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आरा: स्वच्छता मिशन को मुंह चिढ़ाती है सदर अस्पताल, विशेषज्ञ चिकित्सकों की घोर कमी

एक तरफ आरा सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल में गंदगी के साथ-सात शौचालय भी बदहाल स्थिति में है.

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Published : May 28, 2019, 9:07 AM IST

आरा सदर अस्पताल

आरा: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बदहाल स्थिति में है. आईएसओ प्रमाणित इस अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. कहने को तो यहां 38 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन किसी तरह यहां पर काम चलाया जाता है.अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज का लाभ भी नहीं मिल पाता है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों का घोर अभाव
जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात तो दूर सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी रहने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विशेष मामलों में डॉक्टरों के पास रेफर करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है. ऐसे में गरीब मरीजों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी झेलनी पड़ती है. भले ही सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की बात कही जाती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. चिकित्सकों के कमी के कारण बेहतर स्वास्थ्य मिलना फिलहाल नामुमकिन लगता है.

सदर अस्पताल आरा
क्या कहते है सिविल सर्जन

हालांकि इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ ललितेश्वर झा ने बताया कि मेरे यहां चिकित्सक का अभाव नहीं है।

गंदगी का घर बना सदर अस्पताल

आरा के सदर अस्पताल में अगर गंदगी ना दिखे तो यह बेईमानी सा लगता है. सदर अस्पताल में प्रवेश करते ही सबसे पहले गंदे पानीयों से सामना होता है. यह हाल अमूमन अस्पताल कैंपस में हमेशा रहता है. इस रास्ते से मरीज एवं उनके परिजन के अलावे सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक तो गुजरते है लेकिन साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

वर्षो से जर्जर है शौचालय

सदर अस्पताल के अंदर शौचालय वर्षों से जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ है. आलम यह है कि शौचालय में दरवाजे तक नहीं है जिसके कारण महिलाओं को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इस बात की जानकारी होते हुए भी अस्पताल प्रबंधन इस समस्या से बेखबर है.

अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन ने साधी चुप्पी

इस संबंध में बात करने पर सदर अस्पताल के मैनेजर मनोज कुमार कन्नी काटते हुए नजर आए. उन्होनें कुछ भी कहने से परहेज किया जबकि अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली. ऐसे में कह सकते हैं कि एक तरफ जहां पूरा सरकार स्वच्छ भारत मिशन की बात करती है वही सदर अस्पताल में गंदे पानी का जल जमाव,साफ-सफाई को लेकर अस्पताल अधीक्षक की उदासीनता इस अभियान की धज्जियां उड़ा रही है.

आरा: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बदहाल स्थिति में है. आईएसओ प्रमाणित इस अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. कहने को तो यहां 38 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन किसी तरह यहां पर काम चलाया जाता है.अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज का लाभ भी नहीं मिल पाता है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों का घोर अभाव
जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात तो दूर सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी रहने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विशेष मामलों में डॉक्टरों के पास रेफर करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है. ऐसे में गरीब मरीजों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी झेलनी पड़ती है. भले ही सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की बात कही जाती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. चिकित्सकों के कमी के कारण बेहतर स्वास्थ्य मिलना फिलहाल नामुमकिन लगता है.

सदर अस्पताल आरा
क्या कहते है सिविल सर्जन

हालांकि इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ ललितेश्वर झा ने बताया कि मेरे यहां चिकित्सक का अभाव नहीं है।

गंदगी का घर बना सदर अस्पताल

आरा के सदर अस्पताल में अगर गंदगी ना दिखे तो यह बेईमानी सा लगता है. सदर अस्पताल में प्रवेश करते ही सबसे पहले गंदे पानीयों से सामना होता है. यह हाल अमूमन अस्पताल कैंपस में हमेशा रहता है. इस रास्ते से मरीज एवं उनके परिजन के अलावे सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक तो गुजरते है लेकिन साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

वर्षो से जर्जर है शौचालय

सदर अस्पताल के अंदर शौचालय वर्षों से जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ है. आलम यह है कि शौचालय में दरवाजे तक नहीं है जिसके कारण महिलाओं को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इस बात की जानकारी होते हुए भी अस्पताल प्रबंधन इस समस्या से बेखबर है.

अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन ने साधी चुप्पी

इस संबंध में बात करने पर सदर अस्पताल के मैनेजर मनोज कुमार कन्नी काटते हुए नजर आए. उन्होनें कुछ भी कहने से परहेज किया जबकि अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली. ऐसे में कह सकते हैं कि एक तरफ जहां पूरा सरकार स्वच्छ भारत मिशन की बात करती है वही सदर अस्पताल में गंदे पानी का जल जमाव,साफ-सफाई को लेकर अस्पताल अधीक्षक की उदासीनता इस अभियान की धज्जियां उड़ा रही है.

Intro:जिले का एक बड़ा अस्पताल जो आईएसओ प्रमाणित है यहां सुविधाओं का घोर अभाव है कहने को तो यहां 38 डॉक्टर पदस्थापित हैं लेकिन किसी तरह यहां पर काम चलाया जाता है जिसके कारण अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज का लाभ भी नहीं मिल पाता


Body:विशेषज्ञ चिकित्सकों का है अभाव- विशेषज्ञ चिकित्सकों का आलम यह है की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात कौन कहे जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की काफी कमी देखी जाती है जिससे जिले के मरीजों खासकर गरीब मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है कुछ ऐसे विशेष मामलों में डॉक्टरों के पास रेफर करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है जिससे मरीजों को आर्थिक शारीरिक और मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ती है जबकि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी के लिए लगातार प्रयास करने का दावा करती रहती है चिकित्सकों के भाव में बेहतर स्वास्थ्य मिलना फिलहाल नामुमकिन सा हो गया है।
चिकित्सकों की कमी -
आरा का सदर अस्पताल लगातार चिकित्सकों के Xअभाव का दंश झेल रहा है हालांकि इस बात को लेकर सिविल सर्जन डॉ ललितेश्वर झा ने बताया कि मेरे यहां चिकित्सक का अभाव नही है।
गंदगी का अंबार आरा का सदर अस्पताल- गंदगी आरा के सदर अस्पताल में अगर गंदगी ना दिखे तो यह बेईमानी सा लगता है जी हां सदर अस्पताल लाने के बाद सबसे पहला सामना गंदे पानियों से होता है जो अस्पताल कैंपस में हमेशा लगा रहता है उस रास्ते से होकर सभी डॉक्टर खासकर के सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक तो गुजरते ही हैं साथ साथ सभी मरीज एवं उनके परिजन भी उस होकर गुजरते हैं लेकिन इसे साफ कराना बे लोग उचित नहीं समझते इससे ना केवल उन्हें बल्कि हर आने-जाने वाले लोगों को खासकर मरीजों और उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
वर्षो से जर्जर है शौचालय- सदर अस्पताल का शौचालय बरसों से जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ है।आलम यह है कि शौचालय बिना फाटक का है।ऐसे में कोई महिला उस शौचालय में कैसे जाएगी यह एक सोचनीय बात है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन इस समस्या से बेखबर है इस संबंध में बात करने पर अस्पताल के मैनेजर मनोज कुमार ने कुछ भी कहने से परहेज किया जबकि वहीं पर अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली जहां एक ओर पूरा देश स्वच्छ भारत मिशन की बात करता है वही सदर अस्पताल में गंदे पानी का जमाव इस बात को स्पष्ट करता है कि अस्पताल अधीक्षक साफ-सफाई को लेकर कितने गंभीर हैं


Conclusion:बाइट-संतोष कुमार
बदतर-मुन्ना सिंह
बाइट-राजेश यादव
बाइट-सुरजीत सिंह
बाइट-सत्य प्रकाश
बाइट-जय जय राम,मरीज
बाइट-पिंकी पांडेय,मरीज
बाइट-डॉ ललितेश्वर झा, सिविल सर्जन
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