भागलपुर: शुक्रवार को जिले में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए और मानव जीवन में वन्यजीवों के महत्व को लेकर लोगों को जानकारी दी गई.
कार्यक्रम का उद्घाटन जिला वन पदाधिकारी एस. सुधाकर, अरविंद मिश्रा समेत कई लोगों ने दीप प्रज्वलित कर किया. काफी लंबे अरसे से गरुड़ पर शोध कर रहे अरविंद मिश्रा के मिशन को बिहार सरकार ने अपने कार्यक्रम से जोड़कर गरुड़ों की संख्या में बढ़ोत्तरी की है.
स्थानीय लोगों की रही अहम भूमिका
बता दें भागलपुर में कई दुर्लभ वन्य जीव पाए जाते हैं. जिसमें गरुड़, डॉल्फिन, ऊदबिलाव और कछुआ प्रमुख हैं. गरुड़ की प्रजाति 2008 के आसपास विलुप्त होने के कगार पर थी लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से आज गरुड़ की संख्या लगभग पांच सौ से 600 के आसपास हो गई है.
भारत और कंबोडिया में पाए जाते हैं गरुड़
पूरे विश्व में बड़े गरुड़ सिर्फ कंबोडिया और भारत के असम और बिहार के भागलपुर के कदवा दियारा में प्रजनन करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान समय में 800 से 1200 गरुड़ पक्षी ही पूरी दुनिया में बचे हुए हैं. जिन्हें संरक्षित कर संख्या बढ़ाई जा सकती है.
'वन्य जीवों का संरक्षण काफी जरूरी'
मौके पर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के अक्षय बजाज ने कहा कि वन्य जीवों का संरक्षण बहुत जरूरी है. इसके जागरूकता के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं. वह काफी सराहनीय है. वहीं, भागलपुर डीएफओ एस. सुधाकर ने कहा कि बिहार सरकार की तरफ से स्थानीय लोगों की जागरूकता के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है. ताकि लोग वन्यजीवों के महत्व को समझकर उन्हें संरक्षित कर सकें.