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आरा जंक्शन परिसर में भोजपुरी पेंटिंग की जगह मिथिला पेंटिंग बनाए जाने से कलाकारों में गुस्सा - Mithila artifacts are carved in the station ticket counter building

भोजपुरी पेंटिंग और कला से जुड़े कलाकारों का कहना है कि भोजपुर में ही भोजपुरी की अनदेखी की गई है. इस पर वे चुप बैठने वाले नहीं हैं, वे इस मांग को आंदोलन का रूप देंगे.

आरा जंक्शन परिसर में बनाई गई मिथिला पेंटिंग
आरा जंक्शन परिसर में बनाई गई मिथिला पेंटिंग
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Published : Feb 12, 2020, 6:37 PM IST

भोजपुर: जिले में भोजपुरी कला और संस्कृति को नजरअंदाज किया जा रहा है. इसकी झलक भोजपुर मुख्यालय के आरा जंक्शन पर देखने को मिली. दरअसल, आरा जंक्शन पर रेलवे ने भोजपुर पर्यटक स्थलों और भोजपुरी पेंटिंग को नजरअंदाज कर मिथिला पेंटिंग को तरजीह दी है. स्टेशन के टिकट काउंटर वाले बिल्डिंग में मिथिला कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जिससे जिलावासियों में खासा आक्रोश है.

स्थानीय कलाकारों का कहना है कि जब भोजपुर जिले में ही भोजपुरिया संस्कृति और कला को दबा दिया जायेगा तो देश के बाकी जगहों के लोग उसके बारे में कैसे जानेंगे. रेलवे की ओर से भोजपुरी पेंटिंग को नजरअंदाज किए जाने के बाद आक्रोशित लोगों ने आंदोलन की बात कही है.

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आरा जंक्शन परिसर में बनाई गई मिथिला पेंटिंग

भोजपुरी कला में ये है खास

भोजपुरवासियों के अनुसार भोजपुरी पेंटिंग और भोजपुर की पहचान मां आरण्य देवी, भगवान महावीर और वीर कुंवर सिंह जैसे प्रतीकों से हैं. रेलवे को इन्हें स्टेशन परिसर में लगाना चाहिए था. किसी शहर का मुख्य आगमन रेलवे परिसर ही होता है, जहां पहली झलक के बाद लोग उस शहर के बारे में जानते हैं.

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जंक्शन पर बनी पेंटिंग

ये भी पढ़ें: जन गण मन यात्रा के तहत औरंगाबाद पहुंचे CPI नेता कन्हैया कुमार, केंद्र सरकार पर साधा निशाना

स्थानीय सांसद को सौंपा ज्ञापन

रेलवे की अनदेखी के कारण कई सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों ने आरा के सांसद सह ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह को एक ज्ञापन भी सौंपा था. जिसमें मिथिला की बजाए भोजपुरी पेंटिंग बनाने का आग्रह किया गया था. वहीं, क्षेत्र की जनता और अन्य समाजसेवी अब इस मामले में अपनी मांगों को लेकर पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक से जल्द ही मिलने वाले हैं.

भोजपुर: जिले में भोजपुरी कला और संस्कृति को नजरअंदाज किया जा रहा है. इसकी झलक भोजपुर मुख्यालय के आरा जंक्शन पर देखने को मिली. दरअसल, आरा जंक्शन पर रेलवे ने भोजपुर पर्यटक स्थलों और भोजपुरी पेंटिंग को नजरअंदाज कर मिथिला पेंटिंग को तरजीह दी है. स्टेशन के टिकट काउंटर वाले बिल्डिंग में मिथिला कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जिससे जिलावासियों में खासा आक्रोश है.

स्थानीय कलाकारों का कहना है कि जब भोजपुर जिले में ही भोजपुरिया संस्कृति और कला को दबा दिया जायेगा तो देश के बाकी जगहों के लोग उसके बारे में कैसे जानेंगे. रेलवे की ओर से भोजपुरी पेंटिंग को नजरअंदाज किए जाने के बाद आक्रोशित लोगों ने आंदोलन की बात कही है.

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आरा जंक्शन परिसर में बनाई गई मिथिला पेंटिंग

भोजपुरी कला में ये है खास

भोजपुरवासियों के अनुसार भोजपुरी पेंटिंग और भोजपुर की पहचान मां आरण्य देवी, भगवान महावीर और वीर कुंवर सिंह जैसे प्रतीकों से हैं. रेलवे को इन्हें स्टेशन परिसर में लगाना चाहिए था. किसी शहर का मुख्य आगमन रेलवे परिसर ही होता है, जहां पहली झलक के बाद लोग उस शहर के बारे में जानते हैं.

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जंक्शन पर बनी पेंटिंग

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स्थानीय सांसद को सौंपा ज्ञापन

रेलवे की अनदेखी के कारण कई सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों ने आरा के सांसद सह ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह को एक ज्ञापन भी सौंपा था. जिसमें मिथिला की बजाए भोजपुरी पेंटिंग बनाने का आग्रह किया गया था. वहीं, क्षेत्र की जनता और अन्य समाजसेवी अब इस मामले में अपनी मांगों को लेकर पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक से जल्द ही मिलने वाले हैं.

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