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लॉकडाउन में रिक्शा चालक भी लाचार, नहीं हो पा रहा रोटी का जुगाड़

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Published : Apr 17, 2020, 10:37 AM IST

रिक्शा चालक ने निराशा के भाव में कहा कि देखिये कब तक इधर-उधर से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाएंगे. सरकार की ओर से हमारे लिए कोई योजना भी नहीं है, जिससे हम लॉकडाउन में गुजर-बसर कर सके.

लॉकडाउन का असर
लॉकडाउन का असर

भागलपुर: लॉकडाउन के दौर में रिक्शा चालकों की हालत काफी दयनीय स्थिति में है. देशभर में यातायात बंद होने की वजह से उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे समय में वो परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बहुत मुश्किल से कर पा रहे हैं. हालांकि, गनीमत की बात यह है कि सरकार भी इनके परेशानी को समझ रही है. रिक्शा चालक कम्युनिटी किचन में भोजन कर अपना गुजारा कर रहे हैं.

'हमें नहीं मिली कोई सरकारी सहायता'
रिक्शा चालक बताते हैं कि लॉकडाउन ने पूरी तरह से असहाय कर दिया है. कमाई नहीं होने से परिवार का भरण-पोषण मुश्किल से हो पा रहा है. सारी सुविधाएं सिर्फ शहरों में ही दी जा रही हैं, गांव में हम लोगों को अभी तक किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली है. जमा-पूंजी से तो कुछ दिन तक काम चल सका. अब दाने-दाने के लिए भटकना पड़ रहा है. लॉकडाउन तो आगे बढ़ रहा है, मगर हमारी जिंदगी बहुत ही पीछे चली जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कम्युनिटी किचन से मिलता है खाना'
रिक्शा चालक ने निराशा के भाव में कहा कि देखिये कब तक इधर-उधर से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाएंगे. सरकार की ओर से हमारे लिए कोई योजना भी नहीं है, जिससे हम लॉकडाउन में गुजर-बसर कर सके. लॉकडाउन के कारण घर भी नहीं जा सकता. कम्युनिटी किचन से खाना मिलता है. इससे ही गुजारा करना पड़ रहा है.

भागलपुर: लॉकडाउन के दौर में रिक्शा चालकों की हालत काफी दयनीय स्थिति में है. देशभर में यातायात बंद होने की वजह से उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे समय में वो परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बहुत मुश्किल से कर पा रहे हैं. हालांकि, गनीमत की बात यह है कि सरकार भी इनके परेशानी को समझ रही है. रिक्शा चालक कम्युनिटी किचन में भोजन कर अपना गुजारा कर रहे हैं.

'हमें नहीं मिली कोई सरकारी सहायता'
रिक्शा चालक बताते हैं कि लॉकडाउन ने पूरी तरह से असहाय कर दिया है. कमाई नहीं होने से परिवार का भरण-पोषण मुश्किल से हो पा रहा है. सारी सुविधाएं सिर्फ शहरों में ही दी जा रही हैं, गांव में हम लोगों को अभी तक किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली है. जमा-पूंजी से तो कुछ दिन तक काम चल सका. अब दाने-दाने के लिए भटकना पड़ रहा है. लॉकडाउन तो आगे बढ़ रहा है, मगर हमारी जिंदगी बहुत ही पीछे चली जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कम्युनिटी किचन से मिलता है खाना'
रिक्शा चालक ने निराशा के भाव में कहा कि देखिये कब तक इधर-उधर से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाएंगे. सरकार की ओर से हमारे लिए कोई योजना भी नहीं है, जिससे हम लॉकडाउन में गुजर-बसर कर सके. लॉकडाउन के कारण घर भी नहीं जा सकता. कम्युनिटी किचन से खाना मिलता है. इससे ही गुजारा करना पड़ रहा है.

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