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आरा शहर के प्रवेश द्वार पर ही फेंका जा रहा कचड़ा, निगम ने बाइपास को बना दिया डंपिंग यार्ड - आरा के सड़क किनारे कूड़ा

आरा निगम प्रशासन के पास डंपिंग यार्ड नहीं होने से निगम शहर भर में कूड़ों को आरा-बक्सर बाईपास पर डंप कर गंदगी का अंबार लगा रहा है. निगम की इस लापरवाही भरे रवैये के कारण रास्ते से गुजर रहे लोगों का जीना दूभर हो गया है. पढ़े पूरी खबर...

Ara Municipal Corporation
Ara Municipal Corporation
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Published : Aug 11, 2021, 12:40 PM IST

भोजपुर: सरकार की ओर से देशभर में स्वच्छता अभियान (Cleanliness campaign) चलाया जा रहा है. तो दूसरी तरफ सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद गंदगी का अंबार दिख रहा है. सरकार ने जिसके ऊपर जिले को स्वच्छ रखने का जिम्मा दिया है. वही, सड़क किनारे कूड़े का अंबार लगाता फिर रहा है. आरा नगर निगम (Ara Municipal Corporation) के पास डंपिंग ग्राउंड नहीं होने के कारण आरा-बक्सर मुख्य मार्ग पर ही कूड़ा फेंका जा रहा है. जिस कारण रास्ते से गुजर रहे लोगों की परेशानियां बढ़ गई है.

यह भी पढ़ें - Buxar News: कचरे के ढेर में तब्दील हुआ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का शहर डुमरांव

दरअसल, शहर के तीन मुख्य जगहों से प्रवेश द्वार पर कचड़ा फेंक कर बाहर से आने वाले लोगों का स्वागत कचड़े की दुर्गंध करती है. 45 वार्ड के आरा नगर निगम के पास बीते कई सालों से डंपिंग यार्ड नहीं है. जिस वजह से आरा के बाइपास सड़कों को ही डंपिंग यार्ड निगम के द्वारा बना लिया गया है.

देखें वीडियो

बता दें कि पटना-आरा बाइपास से सपना सिनेमा मोड़ पर कचड़ा फेंका जाता है. आरा-बक्सर बाइपास में जहां आरा की शुरुआत होती है, वहां कचड़ा फेंका जा रहा है. साथ ही आरा-शलेमपुर मुख्य मार्ग मझौवा पुल पर भी निगम के द्वारा कचड़ा गिराकर रास्ते की सूरत बिगड़ दी गई है. कुल मिलाकर आरा शहर में जहां से भी आप प्रवेश करेंगे. वहां आपको सैकड़ों क्विन्टल कचड़ा और उसका बर्दाश्त नहीं होने वाला दुर्गन्ध आपका स्वागत करेगा.

आपको बताते चलें कि आरा नगर निगम अंतर्गत 45 वार्डों की सफाई के लिए हर महीने लगभग 14 लाख रुपये खर्च आते हैं. वहीं इसको साल में तब्दील करें तो लगभग एक करोड़ 68 लाख रुपये आरा शहर की साफ-सफाई पर खर्च होते हैं. इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बावजूद आरा शहर को अंदर और बाहर नरक बनाया गया है. इसके अलावे शहर को साफ करने के लिए 625 मजदूर नगर निगम के पास मौजूद हैं. साथ ही शहर को साफ करने और कूड़ा-कचड़ा उठाने के लिए कुल 62 छोटी-बड़ी गाड़िया है. जिसमें रोबोट जेसीबी बड़ी जेसीबी और कचड़ा ढोने वाली मालवाहक गाड़िया हैं.

आरा के लिए नासूर बने इस समस्या पर इन सभी रास्तों से आने जाने वाले राहगीरों ने भी चिंता जाहिर की और कहा कि कोरोना से आरा में कोई मरे या ना मरे लेकिन आने वाले दिनों में कचड़े की दुर्गंध से जरूर मर जाएगा. शहर को साफ करने के चक्कर में आरा के आसपास के गांवों को गंदा किया जा रहा है. ये एक विकट समस्या है, जिसका जल्द से जल्द नगर निगम प्रशासन द्वारा समाधान निकलना चाहिए.

इस बाबत आरा नगर निगम के नगर आयुक्त के प्रभार में आरा सदर एसडीएम वैभव श्रीवास्तव से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि डंपिंग यार्ड के लिए जिला प्रशासन के द्वारा नगर निगम प्रशासन को जमीन चिन्हित करने को कहा गया था. लेकिन नगर निगम के द्वारा नहीं किया जा सका है. एक बार फिर से नगर निगम के द्वारा जमीन चिन्हित किया जा रहा है. जैसे ही जमीन मिलेगी उस पर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर उसे डंपिंग यार्ड बनाया जायेगा.

यह भी पढ़ें - पटना में कूड़ा डंपिंग यार्ड की कमी, समय से कचरा उठाव नहीं होने से शहर हो रहा गंदा

भोजपुर: सरकार की ओर से देशभर में स्वच्छता अभियान (Cleanliness campaign) चलाया जा रहा है. तो दूसरी तरफ सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद गंदगी का अंबार दिख रहा है. सरकार ने जिसके ऊपर जिले को स्वच्छ रखने का जिम्मा दिया है. वही, सड़क किनारे कूड़े का अंबार लगाता फिर रहा है. आरा नगर निगम (Ara Municipal Corporation) के पास डंपिंग ग्राउंड नहीं होने के कारण आरा-बक्सर मुख्य मार्ग पर ही कूड़ा फेंका जा रहा है. जिस कारण रास्ते से गुजर रहे लोगों की परेशानियां बढ़ गई है.

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दरअसल, शहर के तीन मुख्य जगहों से प्रवेश द्वार पर कचड़ा फेंक कर बाहर से आने वाले लोगों का स्वागत कचड़े की दुर्गंध करती है. 45 वार्ड के आरा नगर निगम के पास बीते कई सालों से डंपिंग यार्ड नहीं है. जिस वजह से आरा के बाइपास सड़कों को ही डंपिंग यार्ड निगम के द्वारा बना लिया गया है.

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बता दें कि पटना-आरा बाइपास से सपना सिनेमा मोड़ पर कचड़ा फेंका जाता है. आरा-बक्सर बाइपास में जहां आरा की शुरुआत होती है, वहां कचड़ा फेंका जा रहा है. साथ ही आरा-शलेमपुर मुख्य मार्ग मझौवा पुल पर भी निगम के द्वारा कचड़ा गिराकर रास्ते की सूरत बिगड़ दी गई है. कुल मिलाकर आरा शहर में जहां से भी आप प्रवेश करेंगे. वहां आपको सैकड़ों क्विन्टल कचड़ा और उसका बर्दाश्त नहीं होने वाला दुर्गन्ध आपका स्वागत करेगा.

आपको बताते चलें कि आरा नगर निगम अंतर्गत 45 वार्डों की सफाई के लिए हर महीने लगभग 14 लाख रुपये खर्च आते हैं. वहीं इसको साल में तब्दील करें तो लगभग एक करोड़ 68 लाख रुपये आरा शहर की साफ-सफाई पर खर्च होते हैं. इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बावजूद आरा शहर को अंदर और बाहर नरक बनाया गया है. इसके अलावे शहर को साफ करने के लिए 625 मजदूर नगर निगम के पास मौजूद हैं. साथ ही शहर को साफ करने और कूड़ा-कचड़ा उठाने के लिए कुल 62 छोटी-बड़ी गाड़िया है. जिसमें रोबोट जेसीबी बड़ी जेसीबी और कचड़ा ढोने वाली मालवाहक गाड़िया हैं.

आरा के लिए नासूर बने इस समस्या पर इन सभी रास्तों से आने जाने वाले राहगीरों ने भी चिंता जाहिर की और कहा कि कोरोना से आरा में कोई मरे या ना मरे लेकिन आने वाले दिनों में कचड़े की दुर्गंध से जरूर मर जाएगा. शहर को साफ करने के चक्कर में आरा के आसपास के गांवों को गंदा किया जा रहा है. ये एक विकट समस्या है, जिसका जल्द से जल्द नगर निगम प्रशासन द्वारा समाधान निकलना चाहिए.

इस बाबत आरा नगर निगम के नगर आयुक्त के प्रभार में आरा सदर एसडीएम वैभव श्रीवास्तव से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि डंपिंग यार्ड के लिए जिला प्रशासन के द्वारा नगर निगम प्रशासन को जमीन चिन्हित करने को कहा गया था. लेकिन नगर निगम के द्वारा नहीं किया जा सका है. एक बार फिर से नगर निगम के द्वारा जमीन चिन्हित किया जा रहा है. जैसे ही जमीन मिलेगी उस पर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर उसे डंपिंग यार्ड बनाया जायेगा.

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