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आखिर कहां है 'सीताराम'...पाकिस्तान कह रहा-2004 में वापस किया, सरकार कह रही- मिला ही नहीं! - sitaram jha in pakistan jail

बिहार के भागलपुर निवासी सीताराम झा पाकिस्तान की कैद में थे. पाकिस्तान के अनुसार सीताराम झा को 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान की जेल से रिहा करके भारत को सौंप दिया गया था. जबकि, भारत सरकार के ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन विभाग के अनुसार किसी सीता राम झा नामक कैदी को वापस नहीं सौंपा गया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि, आखिर सीता राम कहां चले गये...

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Published : Nov 26, 2022, 3:28 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 3:36 PM IST

भागलपुरः बिहार के भागलपुर निवासी सीताराम झा के परिजनों को उनके वापस आने का इंतजार है. लेकिन वे कहां गुम हो गये, इसका जवाब ना तो भारत सरकार के पास है और ना ही पाकिस्तान के पास. पाकिस्तान के अनुसार सीताराम झा को 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान की जेल से रिहा करके भारत को सौंप दिया गया था. 18 वर्षों से वह कहां है, इसका पता नहीं चल पा रहा है. बता दें कि सीताराम झा पाकिस्तान की कैद में था.

इसे भी पढ़ेंः पाकिस्तान की जेल में कैद है बेटा! 20 साल से राह देख रही बूढ़ी मां

सीताराम के परिजन का बयान.

कोई जानकारी नहीं मिल पा रहीः सीताराम की वापसी के लिए उनके परिजन लगातार सरकार से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. पत्राचार करनवाले परिजन मुकेश कुमार को अमृतसर स्थित सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्रीय मुख्यालय से एक ई-मेल प्राप्त हुआ. इस पत्र में सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी ने सीताराम झा की भारत वापसी के संबंध में ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन विभाग से पूछताछ करने की सलाह दी. उन्होंने लिखा है कि उनके विभाग का काम सीमा की रक्षा करना है.

BSF से मिला मेल.
BSF से भेजा गया मेल.

कागज पर सीताराम रिहाः इमिग्रेशन विभाग ने बताया कि उनके दस्तावेजों के अनुसार सीताराम झा नामक कैदी को 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान से प्राप्त नहीं किया गया था. जबकि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त एसके रेड्डी की पत्र संख्या आइएफएल/ सीओएनएस/ 411/01/2008 के अनुसार 31 अगस्त 2004 को 36 कैदियों को पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को वाघा बॉर्डर पर सौंपा था, इन कैदियों में सीताराम झा भी शामिल थे.

इसे भी पढ़ेंः पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद हैं भारत के 83 सैनिक, विदेश मंत्रालय के पत्र से हुआ खुलासा

भारत के उच्चायोग का पत्र.
भारत के उच्चायोग का पत्र.

क्या है मामलाः सनहौला प्रखंड के मदारगंज पंचायत के रतनपुर गांव का है. यहां की रहने वाली ओखा देवी का पुत्र सीताराम झा आर्थिक तंगी के चलते 20 साल पहले पंजाब कमाने गया था. इसके बाद वो कभी वापस नहीं लौटा. मां ओखा देवी और पड़ोसियों की मानें तो उसके जाने के चार साल बाद सनोखर थाने की पुलिस ने सीताराम की तस्वीर दिखाते हुए सूचना दी थी कि उनका बेटा पाकिस्तान की जेल में बंद है. ओखा देवी की मानें तो वो तब से लेकर आज तक प्रशासन से लेकर राजनेताओं की चौखट पर अपने बेटे की सकुशल वापसी को लेकर गुहार लगाती रही हैं. लेकिन, उसके बेटे के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है. एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है. वहीं, बहु ने पति को वापस आता न देख दूसरी शादी कर ली. ओखा देवी घर में अकेले ही रहती है.

उम्मीद पर है जिंदाः सीताराम की मां को उम्मीद है कि उनका बेटा एक दिन घर लौटेगा. बेटे की वापसी के लिए वह एसएसपी से लेकर गृह मंत्रालय तक कई बार गुहार लगा चुकी है. उनके परिजन मुकेश कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत सीताराम की जानकारी भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों से प्राप्त की, तो इस बात के साक्ष्य प्राप्त हुए कि सीताराम को पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को सौंप दिया है.

भागलपुरः बिहार के भागलपुर निवासी सीताराम झा के परिजनों को उनके वापस आने का इंतजार है. लेकिन वे कहां गुम हो गये, इसका जवाब ना तो भारत सरकार के पास है और ना ही पाकिस्तान के पास. पाकिस्तान के अनुसार सीताराम झा को 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान की जेल से रिहा करके भारत को सौंप दिया गया था. 18 वर्षों से वह कहां है, इसका पता नहीं चल पा रहा है. बता दें कि सीताराम झा पाकिस्तान की कैद में था.

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सीताराम के परिजन का बयान.

कोई जानकारी नहीं मिल पा रहीः सीताराम की वापसी के लिए उनके परिजन लगातार सरकार से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. पत्राचार करनवाले परिजन मुकेश कुमार को अमृतसर स्थित सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्रीय मुख्यालय से एक ई-मेल प्राप्त हुआ. इस पत्र में सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी ने सीताराम झा की भारत वापसी के संबंध में ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन विभाग से पूछताछ करने की सलाह दी. उन्होंने लिखा है कि उनके विभाग का काम सीमा की रक्षा करना है.

BSF से मिला मेल.
BSF से भेजा गया मेल.

कागज पर सीताराम रिहाः इमिग्रेशन विभाग ने बताया कि उनके दस्तावेजों के अनुसार सीताराम झा नामक कैदी को 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान से प्राप्त नहीं किया गया था. जबकि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त एसके रेड्डी की पत्र संख्या आइएफएल/ सीओएनएस/ 411/01/2008 के अनुसार 31 अगस्त 2004 को 36 कैदियों को पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को वाघा बॉर्डर पर सौंपा था, इन कैदियों में सीताराम झा भी शामिल थे.

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भारत के उच्चायोग का पत्र.
भारत के उच्चायोग का पत्र.

क्या है मामलाः सनहौला प्रखंड के मदारगंज पंचायत के रतनपुर गांव का है. यहां की रहने वाली ओखा देवी का पुत्र सीताराम झा आर्थिक तंगी के चलते 20 साल पहले पंजाब कमाने गया था. इसके बाद वो कभी वापस नहीं लौटा. मां ओखा देवी और पड़ोसियों की मानें तो उसके जाने के चार साल बाद सनोखर थाने की पुलिस ने सीताराम की तस्वीर दिखाते हुए सूचना दी थी कि उनका बेटा पाकिस्तान की जेल में बंद है. ओखा देवी की मानें तो वो तब से लेकर आज तक प्रशासन से लेकर राजनेताओं की चौखट पर अपने बेटे की सकुशल वापसी को लेकर गुहार लगाती रही हैं. लेकिन, उसके बेटे के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है. एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है. वहीं, बहु ने पति को वापस आता न देख दूसरी शादी कर ली. ओखा देवी घर में अकेले ही रहती है.

उम्मीद पर है जिंदाः सीताराम की मां को उम्मीद है कि उनका बेटा एक दिन घर लौटेगा. बेटे की वापसी के लिए वह एसएसपी से लेकर गृह मंत्रालय तक कई बार गुहार लगा चुकी है. उनके परिजन मुकेश कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत सीताराम की जानकारी भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों से प्राप्त की, तो इस बात के साक्ष्य प्राप्त हुए कि सीताराम को पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को सौंप दिया है.

Last Updated : Nov 26, 2022, 3:36 PM IST
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