भागलपुर: बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि देव ने कहा है कि विक्रमशिला महाविहार को विकसित करने के लिए एक सर्वे टीम को भेजा गया था. महाविहार को आकर्षक बनाने और फिर से उसे विश्व के मानचित्र पर स्थापित किये जाने को लेकर टीम ने सर्वे किया है. अब जल्द ही इस पर काम शुरू किया जाएगा.
बता दें कि जिले के कहलगांव अनुमंडल स्थित विक्रमशिला महाविहार अब तक उपेक्षित है. स्थानीय लोग इस धरोहर को पुनर्जीवित करने और विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना की मांग को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे हैं. बिहार के कई सांसदों, विधायकों और मंत्रियों से मिलकर लोग गुहार लगा चुके हैं लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. हालांकि राज्य सरकार की ओर से यहां विक्रमशिला महोत्सव का आयोजन समय-समय पर किया जाता रहा है. महोत्सव के दौरान इसे पुनर्जीवित करने की बात जोर-शोर से उठती है लेकिन इसके खत्म होते ही सब भूल जाते हैं.
प्रधानमंत्री ने की थी केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा
महाविहार के आसपास के मात्र एक हिस्से की ही अभी तक खुदाई हो सकी है. जबकि विक्रमशिला कई किलोमीटर में फैला हुआ है. कई सालों से विक्रमशिला को सर्किट से जोड़ने, पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और यहां पर केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने की बात कही गई है.
500 करोड़ की राशि की गई आवंटित
विक्रमशिला महाविहार के पास पर्यटन विकास के लिए 10 एकड़ जमीन अर्जित की गई है. जिस पर स्थानीय लोग अब फसल उपजा रहे हैं. यहां पर्यटकों के ठहरने जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की थी. 500 करोड़ की राशि भी आवंटित की गई थी. वहीं जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी तक शुरू भी नहीं हो सकी है. मामला अधर में लटका हुआ है.
जमीन को लेकर फंसा मामला
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है तो काम जरूर होगा. केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना जरूर होगी. भूमि अधिग्रहण में कुछ समस्या जरूर होती है. कोई रैयत अपनी उपजाऊ जमीन को देना नहीं चाहता है. मामला जमीन को लेकर फंसा है. कही दूसरी जगह भी जमीन मिलेगी तो केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाएगी. उन्होंने बताया कि यहां जब भी कोई प्रोजेक्ट आता है, जमीन को लेकर ही मामला फंस जाता है.