PM IST

भोजपुर: जिले में आलू की पैदावार के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस इलाके में आलू की काफी अच्छी उपज होने के कारण यहां से आलू विभिन्न राज्यों में भेजा जाता रहा है. जिस तरह बिहार का रोहतास जिला धान के कटोरा के नाम से मशहूर है. ठीक उसी तरह भोजपुर के सोन नदी का तटवर्ती इलाका आलू का कटोरा के नाम से काफी मशहूर है.

इस साल भी सोन के तटवर्ती इलाके फहरंगपुर, चंदा, दौलतपुर, बहियारा,चांदी, खानगांव कायमनगर समेत कई पंचायतों में आलू की अच्छी पैदावार हुई है.

ये भी पढ़ें...मां का आरोप बंधक बनी है बेटी, जांच में जुटी पुलिस

हालांकि, बीते वर्ष में बालू व्यवस्था से जुड़े लोग किसानों को लालच देकर आलू के खेत में बालू का भंडारण कर उपज पर असर डाला है. किसान उर्वरक के जगह खेतों में लाही डालते हैं.

भोजपुर का पटेटो हब

ये भी पढ़ें...मुंह पर मास्क... कान में स्पीकर... बाहर से आंसर... चोरी का यह तरीका देख हो जाएंगे हैरान

'खेतों में उर्वरक का कम से कम प्रयोग किया गया है. उर्वरक की जगह मुर्गी की लाही का प्रयोग किया गया, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ी है. साथ ही डीएपी और बुनाई के बाद बिजोपचार के लिए चार बार कीटनाशक का प्रयोग किया गया है. जिससे आलू की फसल बड़ी और पुष्ट होती है'. - किशन गुड्डू, किसान

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भोजपुर का पटेटो हब

धरातल पर सरकार की योजनाएं फेल
वहीं, किसानों ने सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार भले ही किसानों के हित में बात करती हो लेकिन धरातल पर उनकी एक भी योजनाएं नहीं दिखती है. किसानों ने कहा कि जितनी मेहनत वो आलू की पैदावार करने में करते हैं. उस हिसाब से उन्हें पैसा नहीं मिल रहा.

इस वर्ष कोइलवर प्रखंड में लगभग 4000 हेक्टेयर भूमि पर आलू की बुवाई हुई थी. जिसके बाद आलू की पैदावार काफी अच्छी हुई है.- प्रखंड कृषि पदाधिकारी

भोजपुर: जिले में आलू की पैदावार के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस इलाके में आलू की काफी अच्छी उपज होने के कारण यहां से आलू विभिन्न राज्यों में भेजा जाता रहा है. जिस तरह बिहार का रोहतास जिला धान के कटोरा के नाम से मशहूर है. ठीक उसी तरह भोजपुर के सोन नदी का तटवर्ती इलाका आलू का कटोरा के नाम से काफी मशहूर है.

इस साल भी सोन के तटवर्ती इलाके फहरंगपुर, चंदा, दौलतपुर, बहियारा,चांदी, खानगांव कायमनगर समेत कई पंचायतों में आलू की अच्छी पैदावार हुई है.

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हालांकि, बीते वर्ष में बालू व्यवस्था से जुड़े लोग किसानों को लालच देकर आलू के खेत में बालू का भंडारण कर उपज पर असर डाला है. किसान उर्वरक के जगह खेतों में लाही डालते हैं.

भोजपुर का पटेटो हब

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'खेतों में उर्वरक का कम से कम प्रयोग किया गया है. उर्वरक की जगह मुर्गी की लाही का प्रयोग किया गया, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ी है. साथ ही डीएपी और बुनाई के बाद बिजोपचार के लिए चार बार कीटनाशक का प्रयोग किया गया है. जिससे आलू की फसल बड़ी और पुष्ट होती है'. - किशन गुड्डू, किसान

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भोजपुर का पटेटो हब

धरातल पर सरकार की योजनाएं फेल
वहीं, किसानों ने सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार भले ही किसानों के हित में बात करती हो लेकिन धरातल पर उनकी एक भी योजनाएं नहीं दिखती है. किसानों ने कहा कि जितनी मेहनत वो आलू की पैदावार करने में करते हैं. उस हिसाब से उन्हें पैसा नहीं मिल रहा.

इस वर्ष कोइलवर प्रखंड में लगभग 4000 हेक्टेयर भूमि पर आलू की बुवाई हुई थी. जिसके बाद आलू की पैदावार काफी अच्छी हुई है.- प्रखंड कृषि पदाधिकारी

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