भागलपुर: इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में नए-नए समीकरण बने. एनडीए के सहयोगी दलों ने आपसी सहमति के आधार पर सीटों की अदला-बदली कर महागठबंधन को करारी शिकस्त देने में सफलता हासिल की.
नीतीश ने बीजेपी से छिनी परम्परागत सीट
नीतीश कुमार के नए समीकरण का चर्चा उस सीट को लेकर सबसे ज्यादा है जहां बीजेपी के परम्परागत सीट को छिनकर अपनी झोली में डाला. भागलपुर संसदीय सीट का एक अलग राजनीतिक पहचान है. बीजेपी से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता भागवत झा आजाद अभी तक के सबसे ज्यादा लंबे समय तक संसदीय चुनाव जीत कर भागलपुर का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि उसके बाद भागलपुर की संसदीय सीट राजद के पाले में चली गई थी. राजद से बीजेपी ने यह सीट छिनकर अपने कब्जे में कर लिया. यह सीट भाजपा के खाते में लगातार रही. हालांकि 2014 की मोदी लहर में भी भागलपुर सीट राजद के खाते में चली गई. भागलपुर से सांसद राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल बने.
सीट शेयरिंग में जेडीयू प्रमुख सीएम नीतीश कुमार ने बन रहे नए जातीय समीकरण को देकते हुए बुलो मंडल के खिलाफ लगातार जदयू के से तीन बार विधायक रहे अजय कुमार मंडल को मैदान में उतार कर चुनाव को दिलचस्प बना दिया.राष्ट्रवाद के नाम पर वोटिंग
हालांकि भागलपुर सीट से अजय मंडल का नाम प्रत्याशी के तौर पर घोषित किए जाने के बाद भागलपुर के 10 आयु वर्ग में नाराजगी सी छा गई थी जिसे देखते हुए बीजेपी के आला नेताओं द्वारा लगातार मनााने की कोशिश जारी रही जिसमें उन्हें सफलता हासिल हुई. पुरे देश की तरह भागलपुर में भी लोगों ने सभी मुद्दों को पीछे छोड़ते हुए राष्ट्रवाद के नाम पर मोदी के नाम मुहर लगा दी. चुनाव में बना ऐतिहासिक आंकड़ा
जेडीयू के प्रत्याशी अजय कुमार मंडल को 6,18,254 मत मिले जो संसदीय चुनाव में एक ऐतिहासिक आंकड़ा है. यहां किसी भी सांसद को इतने मत प्राप्त नहीं हुए थे जबकि बुलो मंडल को कुल 3,40,624 मत प्राप्त हुए. इस तरह अजय कुमार मंडल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 2,72,630 मतों से पराजित किया. इस जादुई आंकड़े के साथ जीत के बाद लोगों ने जमकर मोदी-मोदी नाम के नारे जमकर लगाए. एनडीए उम्मीदवार की इतनी बड़ी जीत की कल्पना शायद किसी ने नहीं की थी. राजनीतिक पंडित भी इतने बड़े आंकड़े की उम्मीद नहीं कर रहे थे जितना बड़ा आंकड़ा मतगणना के बाद सामने आया.क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित
स्थानीय राजनीति की समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजीव सिद्धार्थ कहते हैं कि लोगों ने कहीं न कहीं मोदी की नेतृत्व क्षमता को देखते हुए लिया बतौर प्रधानमंत्री मोदी पसंद किया है. भागलपुर बांका और आसपास के अन्य संसदीय सीट को काफी महत्वपूर्ण समझते हुए मोदी ने भागलपुर में चुनावी रैली कर लोगों को अपने ऊपर भरोसा दिलाने की कोशिश की. जिसका नतीजा यह हुआ कि भागलपुर और बांका समेत आसपास के अन्य संसदीय सीट पर भी एनडीए ने जीत हासिल की.निशिकांत दुबे और अश्विनी चौबे ने तैयार की रणनीति
अजय मंडल को जीताने के लिए गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे और बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे समेत कई नेताओं ने रणनीति तैयार की थी. भागलपुर में मतदान के दौरान भी पहले वोटर्स की च्वाइस भी मोदी ही थे.