पटना: कोरोना संक्रमण से ग्रसित होने के कारण जहां एक तरफ लोग दवाओं की कमी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस आपदा की घड़ी को अवसर समझ रहे हैं और दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं.
ऐसा ही एक मामला भागलपुर में सामने आया है. यहां रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही थी. भागलपुर में गुरुवार देर रात रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में बरारी थाना क्षेत्र के पल्स हॉस्पिटल के मैनेजर राहुल कुमार और पिंटू कुमार को गिरफ्तार किया गया.
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मृत मरीज के नाम पर खरीद रहे थे इंजेक्शन
पल्स हॉस्पिटल के मैनेजर राहुल और पिंटू मिलकर बांका जिले के रहने वाले मृत मरीज एन. के. भगत के नाम पर इंजेक्शन खरीद रहे थे. बताया जा रहा है कि हॉस्पिटल के मैनेजर राहुल ने रेमडेसिविर खरीदने के लिए राज्य सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन अप्लाई किया था. मंजूरी मिलते ही गुरुवार शाम कोतवाली थाना क्षेत्र के महादेव टॉकीज के सामने अधिकृत मुकुल ट्रेडर्स में राहुल ने पिंटू को इंजेक्शन लेने भेजा.
मुकुल ट्रेडर्स के मैनेजर ने उससे पूछताछ की. संदेह होने पर ड्रग्स विभाग के इंस्पेक्टर को इसकी सूचना दे दी. सूचना मिलने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे. कड़ाई से पूछताछ में पिंटू ने बताया कि जिस मरीज के लिए वह इंजेक्शन लेने पहुंचा है, उसकी मौत हो चुकी है.
जब पल्स हॉस्पिटल के मैनेजर राहुल राज से पूछा गया तो उन्होंने मरीज को जिंदा बताया. जांच में पता चला कि मरीज की दोपहर 3 बजे ही मौत हो चुकी है.
एक अन्य आरोपी फरार
पुलिस ने बताया कि मामले में एक अन्य मरीज फरार है. बताया जाता है कि पिंटू शहर के प्रतिष्ठित न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विकास शर्मा के क्लीनिक में बतौर वेंस टेक्नीशियन काम करता है. ड्रग्स विभाग की टीम ने पिंटू और राहुल के मोबाइल को जब्त कर व्हाट्सएप ग्रुप की भी जांच की है. जांच में पता चला है कि पिंटू ठाकुर आलम नाम के शख्स से इंजेक्शन के संबंध में चैट करता था. पुलिस उसकी तलाश में जुटी है.