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भोजपुर के आलू की खूब है डिमांड, पैदावार के लिए बोला जाता है पोटैटो हब

पोटैटो हब कहे जाने वाले भोजपूर के किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से हमे कुछ नहीं मिला है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल 50% कम पैदावार हुई है. जिस कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है.

potato farming
पोटैटो हब
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Published : Feb 22, 2020, 12:52 PM IST

आराः जिस तरह रोहतास धान के कटोरा से मशहूर है, उसी तरह भोजपुर के सोन नदी का तटवर्तीय इलाका आलू का कटोरा से मशहूर है. ये इलाका आलू की पैदावार के लिए पोटैटो हब है.

विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है आलू
भोजपुर आलू की पैदावार के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस इलाके में आलू की काफी अच्छी उपज होने के कारण यहां से आलू विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है. इस साल भी सोन तटवर्तीय इलाके फहरंगपुर, चंदा, दौलतपुर, बहियारा, चांदी, खानगांव,कामनगरे समेत कई पंचायतों में आलू की अच्छी पैदावार हुई है.

potato farming
खेतों में काम करती महिला किसान

ठंड के कारण अच्छी नहीं हुई पैदावार
आलू की खेती के बारे में जब कुछ किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले 10 बोरा प्रति कट्ठा आलू की पैदावार होती जाती थी. इस साल 4 से 5 बोरा ही पैदावार हुई है. बारिश हई थी. मौसम ठंडा हो गया जिससे आलू की पैदावार अच्छी नहीं हुई. फायदा भी ज्यादा नहीं हुआ. सरकार की तरफ से हम किसानों को कुछ नहीं मिला है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 50% कम पैदावार हुई है जिस कारण किसानों को नुकसान हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः सारणः इंटरनेशनल तीरंदाज अंजलि लेंगी वर्ल्डकप 2020 में भाग, बिहार की बढ़ाएंगी मान

1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल बिका आलू
वहीं, कुछ किसान इस साल आलू की फसल अच्छी होने की बात भी कह रहे हैं. इनका कहना है कि पहले आलू 500 से 600 प्रति क्विंटल बिक रहा था. अभी 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल आलू बिक रहा है. उपज भी अच्छी हुई है हम लोगों की जो मिट्टी है, वह बालू वाली मिट्टी है. बारिश का इस पर कोई असर नहीं पड़ा है, जिससे हमारी पैदावार अच्छी हुई है.

potato farming
आलू का खेत

सरकार की ओर से किसानों को मिल रहा प्रोत्साहन
इस संबंध में जब जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भोजपुर के 6 प्रखंड कोईलवर, आरा, बड़हरा, बिहिया, शाहपुर ये सब्जी उत्पादन के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है. यहां आलू, मटर की पैदावार अच्छी होती है. वहीं, सरकार की तरफ से किसानों को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं. किसानों को कम लागत में अच्छी उपज मिल रही हैं.

आराः जिस तरह रोहतास धान के कटोरा से मशहूर है, उसी तरह भोजपुर के सोन नदी का तटवर्तीय इलाका आलू का कटोरा से मशहूर है. ये इलाका आलू की पैदावार के लिए पोटैटो हब है.

विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है आलू
भोजपुर आलू की पैदावार के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस इलाके में आलू की काफी अच्छी उपज होने के कारण यहां से आलू विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है. इस साल भी सोन तटवर्तीय इलाके फहरंगपुर, चंदा, दौलतपुर, बहियारा, चांदी, खानगांव,कामनगरे समेत कई पंचायतों में आलू की अच्छी पैदावार हुई है.

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खेतों में काम करती महिला किसान

ठंड के कारण अच्छी नहीं हुई पैदावार
आलू की खेती के बारे में जब कुछ किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले 10 बोरा प्रति कट्ठा आलू की पैदावार होती जाती थी. इस साल 4 से 5 बोरा ही पैदावार हुई है. बारिश हई थी. मौसम ठंडा हो गया जिससे आलू की पैदावार अच्छी नहीं हुई. फायदा भी ज्यादा नहीं हुआ. सरकार की तरफ से हम किसानों को कुछ नहीं मिला है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 50% कम पैदावार हुई है जिस कारण किसानों को नुकसान हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल बिका आलू
वहीं, कुछ किसान इस साल आलू की फसल अच्छी होने की बात भी कह रहे हैं. इनका कहना है कि पहले आलू 500 से 600 प्रति क्विंटल बिक रहा था. अभी 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल आलू बिक रहा है. उपज भी अच्छी हुई है हम लोगों की जो मिट्टी है, वह बालू वाली मिट्टी है. बारिश का इस पर कोई असर नहीं पड़ा है, जिससे हमारी पैदावार अच्छी हुई है.

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आलू का खेत

सरकार की ओर से किसानों को मिल रहा प्रोत्साहन
इस संबंध में जब जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भोजपुर के 6 प्रखंड कोईलवर, आरा, बड़हरा, बिहिया, शाहपुर ये सब्जी उत्पादन के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है. यहां आलू, मटर की पैदावार अच्छी होती है. वहीं, सरकार की तरफ से किसानों को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं. किसानों को कम लागत में अच्छी उपज मिल रही हैं.

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